सम्भल में सोत नदी को अस्तित्व में लाने के लिए डीएम व एसपी ने शुरू किया अभियान

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सम्भल में सोत नदी को अस्तित्व में लाने के लिए डीएम व एसपी ने अभियान शुरू किया। जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने विधि विधान के साथ सोत नदी का हवन-पूजन कर फावड़ा चलाकर नदी को जीवित करने खुदाई का काम शुरू कराया। नदी किनारे वृक्ष लगाकर ग्रामीणो को सोत नदी की अहमियत बतायी और ग्रामीणो को सोत नदी पर कब्जा न करने की शपथ भी दिलाई गई। सम्भल तहसील के मातीपुर गाँव में ये कार्यक्रम हुआ

 
सम्भल/राहेला अब्बास: अमरोहा के बाद अब सम्भल जिले में भी सोत नदी को पुनर्जीवित करने की पहल हो गई है। असमोली विकास खंड के मातीपुर में इसका शुभारंभ जिलाधिकारी और एसपी ने किया। सुबह ही जिलाधिकारी नदी तट पर पहुंचे। जेसीबी मशीन, मनरेगा मजदूरों और नागरिक सहयोग के ज़रिये नदी की खुदाई शुरू हुई। पहले ही दिन करीब एक किलोमीटर हिस्से में खुदाई हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
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बारिश से पहले पूरी सोत नदी को खोदने और पुराने रूप में लाने का प्रयास शुरू हो चुका है। सोत नदी का करीब 40-45 किलोमीटर हिस्सा सम्भल जिले में पकता है। इसमें सम्भल तहसील में 24 और चंदौसी तहसील में 18-20 किलोमीटर हिस्सा है।
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सोत नदी को अवैध कब्जों से मुक्त पहले ही किया जा चुका है। अब नदी में खुदाई होना बाक़ी थी जिसकी शुरुवात भी हो चुकी है। अमरोहा में जिला प्रशासन पहले ही नदी को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के बाद खुदाई करा चुका है।

सम्भल में सोत नदी को अस्तित्व में लाने के लिए जेसीबी से खुदाई शुरू
सम्भल में सोत नदी को अस्तित्व में लाने के लिए जेसीबी से खुदाई शुरू

सम्भल में कुछ संगठनों और नागरिकों ने भी नदी को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की मांग की। जिसके बाद जिलाधिकारी ने बहजोई में जिले के सभी उप जिलाधिकारियों के साथ बैठक की थी। मनरेगा के जिला प्रभारी को भी बुलाया गया था। उसी बैठक में तय किया गया कि श्रमदान, सरकारी मरनेगा योजना और नागरिकों के सहयोग से नदी को पुराने रूप में लाया जाए, ताकि जल स्रोत जीवित हो सकें।
गौरतलब है कि गुम होते नदी और तालाबों को लेकर लगातार यह क्रम जारी है, जिसके चलते यहां लोगों में चेतना पैदा हुई। वहीं प्रशासन ने धरातल स्तर पर पहल शुरू कर दी है।

सोत नदी के किनारे खाली पड़ी सरकारी भूमि पर बारिश के दिनों में एक लाख पौधे लगाए जाएंगे। मनरेगा के तहत पौधे लगवाने और उनकी देखरेख की योजना है। इसके अलावा श्रमदान और मनरेगा श्रमिकों के काम से नदी को पुनर्जीवित करने की योजना पर अमल किया जा रहा है। नदी तालाबों को पुनर्जीवित करने के मामले में सम्भल प्रशासन की पहल सराहनीय है।