आदमी हम तो एहतेजाज के हैं…

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…. …… ग़ज़ल …….. …..

Aamir Khan
Poet-Aamir Khan


आदमी हम तो एहतेजाज के हैं,
वो हमारे कहाँ मिज़ाज के हैं,


गैर के साथ इश्क़ मत करना
हम तुम्हारे नहीं समाज के हैं,


मेरे बच्चों की ममलकत है अलग
वो नहीं कल के बल्कि आज के हैं,


मज़हबी रंग मे रंगे हुये लोग
ये सितमगर तो तख़्त ओ ताज के हैं,


उन पे वाज़ेह न होइए ‘आमिर’
जाने किस क़ौम किस रिवाज के हैं

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