नियम या नफरत? उर्दू गेट गिराए जाने का सच क्या है?

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नियम या नफरत? उर्दू गेट गिराए जाने का सच क्या है?

ग्लोबलटुडे/रामपुर[सऊद खान]:सपा के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को जाने वाली मुख्य सडक पर बना उर्दू गेट सियासत की भेंट चढ़ गया है। 5 मार्च 2019 तड्के 4 बजे जबकि अन्धेरा भी नही छटा था, कि जिला प्रशासन ने पांच बुलडोजर समेत कई थानों की पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच कर गेट तोड़ डाला गेट को ध्वस्त कर मलबा भी हाथों हाथ उठा दिया गया।Urdu Gate After Demolition1 1
आरोप है कि सत्ता में रहने के दौरान आज़म खां ने मानकों के विपरीत इस गेट को बनवाकर यूनिवर्सिटी को जाने वली सडक पर कब्ज़ा जमा लिया था जबकि यह सार्वजनिक रोड थी। जिलाधिकारी डीएम आंजनेय कुमार सिंह का कहना है कि उर्दू गेट को विधायक निधि से बनाया गया था। इसे निर्माण में 40 लाख रुपये सरकारी धन का प्रयोग किया गया था। लेकिन किसी भी नियम-कायदे की पालन नही किया गया था।
ऊर्दु गेट को ध्वस्त करने के लिये योगी सरकार ने लोक सभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुनकर विरोधियों को यह कहने का मौक़ा दे दिया कि यह सब एक वर्ग विशेष से नफरत के चलते किया गया। क्युंकि आनन-फानन में ध्वस्त किये गये गेट का नाम वर्ग विशेश की भाषा ” ऊर्दु ” के नाम पर था। यूँ तो गेट गिराये जाने के सरकारी तर्कों मे मुख्य तर्क था कि यह गेट मानकों के विप्रीत बेहद कम ऊंचाई का बनाया गया था, जिससे हेवी ट्रेफिक बाधित होता था।

Kashi ram Gate
कांशी राम जी प्रेरणा द्वार”

अगर यही बात सच मान ली जाये तो फिर योगी सरकार को अपने इस तर्क को वाजिब ठहराने के लिये राजधानी लखनऊ मे बने बेहद कम ऊंचाई वले गेट पर भी इसी तरह की कारवाई करना चाहिये थी जोकि की लखनऊ की पौश सडक माल एवेन्यू पर बना हुआ है। “मान्यवर श्री कांशी राम जी प्रेरणा द्वार” के नाम से बना येह गेट भी ऊर्दु गेट की बराबर ही ऊंचाई का है। इसी रोड पर उत्तर प्रदेश के संवैधानिक मुखिया के आवास गवर्नर हाउस का एक दरवाज़ा भी खुलता है। इतना ही नहीँ सभी मुख्य राजनैतिक दलों सपा,बसपा , कांग्रेस के कार्यालय इसी के आस पास हैं।
ट्रैफिक को कितनी बाधा इस गेट के चलते होती होगी इसकी मिसाल देखने को मिली जब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गान्धी 11 फ़रवरी को लखनऊ स्थित कांग्रेस के प्रदेश पार्टी के कार्यालय नेहरू भवन जुलूस की शकल मे जा रही थीं। तब उनका यह सफर इसी गेट के चलते बेहद लम्बे रास्ते से घूम कर जाने को विवश होना पड़ा था। देखना यह होगा कि ऊर्दु गेट गिराये जाने के पीछे कारण क्या वाकई मानकों की अनदेखी करते हुएकम ऊंचाई का गेट बनाना था। अगर था तो फिर यही मापदंड मुख्यमंत्री की नाक के नीचे लखनऊ मे बने बेहद कम ऊंचाई के गेट पर भी लागू होगा या नहीँ?

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