जीतन राम माझी का बयान सीमांचल में दलित-शेरशाहबादी को लड़ाने की नाकाम कोशिश है।
पटना 23, जुलाई: बिहार के सीमांचल में दो दिवसीय किशनगंज दौरे पर गए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जिस प्रकार एक मुस्लिम समुदाय शेरशाहबादी पर वहां के दलितों एवं आदिवासियों पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया। इस बयान के बाद सीमांचल की राजनीति गर्म हो गई है।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं कटिहार के वरिष्ठ नेता तौकीर आलम ने पूर्व मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। तौक़ीर आलम ने कहा कि भाजपा सीमांचल में हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने और गंगा जमुनी तहजीब के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने में नाकाम हुई तो इन्होंने जीतनराम माँझी को मोहरा बनाकर दलित-शेरशाहबादी (पसमंदा मुस्लिम) को लड़ाने की कोशिश शुरू कर दी।
तौक़ीर आलम ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में जब से भाजपा सत्ता से दूर हुई है, तब से भाजपा बोखलाई हुई है। जब पूरे प्रदेश में कोई मुद्दा नहीं बचा तो सीमांचल को टारगेट कर भाजपा के अमित शाह समेत राष्ट्रीय व प्रदेश के नेताओं द्वारा यहाँ की अवाम को बरगलाने की नाकाम कोशिश की गयी। लेकिन सफलता नहीं मिलने पर अब अपनी जमीनी सियासत खोने के बाद हाल ही में भाजपा के साथ आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम माँझी को मोहरा बनाया गया और सीमांचल भेजकर दलित को शेरशाहबादी (पसमांदा मुस्लिम) से लड़ाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि बड़ी हैरत की बात है कि जो सूबे का मुख्यमंत्री रहा हो उनको बिहार के जाति और समाज का ज्ञान तक नहीं या फिर जानबूझकर शेरशाहबादी समाज को बाहरी कहना और पूरी जाति पर दलित समाज की जमीन हड़पने का इल्जाम लगाना ये सिर्फ समाज को अपमानित करने का काम ही नहीं बल्कि एक भाईचारे वाली समाज को आपस में लड़ाने की बड़ा षड्यंत्र किया जा रहा है – जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस तरह की नफरत फैलाने वाली बयानबाज़ी सीमांचल में चलने वाली नहीं है।
बीजेपी पर दो जातियों को लड़ाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए तौक़ीर आलम ने कहा कि मणिपुर जिस तरह जातियों की लड़ाई में जलकर राख हो रहा है और जिस तरह भाजपा और उसकी सरकार ने उसे शांत करने और दंगा और नफरत को रोकने के बजाए अपने नफरती बयानों से उसे बढ़ावा देने का काम किया है, क्या सीमांचल में शेरशाहबादी समाज को टारगेट करके उसे दूसरे समाज से भाजपा और एनडीए के लोग लड़ाना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि जब से जीतनराम मांझी भाजपा के साथ गठबंधन में गए हैं उनके सुर बदल गए हैं और अपनी राजनीति रोटियां सेंकने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं। बिना जानकारी के उनको ऐसा बयान देने से बचना चाहिए, मैं भाजपा और माँझी जी को कहना चाहता हूँ कि सीमांचल का इलाक़ा मेहनतकश और पसमांदा इलाकों में शुमार है यहाँ के लोग अमनपसंद है और आपसी भाईचारे के साथ रहते है, इसलिए यहां नफरत का बीज बोकर लड़ाने की कोशिश ना करें। और जिस तरह से जीतनराम मांझी ने शेरशाहबादी समाज को बाहरी और पूरे समाज को दलितों की जमीन हड़पने का बेबुनियाद इल्जाम लगाया हैं, उसको वह साबित करे या फिर को पूरे सीमांचल के लोगों से सर्वजनिक तौर पर माफी मांगे।
बता दें कि किशनगंज में दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को पहुंचे जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि शेरशाह बादी समुदाय को विदेशी बताया था। पूर्व सीएम माझी ने कहा था कि शेरशाह बादी समुदाय के लोगों ने सीमावर्ती इलाकों में मौजूद गैरमजरूआ और आदिवासियों के जमीन को अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है। उन्होंने शेरशाहवादी समुदाय को बाहर से आया हुआ भी बताया था।
- The Waqf Bill is a highly condemnable move that paves the way for legislative discrimination against Muslims: Syed Sadatullah Husaini
- उत्तराखंड: सरकार ने मुस्लिम इतिहास से जुड़े 15 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की
- क्या ‘सिकंदर’ सलमान खान की पुरानी फिल्मों का रिकॉर्ड तोड़ने में नाकाम रही?
- दुबई: ईद पर मज़दूरों के लिए अनोखा ईद मिलन, ईदी में कारें और सोने की ईंटें दी गईं
- गुजरात में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट, 17 लोगों की मौत
- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित