Raza Library: अब अरब दुनिया भी हो सकेगी रज़ा लाइब्रेरी के इतिहास से रूबरू

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हाइलाइट्स:

  • डा० मोहम्मद इरशाद नदवी की किताब “नाफीजतुन अलल मकतबती रजा बल मतहक बी रामपुर” का विमोचन
  • किताब का प्रकाशन अरब मेहमानों और स्कालर्स के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य: आन्जनेय कुमार
  • इण्डो-अरब संबंधों को मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगी ये पुस्तक: डा० कुमार

रामपुर: दुर्लभ पांडुलिपियों और कलाकृतियों के लिये दुनियां भर में मशहूर रजा लाईब्रेरी के(Raza Library) इतिहास और उसके परिचय से प्यासी अरब दुनियां भी अब सेहराब हो सकेगी। अरब स्कॉलर्स और अरब मेहमानों की लाईब्रेरी के इतिहास और परिचय को लेकर पैदा होने वाली जिज्ञासा को शांत करने की दिशा में लाईब्रेरी के अरबी पांडुलिपि कैटलॉगर डा0 मोहम्मद इरशाद नदवी ने कड़ी मेहनत के बाद इस विषय पर अरबी पर एक किताब तैयार की है। नाफीजतुन अलल मकतबती रजा वल मतहक बी रामपुर नाम से तैयार इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद अरब दुनियां से आने वाले लोगों के सामने लाइब्रेरी के परिचय और उसके इतिहास को जानने और समझने की समस्या हल हो गई है। पिछले दिनों रामपुर रजा लाइब्रेरी के 250 वर्ष पूरे होने के जश्न के मौके पर इस किताब का विमोचन भी किया गया।

Irshad Nadvi

किताब के महत्त्व का अंदाज़ा विमोचनकर्ता कमिश्नर मुरादाबाद आन्जनेय कुमार सिंह(Anjney Kumar Singh) और मुख्य अतिथि डा० कुमार विश्वास(Kumar Vishwas) के वक्तव्यों से किया जा सकता है।

इस अवसर पर मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह(Anjney Kumar Singh) ने कहा कि पहली बार अरबी भाषा में रजा लाइब्रेरी की तारीख और दुर्लभ पाण्डुलिपियों के परिचय के हवाले से कोई किताब सामने आयी है। वरना इस शीर्षक पर अरबी भाषा में अरब स्कालर्स और अरब मेहमानों को देने के लिए कुछ नहीं था। मुझे खुशी है कि लाइब्रेरी के ही पुराने कर्मचारी डा० मोहम्मद इरशाद नदवी ने यह कारनामा अंजाम दिया। मैं उनको इस काम के लिए मुबारकबाद देता हूँ। मुख्य अतिथि डा० कुमार विश्वास ने कहा कि इस पुस्तक की मदद से अरब देशों और अरब विश्वविद्यालयों में रजा लाइब्रेरी की महत्ता और विशेषता का परिचय हो सकेगा।

पुस्तक के लेखक डा० मोहम्मद इरशाद नदवी ने बताया कि इसका नाम “नाफीजा” यानी खिड़की या रजा लाइब्रेरी का झरोखा रखा गया है जिससे एक अंजान अरब मेहमान के सामने इसका संक्षिप्त खाका आ जाये। किताब को लेकर लाइब्रेरी के कर्मचारी वर्ग एवं स्कालर्स ने भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त की है।

सैयद नवेद कैसर ने कहा कि इस किताब में जिन दुर्लभ चीजों का ज़िक्र किया गया है उनमें वाल्मीकि रामायणए मकनपुर शाह मदार से सम्बन्धित दुर्लभ मुगलिया फरामीन ए हजरत अली के अशआर की खूबसूरत कलाकृतियों जिनका स्वयं उन्होंने “मधहे पयम्बर ब जुबाने हैदर” के नाम से अनुवाद भी किया जिसका प्रकाशन किया जाना है। एक ईरानी आलिम अब्दुल हुसैन नजफी का रामपुर का सफरनामा अजजहूर फी रामपुर हजरत अली के हाथ का लिखा हुआ सातवीं सदी का कुरान शरीफ, अजायबुल मखलूकात शामिल हैं।

लाइब्रेरी के फारसी स्कालर इस्वाह खान के कहा कि इसमें सऊदी अरब के शहर रियाज में लगने वाली नुमाईश में रखी गयी 45 खत्तातीए वस्ली और एलबमों का कैटलाग भी शामिल है। डा० प्रीति अग्रवाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि ये पुस्तक अरब दुनिया में इस लाइब्रेरी के लिए अत्यंत आकर्षण का कारण बनेगी।

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