कौंसिल ने 10 अगस्त को मनाया ‘अन्याय दिवस‘।
लखनऊ: 10 अगस्त 1950 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा एक विशेष अध्यादेश द्वारा संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगाकर मुस्लिम व ईसाइ दलितों (अनुसूचित जाति) से आरक्षण छीने जाने के विरूध्द राट्रीय उलेमा कौंसिल की तत्वाधान में आसाम प्रदेश,दिल्ली प्रदेश,राजस्थान प्रदेश,तमिलनाडु एवम उत्तर प्रदेश के लखनऊ सहित आजमगढ़,जौनपुर,कुशीनगर,बहराइच,कानपुर, फिरोजाबाद,शाहजहापुर,अलीगढ़,चंदौली, जालौन उरई,हमीरपुर,सहारनपुर यूनिट ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
लखनऊ में पार्टी प्रवक्ता एडवोकेट तलहा रशादी के नेतृत्त में ज्ञापन दिया गया।
इस अवसर पर प्रेस को जारी बयान में राट्रीय उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय प्रवक्ता एडवोकेट तलहा रशादी ने कहा कि आजादी का पहला उद्देश्य था के सभी वर्गों की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना था। धर्म, जात, वर्ग, नस्ल, लिंग के भेदभाव के बिना सभी वर्गों के पिछडेपन को दूर करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए उन्हे आरक्षण की सुविधा दी गई जो सदियों से अन्याय के शिकार रहे। परन्तु जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली स्वतंत्र भारत की पहली कांग्रेस सरकार ने समाज के विभिन्न दलित वर्गों के साथ भेदभाव करते हुए संविधान में आरक्षण से सम्बंधित अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगा दिया और धर्म विशेष को छोड़ समाज के अन्य धर्मों से सम्बन्ध रखने वाले दलितों को 1936 से मिल रहे आरक्षण को छीन लिया जो कि भारतीय संविधान के मूलभूत सिध्दानतों के ही विरूध्द था।
उन्होने कहा कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण नही देता तो धर्म के आधार पर आरक्षरण छीना कैसे जा सकता है? परन्तु यह निंदनीय है कि जवाहर लाल नेहरू की नेतृत्व वाली सरकार ने 10 अगस्त 1950 को एक विशेष अध्यादेश पास कर अनुच्छेद 341 में यह शर्त लागू कर दी कि हिन्दु धर्म को छोड़ अन्य धर्म को मानने वाले अनुसुचित जाति के सदस्य नही माने जाऐंगे अर्थात वह अनुसुचित जाति को मिलने वाले आरक्षण के योग्य नही होंगे।
इस प्रकार तत्कालीन नेहरू सरकार ने संविधान का उल्लंघन करते हुए धर्म के आधार पर आरक्षण को प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि सरकार के विरूध्द आन्दोलन होने पर 1956 में सिखो को और 1990 में बौध्द धर्म को मानने वालों को नए संशोधन कर इस सूचि में जोड़ दिया गया परन्तु मुस्लिम और ईसाई वर्ग के दलित को आज भी इस सूचि से बाहर रखा गया है और उनके मूल अधिकारों को उल्लंघन किया जा रहा है।
नेहरू द्वारा लागू किया गया यह ‘काॅन्सटीटूशन (शिडूल्ड कास्ट) आर्डर 1950‘ असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक एवं अन्याय, अत्याचार व संप्रदायिक्ता पे आधारित है जिसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए।
उन्होने कहाकि इस अन्यायपूर्ण भेदभाव के कारण मेहतर, मोची, खाटी, धोबी, नट, लालबेगी, डोम, दफाली, हलालखोर और हेला आदि ऐसी बहुत सारी मुस्लिम व ईसाई जातियां हैं जो हिन्दु दलितों की तरह उनके जैसे पेशे से जुडी हुयी हैं लेकिन हिन्दु दलित जातियां सरकारी नौकरियों, राजनीति, शिक्षा व रोजगार आदि में आरक्षण पातीं हैं जबकि उसी पेशे वाले मुसलमान व ईसाई जातियों को इस आरक्षण से वंचित रखा गया है।
इस भेदभाव के कारण देश का मुसलमान पिछले 70 सालों में इतना पिछड़ गया है कि सच्चर कमेटी समस्त मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक हालत दलितों से बद्तर लिखती है।
राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल इस अन्याय के विरूध्द पहले दिन से आवाज उठा रही है और इस मांग को लेकर देश भर में आज के दिन आंदोलन कर रही है, पार्टी ने 2014 में जंतर मंतर पर 25 दिन तक भूख हड़ताल व धरना देकर यूपीए सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर हमारी बात को नहीं माना गया तो किसी भी दिशा में उसे दुबारा सत्ता में आनें नहीं देंगे जिसमें हम सफल भी रहे। चूंकि आज ही के दिन 10 अगस्त 1950 को पंडित नेहरू ने सांप्रदायिकता पर आधारित इस अध्यादेश को जारी किया था इसलिए आज हम इस धरने के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की र्वतमान केन्द्रीय सरकार से यह मांग करते हैं कि वह संविधान के अनुच्छेद 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटा कर दलित मुसलमानों व ईसाइयों के आरक्षण के संवैधाकि अधिकार को बहाल करके सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के अपने वादे को पूरा करे वरना उनका भी हश्र कांग्रेस की तरह ही होगा।
आज कल भाजपा पसमांदा मुसलमानों की बात कर रही है, अगर वो सच में इस तबके के हितैशी हैं तो इस प्रतिबंध को तत्काल हटाकर इस वर्ग को न्याय दें।
इस अवसर पर राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल की ओर से प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी को सम्बोधित एक ज्ञापन भी जिला प्रशासन को सौंपा गया।
ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से पार्टी प्रवक्ता एडवोकेट तलहा रशादी, आसाम प्रदेश अध्यक्ष मौलाना उबैदुर्रहमान,दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष नूरुल्लाह साहब, राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सय्यद यूनुस अली,तमिलनाडु इंचार्ज इस्माईल ,उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर अनिल सिंह,यूथ प्रदेश अध्यक्ष नूरुल हुदा, मौलाना मुक्तदा हुसैन खैरी, प्रदेश कोषाध्यक्ष शहाब आलम, मुबारक खान,सहित सभी ज़िलों के जिलाध्यक्ष उपस्थित रहे।
- Winter Vaccation Anounced In J&K Degree Colleges
- National Urdu Council’s Initiative Connects Writers and Readers at Pune Book Festival
- पुणे बुक फेस्टिवल में राष्ट्रीय उर्दू परिषद के तहत ”मेरा तख़लीक़ी सफर: मुसन्निफीन से मुलाक़ात’ कार्यक्रम आयोजित
- एएमयू में सर सैयद अहमद खान: द मसीहा की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित
- Delhi Riots: दिल्ली की अदालत ने 4 साल बाद उमर खालिद को 7 दिन की अंतरिम जमानत दी
- पत्रकारों पर जासूसी करने के आरोप में आयरिश पुलिस पर भारी जुर्माना लगाया गया