यूहीं नही मिला था धरतीपुत्र का खिताब… यूहीं नही कहा जाता था किसानों का मसीहा… मुलायम के कार्यों ने मुलायम को दिलाई थीं ये उपाधियां– सालिम रियाज़
आइए जाने मुलायम सिंह यादव का राजनीति सफर
मुलायम सिंह यादव ने 55 साल के लंबे राजनीतिक करियर में विधायक से लेकर शुरुआत की और 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. यही नहीं वे 7 बार सांसद रहे और 8 बार विधायकी का चुनाव जीता. 1967 में विधायक बनने वाले मुलायम ने फिर मुड़कर नहीं देखा.
मुलायम सिंह यादव भारत और हिन्दी बेल्ट की राजनीति में पांच दशकों से ज्यादा समय तक सक्रिय रहे. 55 सालों के राजनीतिक करियर में मुलायम सिंह यादव भारत के प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए. वे देश के रक्षा मंत्री बने, 7 बार सांसद रहे और 8 बार विधानसभा में विधायक रहे और एक बार एमएलसी भी बने.
मुलायम सिंह की 55 सालों की राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही है. यह एक गांव से एक साधारण व्यक्ति के निकलकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में शीर्ष तक पहुंचने की रोमांचक कहानी है. जहां उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल और राजनीतिक प्रबंधन के दम पर इंदिरा-राजीव और अटल-आडवाणी के दौर में अपनी पहचान बनाई.
एक नजर डालते हैं उनके राजनीकि करियर पर
8 बार विधायक
राम मनोहर लोहिया और राज नारायण द्वारा राजनीति की शिक्षा पाने वाले मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर विधानसभा सीट से 1967 में पहली बार विधायक बने.
1974 में मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर विधानसभा सीट से ही भारतीय क्रांति दल के टिकट पर विधायक बने.
1977 में मुलायम सिंह यादव भारतीय लोक दल के टिकट पर इसी सीट से फिर विधायक बने.मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर सीट से ही 1985, 1989, 1991 और 1993 में विधायक बने.
1996 में मुलायम सिंह यादव सहसवां सीट से विधायक बने, लेकिन 1996 में ही उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया.
7 बार सांसद
1996 में मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने.
1998 में नेता जी संभल से दूसरी बार सांसद बने.
1999 में मुलायम सिंह यादव संभल और कन्नौज से सांसद बने, 2000 में उन्होंने कन्नौज से इस्तीफा दे दिया.
2004 लोकसभा चुनाव में नेता जी फिर से मैनपुरी सीट से उतरे और जीत हासिल की. लेकिन 2004 में ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
2009 में मुलायम सिंह यादव पांचवीं बार मैनपुरी से सांसद चुने गए.
2014 में 16वीं लोकसभा के लिए मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ और मैनपुरी से पर्चा भरा. उन्होंने दोनों जगह से जीत हासिल की, लेकिन बाद में मैनपुरी से इस्तीफा दे दिया. इस तरह वे छठी बार सांसद बने.
2019 में मुलायम सिंह यादव एक बार फिर से मैनपुरी लोकसभा सीट से उतरे और जीत हासिल की.
3 बार यूपी के CM बने
मुलायम सिंह यादव 55 साल के राजनीतिक करियर में 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
पहली बार
नेता जी पहली बार 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 1990 में केंद्र में वीपी सिंह सरकार के गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव चंद्रशेखर की जनता दल (सोशलिस्ट) से जुड़ गए और कांग्रेस के समर्थन से सीएम पद पर बने रहे. अप्रैल 1991 में जब कांग्रेस ने इस सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो मुलायम सिंह यादव की सरकार गिर गई.
दूसरी बार
1993 में मुलायम सिंह यादव दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 1992 में मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. नवंबर 1993 में राज्य में चुनाव होने थे. इससे पहले मुलायम ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया. चुनाव नतीजों के बाद मुलायम बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने में कामयाब रहे और स्वयं सीएम बने. 1995 में मायावती की समर्थन वापसी के बाद ये सरकार भी गिर गई.
तीसरी बार
मुलायम सिंह यादव सितंबर 2003 फिर से यूपी के सीएम बने. 2002 में मायावती और बीजेपी ने मुलायम को रोकने के लिए गठबंधन कर लिया था. मायावती सीएम बनीं. लेकिन 25 अगस्त 2003 को बीजेपी ने इस सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद बीएसपी के बागियों, निर्दलीय और छोटे दलों की मदद से मुलायम सिंह यादव ने सितंबर 2003 में अपनी सरकार बनाई.
देश के रक्षा मंत्री बने मुलायम सिंह यादव
1996 में मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा से जीतकर संसद पहुंचे. इसी साल केंद्र में कई पार्टियों के समर्थन से यूनाइडेट फ्रंट की सरकार बनी. मुलायम सिंह की पार्टी ने इस सरकार का समर्थन किया और वे देश के रक्षा मंत्री बने. तब एचडी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री थे. हालांकि ये सरकार 1998 में गिर गई.
प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए नेताजी
90 के दशक में एक दौर ऐसा भी आया जब नेताजी देश के पीएम बनते बनते रह गए. बात 1996 की है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन बीजेपी के पास भी बहुमत नहीं था. बीजेपी को इस चुनाव में 161 सीटें मिली थीं. 13 दिन बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सवाल खड़ा हुआ कि अब नई सरकार कौन बनाएगा. कांग्रेस के पास 141 सीटें थीं. लेकिन कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने के पक्ष में नहीं थी.
इसके बाद मिली जुली सरकार बनाने की पहल शुरू हुई. पीएम पद के लिए सबसे पहले वीपी सिंह और ज्योति बसु का नाम उछला. लेकिन दोनों ही के नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद लालू यादव और मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया. तब तक लालू चारा घोटाले में फंस चुके थे. इसलिए उनका भी नाम कट गया. इसके मुलायम सिंह का नाम तय माना जा रहा था. लेकिन ऐन मौके पर लालू ने सियासी चाल चली और उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर दिया. शरद यादव भी विरोध में शामिल हो गए. इस तरह से मुलायम का भी नाम पीएम पद की रेस से हट गया. आखिरकार एचडी देवगौड़ा देश के पीएम बने और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री.
1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भी किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. तब एक बार फिर मुलायम का नाम पीएम पद की रेस में आया. लेकिन एक बार फिर मुलायम के नाम पर यादव नेता सहमत नहीं हुए. मुलायम सिंह ने एक बार कहा था कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. लेकिन, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाए.
आखिर में मुझे एक सच्चा वाकया याद आगया मुलायम सिंह लोगो के दिल मे किस गहराई तक रहा करते थे… सहसवान एक सभा को संबोधित करने के बाद जब उनका हेलिकॉप्टर उड़ा और खेतों के ऊपर से गुजर रहा था तो खेत में काम करने वाले पति ने अपनी पत्नी से कहा के घूंघट कर लो बब्बा जा रहे हैं… ये थे मुलायम!
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि ग्लोबलटुडे इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)
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