आईएएस आंजनेय कुमार सिंह की अधिकारी से लोक नायक बनने की कहानी

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पहले आपको लोगों के दिलों में जगह बनानी पड़ती है तब जाके कोई आपको अपनी पलकों पर बिठाता है। लाल फीताशाही के इस दौर में प्रशासन से जनता का शिकवा-शिकायत और द्वेष भरा रिश्ता होता है लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जो अपनी ईमानदारी और कर्मठता से कटुता की इस खाई को पार कर जनता से मोह का संबंध बनाने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसी ही एक कर्तव्यनिष्ठ हस्ती हैं आंजनेय कुमार सिंह जो जनता की नजरों में आईएएस अधिकारी की नहीं बल्कि अपनी बुलंद हिम्मती की वजह से एक नायक की हैसियत रखते हैं। अपने नाम के अनुरूप आंजनेय सिंह ने अपराध और भ्रष्टाचार की कई लंका ढाई हैं। उनके कारनामे ऐसे हैं कि न उन्हें जनता रिटायर देखना चाहती है और न ही सरकार। इसीलिए योगी सरकार की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने उनकी प्रतिनयुक्ति चौथी बार एक साल के लिए बढ़ा दी है। यह कोई इनाम नहीं बल्कि उनका हक है क्योंकि वह जानता के हित की लड़ाई में कभी पीछे नहीं हटते, गोया कहते हैं,
“साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन 
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है “।

तो आइए डालते हैं उनके जीवन पर एक नज़र:-

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

आंजनेय कुमार सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के सलाहाबाद गांव में हुआ था। उनके पिता, डॉक्टर महेंद्र सिंह, डीसीएसके पीजी कॉलेज, मऊ में भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष और चीफ प्रॉक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए। पिता के अनुशासन और संस्कारों का आंजनेय सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ा। हालांकि, इंटरमीडिएट की परीक्षा में 49 प्रतिशत अंक मिलने पर पूरा परिवार हैरान रह गया था, लेकिन आंजनेय सिंह अपनी क्षमता को पहचानते थे। उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए। कैरियर की तलाश में उन्होंने मास कम्युनिकेशन में पीजी कर कुछ समय पत्रकारिता की, लेकिन उनकी मंज़िल तो कहीं और ही थी। शायद ईश्वर ने उनसे कोई बड़ा काम लेना था। उन्होंने पत्रकारिता छोड़ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की, कई बार असफलता भी हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः 2005 में सफलता प्राप्त की।

प्रोफेशनल लाइफ़

आंजनेय सिंह ने सिविल सर्विसेज़ 2004 की परीक्षा में 29वीं रैंक हासिल कर आईएएस में जगह बनायी, उस वर्ष वह हिन्दी माध्यम के टॉपर रहे। उनको सिक्किम कैडर मिला। करियर की शुरुआत में ही एक सिविल सेवक के रूप में अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के कारण वे जल्दी ही प्रशासनिक जगत में पहचान बनाने लगे। 2006-07 गैंगटोक में एसडीएम, 2007-09 में पश्चिम सिक्किम में एसडीएम और एडीएम रहे। जून, 2009 में दक्षिण सिक्किम के ज़िलाधिकारी बने और 2011 में सिक्किम में आये भूकम्प के दौरान किए गए कार्य को आपदा प्रबन्धन में एक मॉडल के रूप में लिया गया। 2013 से लेकर 2014 तक सिक्किम की राजधानी गंगतोक के ज़िलाधिकारी रहे तथा उस दौरान दार्जिलिंग बंद के दौरान किए गए कार्यों को सराहना मिली। फरवरी, 2015 में सिक्किम से उत्तरप्रदेश प्रतिनियुक्ति पर आये और सिंचाई विभाग में वॉटरशेड प्रबंधन का जिम्मा दिया गया।

उनका कार्यकाल उत्तर प्रदेश कैडर में रहा, जहाँ उन्होंने विभिन्न जिलों में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उनकी कार्यशैली और प्रशासनिक कुशलता के कारण वे हमेशा सुर्खियों में बने रहे।

यूपी कैडर में कैसे आए?

आंजनेय कुमार सिंह फरवरी, 2015 में सिक्किम से उत्तरप्रदेश प्रतिनियुक्ति पर आये और सिंचाई विभाग में वॉटरशेड प्रबंधन का जिम्मा दिया गया। उस दौरान जीपीएस आधारित वॉटरशेड के कार्य को भारत सरकार में प्रशंसा मिली और एक मॉडल के रूप में स्वीकार किया गया। जुलाई, 2016 में बुलन्दशहर के ज़िलाधिकारी के रूप में तैनात किया गया तथा बुलन्दशहर गैंग रेप कांड को हैंडल करने की चुनौती मिली। मई, 2017 में एडिशनल कमिश्नर, कमर्शियल टैक्स, लखनऊ रहते हुए जीएसटी लागू करने में योगदान दिया और जीएसटी लागू होने के पूर्व 3 माह के अंदर ताबड़तोड़ प्रवर्तन के छापों से उस समय की सबसे बड़ी धनराशि विभाग में जमा करायी और विभाग की सबसे अधिक वसूली हुई। जून, 2018 में फ़तेहपुर का ज़िलाधिकारी तैनात किया गया।

इसके बाद 2019 में योगी सरकार के समय, उन्हें रामपुर का जिला अधिकारी बना दिया गया। जैसे ही उनकी नियुक्ति रामपुर में हुई, उन्होंने अपने सख्त रुख से प्रशासनिक व्यवस्था को और मजबूत किया।

कैसे ढाई आजम खान की लंका?

anjney kumar singh

आंजनेय सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रामपुर में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के अवैध साम्राज्य को ध्वस्त करना है। फरवरी 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खान द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन करने पर, आंजनेय सिंह ने उनके और उनके करीबियों पर कड़ी कार्यवाही की। आजम खान इतने नाराज हुए कि उन्होंने आंजनेय सिंह पर कई आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जिसके चलते उन्हें कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा। इसके बाद, आंजनेय सिंह ने आजम खान के खिलाफ कई कठोर कार्यवाही की, जिनमें उनके खिलाफ आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज कराए गए, जिनके परिणामस्वरूप आजम खान को सीतापुर जेल भी जाना पड़ा।

इसके अलावा, आंजनेय सिंह के नेतृत्व में आजम खान द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई तमाम संपत्तियों को प्रशासन ने मुक्त कराया और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाया। उन्होंने आजम खान को भूमाफिया घोषित कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2017 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्लाह आजम द्वारा फर्जी जन्मप्रमाण पत्र के आधार पर नामांकन दाखिल करने के मामले की जांच आंजनेय सिंह को सौंपी गई थी। उनकी निष्पक्ष जांच के आधार पर अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता रद्द की गई और उन्हें एक साल की सजा सुनाई गई।

यह उनकी विनम्रता ही है कि वह आज़म ख़ान के विरुद्ध की गई कार्यवाही को अपनी उपलब्धि नहीं मानते हैं, सिर्फ़ एक क्रिया की प्रतिक्रिया समझते हैं। उनके अनुसार असल उपलब्धि आम जनमानस के लिए किए गए कार्य हैं।

यही सही बात है कि उनकी उपलब्धियों को सिर्फ आज़म खान से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। इस प्रकरण को ड्यूटी के रास्ते में आने वाली घटनाओं में से एक घटना बताते हुए आंजनेय सिंह कहते हैं,”हमारा काम समस्याओं की पहचान और उन्हें दूर करने के उपाय करने हैं और यही कार्य मैं पिछले 19 से अधिक वर्षों से करता आ रहा हूँ और सब जगह, हर सरकार में एक जैसा ही काम किया है।”

भाव भीनी विदाई का मंज़र

रामपुर में आंजनेय कुमार सिंह की कार्यशैली से प्रभावित होकर स्थानीय जनता ने उन्हें बेहद सम्मान के साथ विदा किया। वे अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। जब भी वे अपने गांव सलाहाबाद जाते हैं, तो ग्रामीणों के साथ सहजता से घुल-मिल जाते हैं। उनकी इस सादगी के कारण उनके कार्यक्षेत्र के लोग भी उन्हें बहुत सम्मान देते हैं। जब उन्हें रामपुर से प्रमोशन देकर विदा किया जा रहा था, तो लोग पूरी तरह से भावुक हो गए थे और उन्हें विदाई दी।

सामाजिक कार्यों में योगदान

आंजनेय कुमार सिंह न केवल एक कुशल प्रशासक हैं, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विभिन्न सामाजिक योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया और गरीब एवं वंचित वर्गों की समस्याओं को हल करने के लिए हमेशा तत्पर रहे।

anjney kumar inaugratin library

बुलन्दशहर में झुग्गी के बच्चों के लिए अनौपचारिक विद्यालय शुरू कराया था जिसे एक अध्यापक रिंकू सिंह आज भी चला रहे हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है, खुद भी जाकर झुग्गी के बच्चों को पढ़ाने जाते हैं और उन्हें जीवन में सफल होने की प्रेरणा देते हैं।

school for poor children


कोरोना काल में जरूरतमंदों को मुफ्त दवाई और खाने पीने की चीज़ें पहुंचाने के लिए जो टोल नंबर शुरू किया था, उसकी सराहना आज भी रामपुर में होती है। यही नहीं श्रीमान ने वहां की सांस्कृतिक धराहरों को संजोए रखने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई। रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी के रखरखाव और सुधार में उसके संस्थापक के बाद अगर किसी और का योगदान है, तो उन्हीं का है।

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आंजनेय कुमार का मानना है कि सिविल सेवा का उद्देश्य केवल प्रशासनिक कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज की सेवा करना भी है।

चौथी बार मिली प्रतिनयुक्ति

आंजनेय कुमार सिंह के प्रशासनिक कौशल, उनकी निष्पक्षता और जनता के प्रति उनकी समर्पण भावना को देखते हुए उनके करियर टेन्योर को बढ़ाया गया है। मौजूदा वक्त में आंजनेय सिंह मुरादाबाद के मंडलायुक्त के पद पर कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने सिक्किम कैडर के इस तेजतर्रार अधिकारी का प्रतिनियुक्ति काल एक साल के लिए और बढ़ा दिया है। उनकी प्रतिष्ठा और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता को देखते हुए यह माना जा सकता है कि वे भविष्य में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाएंगे।

निष्कर्ष

आईएएस आंजनेय कुमार सिंह एक ऐसे अधिकारी के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में निष्पक्षता, ईमानदारी और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किया है। उनकी कार्यशैली, प्रशासनिक क्षमता और सामाजिक योगदान के कारण वे एक आदर्श सिविल सेवक के रूप में माने जाते हैं। उनका करियर टेन्योर बढ़ाया जाना इस बात का प्रतीक है कि देश को उनके जैसे ईमानदार और समर्पित अधिकारियों की आवश्यकता है।

Jamshed Iqbal
लेखक: जमशेद इक़बाल

आंजनेय सिंह ने अपने दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत इरादों से न केवल आजम खान जैसे सशक्त नेता के राजनीतिक किले को ढहाया, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित किया। उनकी सादगी, अनुशासन, और कर्तव्यनिष्ठा उन्हें एक प्रेरणास्रोत बनाते हैं, जिससे अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी प्रेरित हो सकते हैं। उनके बढ़ते करियर टेन्योर से यह स्पष्ट होता है कि उनके कार्यों की सराहना केवल जनता ही नहीं, बल्कि उच्च प्रशासनिक स्तर पर भी की जाती है। आंजनेय सिंह का जीवन और उनकी सेवाएं भारतीय प्रशासनिक सेवा में एक आदर्श की तरह उभरकर सामने आती हैं। हालांकि उनका कहना है कि उन्हें इधर आना नहीं था, शिक्षा के क्षेत्र में जाना था और इन्हें इधर किस्मत लाई है। इस पर हम तो हम यही कह सकते हैं कि उनका इधर आना खुशकिस्मती की बात है।

(नोट- लेखक न्यूज़ चैनल “आजतक” में सीनियर एडिटर हैं और उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि ग्लोबलटुडे इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.)

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