नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने बुलडोज़र कार्यवाही के मुद्दे पर गंभीर टिप्पणी करते हुए मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। यह फैसला एक बड़ी पहल का परिणाम है, जिसे पीड़ितों की सीधी याचिकाओं के आधार पर अदालत में लाया गया। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रकार की कार्रवाइयों के खिलाफ राष्ट्रीय गाइडलाइन्स बनाने की मांग की है, ताकि इस तरह के मामलों में निष्पक्ष और संवैधानिक तरीके से कार्रवाई हो सके।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में हाल के महीनों में बुलडोज़र द्वारा घरों को गिराने की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से कई मामलों में यह पाया गया कि अपराधी या संदिग्धों के बजाय निर्दोष लोगों के घरों को तोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए साक्ष्यों के अनुसार, उदयपुर और जावरा जैसे स्थानों पर भी इस तरह की घटनाएं हुईं, जहां किरायेदारों या परिवार के किसी सदस्य के अपराध के आधार पर मकान मालिकों के घर तोड़े गए।
APCR(Association for Protection of Civil Rights) के वकीलों की एक मजबूत टीम, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सीयू सिंह, एडवोकेट फ़ौज़िया शकील, एडवोकेट उज्ज्वल सिंह और एडवोकेट हुज़ैफ़ा शामिल थे, ने यह मामला अदालत के संज्ञान में लाया। उन्होंने जहांगीरपूरी और अन्य मामलों को भी पुनः प्रस्तुत कर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश की।
इससे पहले, जब पीड़ितों के पास सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का साहस नहीं था, तब उन्हें विभिन्न संगठनों के माध्यम से अपनी आवाज़ उठानी पड़ी। लेकिन अब, पीड़ितों ने सीधी याचिकाओं के माध्यम से अदालत से न्याय की गुहार लगाई है। याचिका में मांग की गई है कि पूरे देश में बुलडोज़र कार्रवाइयों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन्स बनाई जाएं, ताकि निर्दोष लोग ऐसे अत्याचारों का शिकार न बनें।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और 17 सितंबर तक गाइडलाइन्स प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अदालत के इस कदम को न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
इस पूरे मामले में वकीलों के साथ-साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान की टीमों की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने जमीनी स्तर पर तथ्यों को इकट्ठा कर उन्हें अदालत के सामने पेश किया। पीड़ितों और उनके समर्थकों ने इस लड़ाई को लंबा और चुनौतीपूर्ण बताया, लेकिन साथ ही कहा कि वे न्याय के लिए अंत तक संघर्ष करेंगे।
यह मामला इस ओर भी संकेत करता है कि कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से देश में न्याय की आशा अब भी जीवित है, भले ही यह राह कठिन और लंबी हो।
- Delhi Riots: दिल्ली की अदालत ने 4 साल बाद उमर खालिद को 7 दिन की अंतरिम जमानत दी
- पत्रकारों पर जासूसी करने के आरोप में आयरिश पुलिस पर भारी जुर्माना लगाया गया
- मेरठ में दिल्ली पुलिस का मोस्टवांटेड 50 हजार का ईनामी अनिल उर्फ सोनू मटका एनकाउंटर में ढेर
- Kashmir: Job Scam Unearthed In Kupwara, Investigations Underway: Police
- Driver Killed, Conductor Injured After Truck Falls Into Gorge In Anantnag
- Those Who Forget Their Mother Tongue Are As Good As Dead : Dr. Shams Equbal