भारत सरकार का प्रस्तावित वक्फ बिल: मुसलमानों के हित में या उनके खिलाफ?

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सरकार की नियत पर उंगली उठाने से पहले वक्फ बोर्ड के मुतवल्लियों और ओहदेदारों की निजी जायदादों की छानबीन की जाए और उसकी जानकारी पब्लिक की जाए।

खबरों की दुनियां में अभी भारत सरकार द्वारा जल्द ही एक वक्फ बोर्ड बिल लाए जाने की खबर गर्दिश कर रही है। इस से मुस्लिम समुदाय में काफी बेचैनी और तिलमिलाहट है। चूंकि अभी बिल की रूप रेखा सामने नहीं आई है इसलिए बिल पर फिलहाल कुछ ज्यादा टीका टिप्पणी करना मुनासिब नहीं है, लेकिन हम उन तथ्यों का जायेज़ा तो ले ही सकते हैं कि आखिर मुस्लिम रहनुमाओं की वह कौन सी कोताहियां हैं जिससे सरकार को मुसलमानों के अंदरूनीम मामलों में हस्तक्षेप करने का बहाना मिल जाता है। वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में हम हम इस बिल को रोक तो नहीं सकते लेकिन यह चर्चा तो कर ही सकते हैं कि आया यह बिल मुस्लिम समुदाय के हित में होगा या खिलाफ?

बिल का प्रस्ताव

नए वक्फ बिल का प्रस्ताव प्रबंधन में सुधार लाना, पारदर्शिता बढ़ाना, और वक्फ प्रॉपर्टीज की सुरक्षा को मजबूत करना हो सकता है। बिल के मुताबिक, वक्फ बोर्ड को अधिकार और जिम्मेदारियों से इस बहाने युक्त किया जा सकता है कि इस से वक्फ प्रॉपर्टीज का अच्छी तरह से प्रबंधन संभव हो पाएगा और इनके दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। अगर वक्फ का प्रबंधन सरकार कुछ भ्रष्ट मुसलमानों के हाथ से छीन कर अपने हाथ में ले लेती है तो यह “आसमान से गिरे और खजूर पे अटके” वाली बात हो जाएगी।

मुसलमानों के फेवर में या अगेंस्ट?

यह प्रश्न काफी संवेदनशील है। कुछ लोगों का मानना है कि यह बिल मुसलमानों के हित में होगा क्योंकि यह वक्फ प्रॉपर्टीज की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करेगा, जिससे इनका सही उपयोग हो सकेगा। वैसे भी, वक्फ प्रॉपर्टीज का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है, और इस बिल के माध्यम से अगर इस पर रोक लगाई जा सकती है तो फिर इस से अच्छी बात क्या हो सकती है।

दूसरी तरफ, कुछ लोगों का कहना है कि यह बिल सरकार के ज्यादा हस्तक्षेप का घोतक है, जो वक्फ और मुसलमानों के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध हो सकता है। उनका कहना है कि वक्फ प्रॉपर्टीज और मुसलमानों के धार्मिक मामले उनके समुदाय द्वारा ही संचालित होने चाहिए, न कि सरकार के द्वारा।

सरकार का हस्तक्षेप और मुसलमानों के सुधार

यह एक और जरूरी पहलू है। सरकार का कहना है कि मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए यह जरूरी है कि वक्फ प्रॉपर्टीज का सही उपयोग हो। लेकिन, इस प्रकार का हस्तक्षेप मुसलमानों के लिए एक चुनौती भी हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी स्वायत्तता और अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।

समर्थन और विरोध

प्रस्तावित वक्फ बिल पर समर्थन और विरोध दोनों ही तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। समर्थकों का कहना है कि यह बिल वक्फ प्रॉपर्टीज के सही प्रबंधन और उनके उपयोग को सुधारने में सहायक होगा। इससे मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक कल्याण में सुधार होगा और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी।

Muslim

विरोधियों का कहना है कि यह बिल वक्फ प्रॉपर्टीज पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाएगा, जो मुसलमानों के धार्मिक स्वराज और मौलिक अधिकारों के विरुद्ध होगा। उनका कहना है कि वक्फ एक धार्मिक संपत्ति है, और इस प्रकार के हस्तक्षेप एक तरह से धार्मिक आजादी में दखल देने के बराबर है।

सुझाव

Mutyim Kamalee
लेखक :मुतईम कमाली (फिल्म लेखक व निर्देशक)

यह जरूरी है कि मुसलमान अपनी कम्युनिटी के सुधार खुद करें और वक्फ प्रॉपर्टीज के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें वह भी पूरी ईमानदारी और दयानतदारी के साथ। अगर मुसलमान अपने धार्मिक और सामाजिक स्थिति को सुधारने में सफल होते हैं, तो सरकार का हस्तक्षेप भी धीरे धीरे कम हो सकता है।

समय की मांग है कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, ताकि वक्फ प्रॉपर्टीज का सही उपयोग हो सके और मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दिया जा सके। यह बिल संसद के पटल पर कब रखा जाता है, रखा भी जाता है या नहीं जाता है लेकिन मेरी अपने रहनुमाओं से एक मांग जरूर है। वह मांग यह है कि सरकार की नियत पर उंगली उठाने से पहले वक्फ बोर्ड के मुतवल्लियों और ओहदेदारों की निजी जायदादों की छानबीन की जाए और उसकी जानकारी पब्लिक की जाए।

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि ग्लोबलटुडे इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)

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