एक्जिट पोल ओपिनियन पोल: लगा तो तीर नहीं तो तुक्का!
बिहार में तीसरे और अंतिम चरण में 57 फीसदी से ज्यादा मतदान के बाद अलग-अलग चैनलों पर आए एक्जिट पोल (Exit Polls) के अनुमान अगर सही साबित होते हैं तो तेजस्वी यादव (Tejashvi Yadav ) बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे। और 10 नवंबर, यानी तीन दिन बाद 15 साल से बिहार की सत्ता पर जोड़तोड़ से काबिज नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की विदाई हो जाएगी। आज के एक्जिट पोल (Exit Polls) के औसत पर नजर डालें तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन पूर्ण बहुमत हासिल करने जा रहा है। पोल ऑफ पोल्स यानी सभी एक्जिट पोल के औसत पर भी नजर डालें तो महागठबंधन को 135, एनडीए को 99, एलजेपी को 4 और अन्य को 5 सीटें मिलती दिखाई दे रही है।
एक्जिट पोल के अनुमान को अलग-अलग देखें तो इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एक्जिट पोल के नतीजे सबसे दिलचस्प हैं। इस सर्वे में 63081 लोगों से बात की गई है। जिनमें विकास के मुद्दे पर 42 फीसदी, बेरोजगारी के मुद्दे पर 30 फीसदी और महंगाई के मुद्दे पर 11 फीसदी लोगों ने वोट डाले हैं। यानी बिहार के 83 फीसदी वोटरों ने बुनियादी मुद्दों पर वोट किया है और सांप्रदायिक और भावनात्मक मुद्दों को खारिज कर दिया है। एक्जिट पोल में मुख्यमंत्री के तौर पर 44 फीसदी लोगों ने तेजस्वी यादव को पसंद किया जबकि नीतीश 35 फीसदी लोगों की ही पसंद रह गए हैं। आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एक्जिट पोल में एनडीए को 69-91 और महागठबंधन को 139-161 सीटों का अनुमान लगाया गया है। यानी कि सरकार बनाने के रास्ते में तेजस्वी की राह में कोई कील-कांटा नहीं रह गया है।

ये भी पढ़ें:-
आपको यहां ये बताना जरूरी समझता हूं कि ये वही आजतक या इंडिया टुडे चैनल है जिन्होंने चुनाव से करीब दो हफ्ते पहले लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल के बहाने एनडीए को 133-143 सीट दिए थे और महागठबंधन को कंजूसी के साथ 88-98 सीट देकर निपटाने की कोशिश की थी।
एबीपी न्यूज-सी वोटर ने एक्जिट पोल में एनडीए को 104-128 और महागठबंधन को 108-131 सीटें दी हैं। वहीं टाइम्स नाउ के साथ सी-वोटर के ही सर्वे में एनडीए को 116 और महागठबंधन को 120 सीटें मुकर्रर की गईं हैं। रिपब्लिक भारत-जन की बात के एक्जिट पोल में एनडीए को 91-117 और महागठबंधन को 118-131 सीटें दी हैं। वहीं टुडेज चाणक्य ने तो बिहार की 243 सीटों में एनडीए को महज 55 और महागठबंधन को 180 सीटें दे दी हैं।
दरअसल बिहार में चुनाव से ठीक पहले आजतक और एबीबी न्यूज के साथ मोदी और गोदी मीडिया के अन्य चैनलों ने आनन-फानन में ओपिनियन पोल कराए और बेशर्मी के साथ एनडीए के लिए हवा बनाने की कोशिश की। आजतक के लिए ये सर्वे लोकनीति-सीएसडीएस नाम की संस्था ने किया और एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने। अब बिहार चुनावों से पहले जरा इन चुनावी ज्योतिषों के ओपिनियन पोल के नतीजे पर गौर करें। आजतक-सीएसडीएस ने चुनाव पूर्व ओपिनियन पोल में एनडीए को 133-143 सीट और महागठबंधन को 88-98 सीट दिए। वहीं एबीपी न्यूज-सी वोटर तो नीम पर चढ़ा करैला साबित हुआ। एबीपी न्यूज-सी वोटर ने एनडीए को 147 सीट दे दी और महागठबंधन को 87 सीट ही दिए।
इतना ही नहीं दोनों चैनलों ने तीन दिनों तक इस फर्जी ओपिनियन पोल को खूब प्रचारित-प्रसारित भी किया। ताकि एनडीए के पक्ष में बेशर्मी के साथ हवा बनाई जा सके। इस काम के लिए दिल्ली से गोदी मीडिया के चुने हुए एंकर अंजना ओम कश्यप और श्वेता सिंह को दिल्ली से पटना भी भेजा गया। लेकिन हाय रे बिहार की जनता इनकी एक ना सुनी। ये सब करते हुए इन चैनलों ने अपने पाप छुपाने के लिए बस एक चालाकी की। अपने सर्वे में तेजस्वी को नीतीश के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय बता दिया।
अगर हम ओपिनियन और एक्जिट पोल के इतिहास में झांकें तो कई दिलचस्प किस्से सामने आते हैं। बिहार चुनावों को लेकर 2015 में एक्जिट पोल और ओपिनियन पोल तब किए गए थे जब मोदीजी ‘अच्छे दिन आनेवाले हैं’ का सपना दिखाकर सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने थे। उनका नारा था, ‘सबका साथ सबका विकास।’ हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को नौकरी देने और विदेशों से काला धन लाकर हर आदमी के खाते में 15-15 लाख रुपये डालने का एक ऐसा वादा किया था जो हर किसी को मोदीजी को वोट डालने के लिए उनमत्त कर सकता था। और ऐसा हुआ भी। मोदीजी ने संसद की सीढ़ियों पर माथा टेक कर, संविधान की रक्षा की कसमें खाकर मई 2014 में गद्दीनशीन हुए थे।

मोदीजी के प्रदानमंत्री बनने के करीब डेढ़ साल बाद अक्तूबर 2015 में बिहार के चुनाव हो रहे थे। तब देश में मोदीजी की लहर चल रही थी। उसके बावजूद बिहार की जनता ने उन्हें सिर आंखों पर नहीं बिठाया। तब मोदीजी ने ना केवल बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था बल्कि आरा कि सभा में मदारियों वाले अंदाज में बिहार के लिए सवा लाख करोड़ के विशेष पैकेज देने की घोषणा भी की थी। लिहाजा राजनीतिक भविष्यवाणी करने वाली ज्योतिष संस्थाएं, जिनमें सीएसडीएस, सी-वोटर, चाणक्य, नीलसन, एक्सिस, हंसा रिसर्च और सिसेरो सर्वे जैसी संस्थाओं ने आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन को ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल दोनों में जीतता हुआ दिखाने में भारी कंजूसी बरती। और जब 2015 के असली नतीजे सामने आए तो महागठबंधन (आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस) को 243 सीटों में 178 सीटें आईं। वहीं एनडीए (बीजेपी, एलजेपी, आरएलएसपी और एचएएम) को महज 58 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इन 58 सीटों में से बीजेपी अपने दम पर 53 सीटें ही जीत पाई जबकि बीजेपी के 157 उम्मीदवार मोदी लहर पर सवारी करते हुए चुनाव मैदान में तलवार भांज रहे थे।
बहरहाल बिहार के ताजा चुनाव से पहले के ओपिनियन पोल और चुनाव के ठीक बाद के एक्जिट पोल के अनुमानों पर निगाह डालें तो इस गोरखधंधे की असलियत सामने आ जाती है। बात बस इतनी सी है कि चुनाव से पहले जिस पार्टी से प्रसाद मिल जाए ओपिनियन पोल उसी के पक्ष में हवा बनाने में लग जाते हैं और एक्जिट पोल में थोड़ा दुरुस्त हो जाते हैं ताकि जनता की नजर में थोड़ी-बहुत इज्जत बची रहे। और लोकनीति-सीएसडीएस और सी-वोटर की तरह विश्वसनीयता का फलूदा ना निकल जाए। वैसे ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल किसी तीर-तुक्के से कम नहीं होते हैं। पुरानी कहावत है, ‘लगा तो तीर नहीं तो तुक्का।‘
- सपा नेता आजम खान की पत्नी और बेटे को शत्रु संपत्ति मामले में रेगुलर बेल
- हैप्पी हैप्पी रमजान: दुबई में इफ्तार की बदौलत गैर-मुस्लिम लोग भी इस्लाम अपनाने लगे हैं
- मक्का मुकर्रमा में मूसलाधार बारिश, उमराह के लिए आये ज़ायरीन का बारिश में मस्जिद अल-हरम का तवाफ़
- एक और मर्द शहीद ! मेरठ में सौरभ, साहिल और मुस्कान की दर्दनाक कहानी-वेद माथुर
- मलेशिया में 15 बांग्लादेशी क्रिकेटर गिरफ्तार, वजह सामने आई