महिलाओं का उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ा, लेकिन विज्ञान और इंजीनियरिंग में नहीं- डॉ. अबरार अहमद, इग्नू, नई दिल्ली, डॉ. अबसार अहमद, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची

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उच्च शिक्षा और शोध समाज को सशक्त बनाने और सामाजिक परिवर्तन लाने के मुख्य कारक हैं। इसके लिए उच्च शैक्षणिक संस्थान लैंगिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने और लैंगिक अंतर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। महिलाओं के नामांकन अनुपात में सुधार से उनके जीवन स्तर और समाज में निर्णय लेने की शक्ति में वृद्धि होगी।

भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में, कुछ दक्षिणी राज्यों को छोड़कर, उच्च शिक्षा में महिलाओं के नामांकन और पहुंच में लैंगिक अंतर बना हुआ है। भारत द्वारा उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अवसंरचनात्मक कारक इस अंतर में योगदान देते हैं। हालांकि, भारत नीतियों और सकारात्मक हस्तक्षेपों के माध्यम से उच्च शैक्षणिक संस्थानों में लैंगिक असमानता को दूर करने की दिशा में अच्छी प्रगति कर रहा है।

2010-11 से 2021-22 के बीच उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन लगातार बढ़ा है। 2010-11 में 2.75 करोड़ छात्रों के नामांकन से यह 2021-22 में बढ़कर 4.327 करोड़ हो गया, जो 1.6 गुना वृद्धि को दर्शाता है। इस अवधि में कुल वृद्धि दर 57.34% रही। 2021-22 में महिलाओं का उच्च शिक्षा में नामांकन 47.82% रहा, जिससे लैंगिक अंतर 4.36% तक सिमट गया। लगभग 16 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां महिला नामांकन 50% से अधिक है।

देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। STEM कार्यक्रमों में कुल 22.8% छात्रों का नामांकन है। इनमें से 58% छात्र विज्ञान कार्यक्रमों में नामांकित हैं, जबकि 42% इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में हैं। विज्ञान कार्यक्रमों में महिला नामांकन 52.14% है, जबकि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में यह मात्र 29.33% ही है। आर्किटेक्चर एकमात्र ऐसा इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी क्षेत्र है, जहां महिला नामांकन पुरुषों से अधिक है।

भारत सरकार इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अधिक महिलाओं की भागीदारी के लिए विभिन्न पहल और प्रयास कर रही है। इसके बावजूद, प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों जैसे IITs, NITs, IISERs, डीम्ड विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों में महिला प्रतिनिधित्व अभी भी कम है।

भारत में सार्वजनिक नीति का उद्देश्य हमेशा 100 प्रतिशत साक्षरता और वैज्ञानिक सोच वाले समाज का निर्माण करना रहा है। प्रतिष्ठित IIT संस्थानों की स्थापना का उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कुशल कार्यबल तैयार करना था। विद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्राओं के नामांकन को बढ़ावा देना भारत सरकारों की प्राथमिकता रही है।

लैंगिक अंतर में कमी शिक्षा नीति और महिलाओं के लिए लागू कार्यक्रमों की सफलता को दर्शाती है। हालांकि, इस प्रगति को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक लड़की को स्कूल की पढ़ाई पूरी करने और अपनी रुचि एवं योग्यता के अनुसार उच्च शिक्षा में प्रवेश प्राप्त करने का अवसर मिले।

इन पहलों ने सामान्य और उच्च शिक्षा में सकारात्मक परिणाम देना शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक यह प्रगति मुख्य रूप से गैर-STEM क्षेत्रों में ही रही है। आने वाले वर्षों में महिला छात्रों की संख्या में वृद्धि जारी रह सकती है, लेकिन STEM पाठ्यक्रमों में महिलाओं के नामांकन को बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षा नीति निर्माताओं के निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। ऐसे प्रयास महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

यह विश्लेषण भारत सरकार की अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) रिपोर्ट से संकलित 2010-11 से 2021-22 तक के आंकड़ों पर आधारित है।

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