Translated by Hina Kouser from Article I have learnt from the Prophet pbuh by Dr Durdana Yasin
12 रबी-उल-अव्वल (29 अक्टूबर) #करुणा दिवस
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से शुक्र गुज़ार (कृतज्ञ) बनने की। उन्हें कभी अपने जीवन से कोई शिकायत नही हुई, यहाँ तक कि उनके माता-पिता नही थे न ही उनके पास धन था। अज्ञानता मे डूबे समाज में उनका जन्म हुआ। वह बहुत से अत्याचारों और उत्पीड़न का शिकार हुए।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद से ज्ञान और बुद्धिमत्ता का स्वामी बनने की। यहाँ तक कि उनको कोई प्रारम्भिक शिक्षा भी नही मिली थी।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से स्त्रियों का सम्मान करने और समाज मे उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने की। वह ऐसे समाज मे स्त्रियों के लिए खड़े हुए जहाँ जन्म होते ही कन्याओं की हत्या कर दी जाती थी और स्त्रियों को एक वस्तु समझा जाता था।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से लोगों के प्रति सहानुभूति रखने की। जिसके आधार पर वह भूखों और बेघरों को खाना खिलाते थे जबकि वह स्वयं कई दिनो से भूखे होते।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से कि कैसे वह दया और शक्ति का जीता-जागता नमूना थे, उन्होने उन लोगो की भी भलाई की प्रार्थना की जिन्होने उनको पत्थर मारे और घायल किया, यहाँ तक कि उनके जूते रक्त से भर गए।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से सच्चाई के लिए अपनी आवाज़ उठाने की, भले ही ऐसा करने के लिए स्वयं अपने या अपने प्रियजनो के विरूद्ध ही क्यूं न खड़ा होना पड़े।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से ईश्वर और उसकी योजनाओं मे दृढ विश्वास और आस्था रखने की। ईश्वर की इच्छानुसार उन्होंने युद्ध किया और विजय भी प्राप्त की। जबकी किसी ने नहीं सोचा था कि इतने कम साधनों के साथ वह जीत सकेंगे।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से दूरदर्शिता के गुण की जिसके आधर पर उन्होंने उस संधि को भी स्वीकार किया जो स्पष्ट रूप से उनके विरुद्ध थी। वास्तव में इस संधि ने भविष्य मे इस्लाम के लिए बहुत से नए पहलू खोल दिए थे।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से सज्जनता और करुणा के गुण की जिसके आधार पर वह उस बीमार स्त्री की देख-भाल करने भी गए, जो उन पर कचरा फेंकती थी।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से दृणता और क्षमाशीलता की जिसके कारण उन्होंने “हिंदा” को भी क्षमा कर दिया था जिसने मुहम्मद के प्रिय चाचा के शव को क्षत-विक्षत किया था।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से समर्पण और सहयोग की। जिसका परिचय उन्होंने सहाबाओं (अपने सत्सन्गियों) के साथ खुदाई करते हुए, भूख के कारण अपने पेट पर पत्थर बाँधकर दिया।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से धन सम्पत्ति, शक्ति व विलासिता का इनकार करने की। इन सब का प्रस्ताव उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया, उनकी आस्था, सिद्धांतो, शिक्षाओं और उद्देश्यों के बदले।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से अन्य धर्मों के प्रति भी सहनशील होने की, उन्होने युद्ध क्षेत्र में मना कर दिया, किसी भी धर्म के धार्मिक स्थलों को नष्ट करने से।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से अपनी आस्था और उद्देशयों के प्रति धैर्य और सहनशीलता के साथ लगे रहने की। यहाँ तक कि उनके परिवार का तीन वर्षों के लिए बायकाॅट कर दिया गया।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से विनम्रता की जिसके कारण उन्होंने किसी के भी निमंत्रण और उपहार को अस्वीकार नहीं किया चाहे वह किसी भी पद और श्रेणी से सम्बंध रखता हो।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से कि हमें समाज के हर वर्ग के लिये को शांति और प्रेम की भावना रखनी चाहिए। वह सभी के लिए शांति और सफ़लता की कामना करते थे।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से बहादुरी और साहस की। वह बचपन से ही बहादुर और साहसी थे उन्होंने हमेशा आगे रहकर युद्धो का नेत्तृत्व किया, जबकी उनकी सेना मे पर्याप्त बहादुर और निडर योद्धा विद्दमान थे। उन्होंने हमेशा आगे रहकर बिना किसी डर और हिचकिचाहट के अपनी सेना का मनोबल बढ़ाया।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से सत्यता और करुणा (रहम) की। रक्त की एक बूंद भी बहाए बिना और शांतिपूर्ण ढंग से मक्का शहर पर विजय प्राप्त की। यहाँ जिन लोगो ने कभी उनके साथ बुरा किया था, मुहम्मद (स.अ.) ने उन्हे भी क्षमा करने, शरण देने और उनके प्रति करुणा करने का वचन दिया।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से मानवता के प्रति प्रेम-भाव रखने की। वह प्रत्येक से प्रेम-भाव से मिलते थे। वह समाज के हर वर्ग के स्त्री, पुरुष, बच्चे, बूढ़ों, गरीबों व अमीरों से प्रेम-भाव रखते थे। वह सभी का सम्मान करते थे।
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से कि कैसे इस निर्दयी दुनिया मे जिया जाए? और सम्पूर्ण विषमताओ को हराते हुए सभी क्षेत्रों मे कैसे अग्रणी हो सके?
मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से एक आज्ञाकारी बेटा, प्रियतम पति, उत्तम ढंग से पालन-पोषण करने वाले पिता, एक जिम्मेदार राष्ट्रवादी, एक अनुशासित योद्धा, एक आध्यात्मिक गुरु और एक सम्पूर्ण मानव कैसे बना जाए?
तो हम कह सकते हैं कि मुहम्मद (स.अ.) सम्पूर्ण मानव जाति के लिये एक उत्तम आदर्श हैं। वह निराकार ईश्वर के अंतिम ईश्दूत थे। जिसका वर्णन सबसे प्राचीन ईश्वरीय ग्रन्थों में भी मिलता है। मुहम्मद (स.अ.) को एक आदर्श बनाकर लोगो के पास भेजा गया, जिसका लोग अनुसरण कर सफ़लता प्राप्त कर सकें।
इस लेख का मुख्य उद्देश्य उनके चरित्र और व्यक्तित्व की झलक प्रस्तुत करना है।
तो पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) की करुणा भावना से आपने क्या सीखा? और मुहम्मद (स.अ.) की शिक्षाओ का विस्तार करने के लिए आप “करुणा दिवस” 12 रबी-उल-अव्वल (29 अकटूबर) पर करुणा का क्या कार्य कर सकते हैं?
इस दिन हम आपको करुणा का कोई भी छोटे से छोटा कार्य करने के लिए आमन्त्रित करते हैं। ताकि सम्पूर्ण विश्व को संदेश पहुँच सके कि कैसे इस महानपुरुष ने ईश्वरीय संदेश लोगों तक पहुँचाने के लिए कितना कठिन जीवन व्यतीत किया।
हिना कौसर द्धारा अनुवादित लेख “मुझे शिक्षा मिली है पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) से” व डा. दुर्दाना यासीन द्धारा रचित.