पुरानी कहावत है कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है। शायद यही साबित करने में जुटी हैं किसानों के परिवार की वे महिलाएं जो फसलें बचाने के लिए दिन रात एक किये दे रही हैं। वे अपने बच्चों को भी पाल रही हैं, घर का काम भी कर रही हैं, साथ ही खेतों में जुताई करना हो, ट्रैक्टर चलाना हो या फिर खेतों को पानी लगाना, किसी भी काम में वह पीछे नहीं हैं।
बस उनकी एक ही कामना है कि उनके पुरुष जो केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनो के विरोध में दिल्ली धरने पर गए हैं वह कामयाब होकर लौटें।
कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन करने दिल्ली पहुंचे किसानों को अपना घर छोड़े 18 दिन बीत चुके हैं। अपने घरों से दूर दिल्ली बॉर्डर पर खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन कर रहे किसान इतने लंबे समय तक धरना जारी रखने में यह किसान शायद इसलिए सफल हो रहे हैं कि उनकी गैरमौजूदगी में उनकी महिलाओं ने खेती किसानी की जिम्मेदारी उठा रखी है।
अपने पति पिता या बेटे के विरोध प्रदर्शन में जाने के बाद फसलें बर्बाद होने से बचाने की चुनौती कुबूल करते हुए महिलाए खेतों की जुताई, फसलों को पानी लगाने से लेकर ट्रैक्टर चलाने तक कोई भी काम करने से नहीं हिचक रहीं।
जब हमने महिला किसान सिमरनजीत कौर से बात की तो उन्होंने कहा हम खेती किसानी करने को मजबूर हैं। इसकी वजह सबको पता है कि हमारे भाई, पति सभी लोग वहां धरने पर बैठे हैं।
सिमरनजीत कौर ने कहा,” हमने तो उनसे यह तक कहा था कि हम भी साथ में चलते हैं धरने में लेकिन यहां पर भी खेती को कोन देखता। तो हमने अपने घर के मर्दों से कहा कि आप जाओ और जीत कर आना। हम सब काम कर लेंगे। हम घर परिवार को भी संभाल लेंगे और खेती किसानी भी करेंगे।
सिमरनजीत जो ग्रेजुएशन करी हुई हैं, कहती हैं “हमें यह भी आता है, हम यह काम भी कर लेंगे। कृषि विधेयक कानून को सिमरनजीत कौर ने कहा हम इस को नहीं मानते। किसानों के जरिए ही सबका पेट भर रहा है।
बुजुर्ग महिला किसान सुखविंदर कौर ने कहा,”सरदार तो सभी गए हैं हम लोग खेती किसानी कर रहे हैं। हम लोग बहुत परेशान हैं जब खेती आती है तो कोई भाव नहीं मिलता है फसल का रेट मिलता नहीं है और खून पसीना हमारा एक हो जाता है इसमें कोई फायदा नहीं है। सरकार जो कानून लाइए वह हमारे हित में नहीं है।
महिला किसान प्रीतिंदर कौर ने कहा, “हमारे पिता भाई सब लोग दिल्ली गए हुए हैं। इसलिए हमें खुद ही खेती करनी पड़ रही है और खुद ही घर संभालना पड़ रहा है। मोदी जी ने जो कानून बनाया है यह गैरकानूनी है हम इस कानून को नहीं मानते हमने अपने घर वालों को कह रखा है कि जीत कर आना बगैर जीते मत आना।
- एक दूसरे के रहन-सहन, रीति-रिवाज, जीवन शैली और भाषा को जानना आवश्यक है: गंगा सहाय मीना
- Understanding Each Other’s Lifestyle, Customs, and Language is Essential: Ganga Sahay Meena
- आम आदमी पार्टी ने स्वार विधानसभा में चलाया सदस्यता अभियान
- UP Bye-Elections 2024: नेता प्रतिपक्ष पहुंचे रामपुर, उपचुनाव को लेकर सरकारी मशीनरी पर लगाए गंभीर आरोप
- लोकतंत्र पर मंडराता खतरा: मतदाताओं की जिम्मेदारी और बढ़ती राजनीतिक अपराधीकरण- इरफान जामियावाला(राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पसमंदा मुस्लिम महाज़)