Highlights:
मैंने मांग की थी कि बजट में यह एलान किया जाए कि आगे से किसी अरबपति के कर्जे माफ नहीं किए जाएंगे, मुझे दुख है कि नहीं किया गया- केजरीवाल
– इससे बचने वाले पैसे से मिडिल क्लास के होम लोन व वाहन लोन में छूट दी जाए और इनकट टैक्स व जीएसटी की दरें आधी की जाएं- केजरीवाल
– बजट में छोटे व्यापारियों को राहत देने, किसानों की फसल का दाम दोगुना करने और दो करोड़ नौकरी देने का जिक्र नहीं है- संजय सिंह
– सिर्फ दो फीसद मिडिल क्लास इनकम टैक्स भरता है, बाकी की परवाह नहीं की गई, यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है- जस्मीन शाह
नई दिल्ली, 01 फरवरी 2025: आम आदमी पार्टी भाजपा शासित केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को जारी बजट को निराशाजनक बताया। पार्टी का कहना है कि खासकर मिडिल क्लास के साथ छलावा किया गया है। बजट में जीएसटी और होम लोन में कोई राहत नहीं दी गई है। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर कहा कि देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा चंद अमीर अरबपतियों के कर्जे माफ करने में चला जाता है। मैंने मांग की थी कि बजट में ये एलान किया जाए कि आगे से किसी अरबपति के कर्जे माफ नहीं किए जाएंगे। ़इससे बचने वाले पैसे से मिडल क्लास के होम लोन और व्हीकल लोन में छूट दी जाए, किसानों के कर्जे माफ किए जाएं। इनकम टैक्स और जीएसटी की टैक्स दरें आधी की जाएं। मुझे दुख है कि ये नहीं किया गया।
वहीं, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने मांग की थी कि सरकार घोषणा करें कि वह पूंजीपतियों का कर्जा माफ नहीं करेगी। साथ ही, मोदी जी ने अपने पूंजीपति दोस्तों के 16 लाख करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया है, उसके पैसे वसूल जाएं। जिससे इनकम टैक्स और जीएसटी की मौजूदा दरें आधी की जा सकती हैं। लेकिन सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की। इसका मतलब है कि भाजपा की मंशा अभी भी पूंजीपतियों का लाखों करोड़ों कर्जा माफ करने की है और जो लाखों करोड़ों रुपए बकाया है, भाजपा की उसे वसूलने की मंशा नहीं है।
संजय सिंह ने कहा कि सरकार ने 12 लाख इनकम वालों को टैक्स में छूट दी, लेकिन छोटे-मोटे व्यापारियों को इससे बाहर कर दिया। उन्हें कैसे राहत दी जाएगी? किसानों की फसल का दाम दोगुना करने की बात कही गई थी, लेकिन बजट में उसका कोई जिक्र नहीं किया गया। इन्होंने देश के नौजवनों को साल में 2 करोड़ नौकरियां देने की बात कही थी, बजट में उसका कहीं जिक्र नहीं किया गया। कुल मिलाकर यह बजट भी अपने चंद पूंजीपती दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए है।
जस्मीन शाह ने समझाया, मिडिल क्लास के लिए कैसे निराशाजनक है बजट?
“आप” के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह ने एक्स पर लिखा कि बजट 2025 हर किसी के लिए, खासकर मिडिल क्लास के लिए निराशाजनक है। उन्होंने सरल शब्दों में समझाया कि यह बजट कैसे मिडिल क्लास के लिए निराशाजनक है। उन्होंने बताया कि भारत की लगभग 30 फीसद आबादी मिडिल क्लास है। लेकिन सिर्फ 2 फीसद यानि लगभग 3 करोड़ लोग ही इनकम टैक्स भरते हैं। बाकी लोग, जिनमें गरीब भी शामिल हैं, जीएसटी, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष कर भरते हैं। इस बजट में 98 फीसदी भारतीयों के लिए कोई राहत नहीं दी गई है।
जस्मीन शाह ने कहा कि दो हफ्ते पहले अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के लिए 7 बड़े सुझाव दिए थे। इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा पर ज्यादा खर्च, जरूरी सामानों पर जीएसटी खत्म करना, पेंशन योजना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेल टिकट में 50 फीसद की छूट जैसी मांगें शामिल थीं। लेकिन मोदी सरकार ने इनमें से सिर्फ एक बात मानी- टैक्स छूट की सीमा बढ़ाना, जो सिर्फ 2 फीसद लोगों को फायदा पहुंचाता है। बाकी 98 फीसद जनता की परवाह नहीं की गई, बस मीडिया का ध्यान भटकाने की कोशिश हुई।
जस्मीन शाह ने कहा कि बजट 2025 की सबसे बड़ी नाकामी यह है कि इसमें नौकरियों या 90 फीसद भारतीयों की सैलरी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है, जो हर महीने 25 हजार रुपए से कम कमाते हैं। 2 करोड़ नौकरियां हर साल देने का वादा क्या हुआ? पिछले साल कितनी नौकरियां मिलीं, अगले साल का लक्ष्य क्या है? 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहां गई? इस पर पूरी तरह चुप्पी साधी हुई है। आम आदमी की सैलरी बढ़ाने का कोई प्लान नहीं, जबकि आर्थिक सर्वे में बताया गया कि आज लोगों की आमदनी 6 साल पहले से भी कम हो गई है।
जस्मीन शाह ने कहा कि बजट 2025 भारत को विकसित देश बनाने के सपने को सबसे बड़ा नुकसान यह पहुंचाता है कि इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य में सरकारी भूमिका को खत्म कर दिया गया है। अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से शिक्षा बजट को 10 फीसद तक बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे बढ़ाने के बजाय घटा दिया। 2013-14 में शिक्षा बजट जीडीपी का 4.6 फीसदी था, जिसे अब आधा करके 2.5 फीसदी कर दिया गया है। पूरे बजट में सरकारी स्कूलों का कोई ज़िक्र तक नहीं किया गया। आईआईटी में सीटें बढ़ाने की बात की गई, लेकिन यह नहीं बताया गया कि 40 फीसदी शिक्षकों की पोस्ट खाली क्यों पड़ी हैं? क्योंकि वेतन देने के लिए पैसे ही नहीं हैं।