वन विभाग की टीम ने दोनों वहशी हाथियों को पकड़ा

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पिछल्रे कई दिनों से इन वहशी हाथियों ने रामपुर और आसपास के इलाक़ों में आतंक मचा रखा था। रामपुर की सीमा में 5 लोगों को और बरेली की सीमा में एक व्यक्ति कुचल कर मौत के घाट उतार दिया था।

ग्लोबलटुडे, 18 जुलाई
सऊद खान की रिपोर्ट


रामपुर में पिछले कई दिनों से दो जंगली हाथियों का आतंक फैला हुआ था। यह जंगली हाथी सबसे पहले बिलासपुर क्षेत्र में दिखाई दिए थे। वहां पर इन्होंने एक व्यक्ति कुचल कर मौत के घाट उतार दिया था और दो व्यक्तियों घायल किया था। वहां पर भी वन विभाग की टीम ने इनको पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन नहीं पकड़ पाई।
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पिछले 20 दिन से ये वहशी हाथी वन विभाग की टीम को कभी इस जंगल तो कभी उस जंगल घुमा रहे थे। वन विभाग की टीम और पुलिस की इन हाथियों ने नींद हराम कर रखी थी।
अब जंगली हाथी तहसील मिलक के नगला उदई गांव में गन्ने के खेत में छिपे हुए थे। वन विभाग की कई टीमों ने और पश्चिम बंगाल से आए हाथियों की स्पेशलिस्ट ने मिलकर ये सर्च ऑपरेशन चलाया और पश्चिम बंगाल से आई टीम तीन हाथियों पर सवार होकर गन्ने के खेत में गए, जहां दोनों जंगली हाथी बैठे थे। टीम ने दोनों जंगली हाथियों को ट्रंकुलाइज़र कर पकड़ लिया।

वन विभाग की टीम ने वहशी हाथियों को पकड़ा-फ़ोटो ग्लोबलटुडे
वन विभाग की टीम ने वहशी हाथियों को पकड़ा-फ़ोटो ग्लोबलटुडे

जंगली हाथियों की वजह से जनपद रामपुर में दहशत का माहौल था। लोग अपने घरों में दुबक कर बैठे हुए थे,यहाँ तक कि किसान अपने खेत पर किसानी करते हुए डर रहा था। बहरहाल वन विभाग की महनत रंग लाई और इन हाथियों को पकड़ लिया गया।
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डीएफओ ए के कश्यप ने ग्लोबलटुडे को बताया कि हाथी पहली बार 28 जून को देखे गए थे और 28, 29, 30, 3 दिन यहीं रहे थे और 1 तारीख को को चला गया था और 2 जुलाई को फिर यह वापस देखा गया और 3 जुलाई से 14 तक यह बरेली में रहा और 15 जुलाई को ये फिर रामपुर में आ गया। हमने हाथी के सर्च ऑपरेशन के लिए काफी सारे टेक्निक यूज़ किए। सबसे पहले टेक्निक बहुत सिंपल था। हाथी को फॉलो करें यह कहां जाता है और वो खुद ही चला जाएगा, ऐसा नहीं हो पाया। हाथी अपना रूट चेंज करता रहा फिर हमने इसे ड्राईव करने की टेक्निक अपनाई लेकिन यह तरीका भी कामयाब नहीं हो पाया। फिर हमने दुधवा से तीन हथिनी और एक हाथी मंगवाया था। उससे भी हमने प्रयास किया कि उसको ड्राइव करें उसमें भी हमें सफलता नहीं मिली। अंत में हमें हाथी को ट्रंकुलाइज़र करना ही पड़ा। क्योंकि हाथी आबादी की ओर आ रहा था। हमें एक हाथी को ट्रंकुलाइज़र कर उसको ट्रांसपोर्ट कर दिया था, लेकिन दूसरे हाथी को ट्रंकुलाइज़र करने के बाद बारिश आ गई थी, इस वजह से उसमें थोड़ी परेशानी हुई। इन हाथियों को ड्राइव करने के लिए बंगाल से 5-6 लोग आए थे और बाद में इनकी संख्या और बढ़ गई थी, क्यूंकि यह हाथियों के एक्सपर्ट हैं, इस वजह से इनकी मदद लेनी पड़ी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ से भी कुछ लोग आए थे और कर्नाटक से भी कुछ लोग आए थे।