शिया हमारे भाई हैं, असली समस्या सांप्रदायिक सोच है

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मुहम्मद अल-ईसा ने कहा," शिया हमारे भाई हैं, असली समस्या सांप्रदायिक सोच है
Muhammad bin Abdul Karim Al-Issa, Secretary General of the Muslim World League

मशहूर सऊदी विद्वान और मुस्लिम विश्व लीग के महा सचिव ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि सुन्नी और शियाओं के बीच कोई झगड़ा नहीं है और यह कि मामूली मस्लकी मतभेदों की वजह से इस्लाम की एकजुटता को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

Globaltoday.in | उबैद इक़बाल खान | वेबडेस्क

हाइलाइट्स

  • सुन्नी और शिया मुसलमानों में कोई झगड़ा नहीं है
  • सुन्नी और शिया मुसलमान आपस में भाई-भाई हैं
  • किसी को भी इस्लामिक भाईचारे, एकता और एकजुटता को तोड़ने की अनुमति नहीं
  • सुन्नी और शिया दोनों तौहीद(एकेश्वरवाद) और मुहम्मद (स.अ.व) के संदेश में विश्वास करते हैं, हम सभी अपने पैग़ंबर से प्यार करते हैं

सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध कई दशकों से गंभीर विवाद के चलते सही नहीं रहे हैं। कुछ लोग इसका कारण मसलकों के मतभेद को मानते हैं जबकि कुछ मुसलमानों का मानना है कि सियासी और भौगोलिक मुद्दों में फ़र्क़ को इसकी ख़ास वजह मानते हैं. ऐसे में एक मशहूर सऊदी विद्वान का बहुत ही स्वागत योग्य वक्तव्य सामने आया है।

इस्लामी दुनिया में एक प्रमुख संगठन मुस्लिम वर्ल्ड लीग(Muslim World League) के महासचिव मुहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा (Muhammad bin Abdul Karim Al-Issa) ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि सुन्नी और शिया मुसलमान में कोई झगड़ा नहीं है, वास्तविक समस्या संप्रदायवादी सोच और कट्टरपंथी रवैया है, जिसके चलते दुसरे मसलकों के मानने वालों को इस्लाम से खारिज करने की अफ़सोसनाक कोशिश होती रही है. उन्होंने कहा,” सुन्नी और शिया भाई-भाई हैं। कलमा जो होने के नाते शिया हमारे हम मज़हब हैं।

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इस्लाम और मज़दूरों के अधिकार

मुहम्मद अल-ईसा (Muhammad bin Abdul Karim Al-Issa) ने कहा,” बेशक, कई मुद्दों पर शियाओं के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन इन मतभेदों की आड़ में किसी को भी इस्लामिक भाईचारे, एकता और एकजुटता को तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सुन्नी और शिया के बीच के अंतर हमारे आंतरिक अंतर हैं। उन्हें सांप्रदायिक रंग देने से बचना चाहिए। सुन्नी और शिया दोनों तौहीद(एकेश्वरवाद) और मुहम्मद (स.अ.व) के संदेश में विश्वास करते हैं, हम सभी अपने पैग़ंबर से प्यार करते हैं।

उन्होंने कहा कि दोनों सुन्नी और शिया मुसलमान हज और उमराह करते हैं। इस अवसर पर, मुहम्मद अल-इसा ने एक हदीस बयां की जिसमें नबी करीम (स.अ.व) ने फ़रमाया कि हर वह इंसान जो क़िब्ला रुख़ होकर नमाज़ पढता है और क़ुर्बानी करता है, वह एक मुसलमान है और अल्लाह और उसके रसूल के संरक्षण में है।

मुहम्मद अल-ईसा(Muhammad bin Abdul Karim Al-Issa) ने अपने टीवी साक्षात्कार में जोड़ा कि यह हदीस साबित करती है कि शिया और सुन्नी कलमे के साथी हैं।

उन्होंने दुनिया भर के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि पूरी मुस्लिम उम्मत को अपने बच्चों में धार्मिक एकता के प्रति जागरूकता पैदा करनी चाहिए।

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मुहम्मद अल-ईसा(Muhammad bin Abdul Karim Al-Issa) ने आगे कहा कि दोनों ही समूहों के बीच बेकार की चर्चाओं से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला। दोनों ही को इस्लाम मज़हब से एक-दूसरे को बाहर करने के लिए भड़काऊ भाषण, लेखन और प्रचार करना बंद कर देना चाहिए। हालाँकि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम एक मुस्लिम राष्ट्र के रूप में इस तरह की नकारात्मक गतिविधियों में शामिल रहे हैं.