AMU विवाद कि ज़िम्मेदारी मोदी लें
ग्लोबलटुडे न्यूज़ डेस्क/लखनऊ: 15 फरवरी २०१९ को लखनऊ में हजरतगंज स्थित अम्बेडकर प्रतिमा पर तमाम सामाजिक संगठनो ने पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रधांजलि अर्पित करने और एएमयू छात्रों पर से देशद्रोह का मुक़दमा तत्काल वापस लिए जाने की मांग की। श्रधांजलि देते हुए रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा की 56 इंच का सीना रखने वाली मोदी सरकार में लगातार सेना के जवानों पे हमले हो रहे हैं। वो बताये की एक के बदले दस सर लाने वाली मोदी सरकार कि क्यूँ सीमा पर हमारे जवान मारे जा रहे है। उन्होंने एएमयू के छात्रों पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज करने की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि गोडसे के वारिस एएमयू को बदनाम करने का षडयंत्र कर रहे हैं।
रिहाई मंच नेता शाहरुख़ अहमद ने कहा कि नोटबंदी से अतंकवादियो की कमर टूटने का दावा करने वाली मोदी सरकार बताये की पुलवामा जैसी घटनाए क्यूँ हो रही हैं। एएमयू की घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि रिपब्लिक टीवी के अराजकतावादी तथाकथित पत्रकार आरएसएस के स्वयंसेवक की तरह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ध्वस्त करने पर आमादा हैं। एएमयू को आतंकवाद का गढ़ बताने वाले गोडसे के वंशज बताएं की महात्मागांधी का हत्यारा गोडसे आतंकवादी था कि नहीं। देशद्रोह का ये आरोप सिर्फ एएमयू के छात्रों पर नहीं बल्कि पूरे संस्थान को निशाने पर लेते हुए लगाया गया है और ऐसे में एएमयू प्रशासन को छात्रों के साथ खड़ा होना चाहिए। सिर्फ बैलेंस बनाने के लिए 4-4 छात्रों का निलम्बन कहीं न कहीं उन सांप्रदायिक तत्वों को बढ़ावा देगा जिन्होंने पिछले साल जिन्ना की तस्वीर पर विवाद और पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर हमले की साज़िश रची थी।
रिहाई मंच नेता रॉबिन वर्मा ने शहीदों को श्रधांजलि देते हुए कहा कि सेना को आधुनिक साज़ो-सामान से लैस करने की बात करने वाली मोदी सरकार बताये कि एक सप्ताह पहले ख़ुफ़िया एजेंसीयों के हमले के इनपुट के बावजूद ठोस क़दम क्यूँ नहीं उठाए गए। सरकार की नाकामी ने 40 से ज़्यादा हमारे जवानों की जान ले ली। उन्होंने मांग की शहीद हुये जवानों को शहीदी का दर्जा दिया जाए। उन्होंने एएमयू विवाद पर बात रखते हुए कहा की रिपब्लिक टीवी द्वारा एएमयू पर साजिशन दोहरा हमला कर बदनाम करने की साजिश की गई है। पहले तो रिपब्लिक टीवी के पत्रकार द्वारा आतंकवादियों की यूनिवर्सिटी कहा गया और बाद में भाजपा विधायक के पौत्र अजय सिंह व अन्य बाहरी आराजक तत्वों के साथ मिलकर फायरिंग, मारपीट, गाली गलौज और झूठे बयान लिखाए गए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की ताज़ा रैंकिंग में एएमयू जहाँ बहुत सारे विश्वविद्यालयों को पीछे छोड़ते हुए टॉप 40 में शामिल हुआ है। लेकिन मनुवादी, फासिस्ट सोच रखने वाले इस बात को हज़म नहीं कर पा रहे हैं। इस लिए बार-बार एएमयू को बदनाम किया जा रहा हैं।
एसआईओ के अब्दुल्लाह शाहिमी ने कहा एएमयू को लगातार हिंदुत्वादी और फासिस्ट ताकतों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है। कभी जिन्ना तो कभी तिरंगा यात्रा तो कभी देशद्रोह के झूठे आरोप लगाकर एएमयू को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। हालिया घटना क्रम भी पिछली जनवरी में तिरंगा यात्रा से शुरू हुआ था और माहौल को खराब करने की साजिश चल रही थी।
एएमयू के पूर्व छात्र नेता मलिक फैसल ने पुलवामा के शहीदों को श्रधांजलि देते हुए कहा की अलीगढ़ में गाँधी की शहादत दिवस के दिन हिन्दू महासभा पदाधिकारी पूजा शकुन पाण्डेय द्वारा जिस तरीके से गाँधी के पुतले को गोली मार गोडसे का गुडगान किया गया और प्रशासन द्वारा गिरफ़्तारी में लेटलतीफ़ी से हुई, किरकिरी के बाद षड़यंत्र के तहत एएमयू को बदनाम करने के लिए पूरी घटना को अंजाम दिया गया।
इंटीग्रल विश्वविद्यालय के छात्र हुमायूं ने कहा की एएमयू छात्र संघ द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर मुसलमानों की भूमिका और उनके राजनितिक अधिकार पर विचार विमर्श के लिए एक बैठक बुलाई गई थी। ठीक उसी समय रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों ने बैठक में जबरन घुसने की कोशिश की। एएमयू के सिक्यूरिटी ऑफिसर द्वारा रोकने पर रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों ने हाथापाई की। यूनिवर्सिटी को आतंकवाद का गढ़ कहते हुए सबके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी भी दी। ठीक इसके बाद सुनियोजित तरीके से हिन्दुत्वादी संगठनों द्वारा विश्वविद्यालय का माहौल खराब करने की कोशिश की गई।
सभा में डॉ मज़हर, वसीम मलिक, रिहाई मंच के विनोद यादव, शकील कुरैशी, शाहरुख़ अहमद, शम्स्तबरेज़, रॉबिन वर्मा, शाहआलम, शहबाज़ मलिक, एसआईओ के अब्दुल्लाह शाहीमी, मुबीनउलहक़, जुबेर खान, इंटीग्रल विश्वविद्यालय से सैफ़ खान, इमरान अहमद, इरफ़ान खान, युसूफ, आदिल, हसीन, मो। शारिक और हुमायु, आदि मौजूद रहे।