नई दिल्ली: दुनिया का कोई अपराधी खुद को कितना भी शातिर समझे, लेकिन वह कोई न कोई ऐसी गलती जरूर कर बैठता है, जिसकी मदद से पुलिस उस तक पहुंचने में कामयाब हो ही जाती है। एक ऐसा ही मामला दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सामने आया है। यहाँ आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने एक ऐसे शातिर शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसकी तलाश पुलिस बीते 22 सालों से कर रही थी।
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस की गिरफ्त में आए इस शख्स ने सिर्फ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को ही नहीं, बल्कि तीन और मुल्कों की पुलिस को भी परेशान कर रखा था।
आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी के अनुसार, इस आरोपी शख्स की पहचान नवतेज सिंह के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि नवतेज मूल रूप से पठानकोट (पंजाब) के लामिनी रोड मोहल्ले का रहने वाला है।
न्यूज़18 के अनुसार उन्होंने बताया कि नवतेज सिंह के खिलाफ जनवरी 2002 में आईपीसी की धारा 419/420/468/471 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। दिसंबर 2006 में नवजेत नाम के इस आरोपी को कोर्ट ने प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किया था। लगभग 22 सालों की लंबी जद्दोजहद के बाद आईजीआई एयरपोर्अ पुलिस ने आरोपी को पंजाब के पठानकोट के एक ठिकाने से गिरफ्तार किया है।
क्या है पूरा मामला?
आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी के अनुसार, यह मामला 2002 का है। 24 जनवरी की रात नवतेज सिंह नामक इस शख्स को जर्मनी से आईजीआई एयरपोर्ट लाया गया था। आईजीआई एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन चेक के दौरान पाया गया कि नवतेज को जर्मनी की सुरक्षा एजेंसियों ने डिपोर्ट किया था और वह इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर जर्मनी से आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा था।
पूछताछ में सामने आई यह बात
इमीग्रेशन जांच के दौरान पाया गया कि नवेजत को चंडीगढ़ आरपीओ से पासपोर्ट जारी किया गया था। इसी पासपोर्ट पर पह बैंकॉक से होते हुए जमर्नी पहुंचा था। जर्मनी पहुंचने के बाद उसने पासपोर्ट के खोने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसी शिकायत के आधार पर नवतेज ने जर्मनी में इमरजेंसी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था और तब से वह अवैध तरीके से जर्मनी के विभिन्न शहरों में रह रहा था।
डिपोर्ट क्यों किया गया था?
जर्मनी में नवतेज सिंह को इमरजेंसी सर्टिफिकेट तो जारी कर दिया गया, लेकिन वहां की सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का शक हो गया कि वह जर्मनी में बसने के इरादे से गैरकानूनी हथकंडे अपना रहा है। इसी शक के आधार पर जर्मनी की सुरक्षा एजेंसियों ने उसे दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट के लिए डिपोर्ट कर दिया था। वहीं आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचने के बाद नवतेज को गिरफ्तार कर लिया गया।
सबको चकमा दे हुआ फ़रार
गिरफ्तारी के बाद नवतेज से प्रारंभिक पूछताछ की गई और फिर उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। जमानत पर रिहा होने के बाद नवतेज ऐसा फरार हुआ कि 22 सालों तक फिर कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया। वहीं 22 साल बात नवतेज से एक ऐसी गलती हो गई, जिसकी ताक में करीब दो दशक से पुलिस घात लगाए बैठी थी।
क्या ग़लती हुई?
आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उपायुक्त उषा रंगनानी के अनुसार, आरोपी नवतेज सिंह को जर्मनी में जारी किए गए इमरजेंसी सर्टिफिकेट की जांच के दौरान इमीग्रेशन ब्यूरो के अधिकारियों को कुछ शक हुआ। दरअसल, जांच के दौरान पता चला कि इमीग्रेशन ब्यूरो के सिस्टम में दर्ज पता और इमरजेंसी सर्टिफिकेट में दर्ज पता अलग-अलग है। बस यही एक गलती आरोपी नवतेज सिंह को भारी पड़ गई।
इसके बाद, इमीग्रेशन ब्यूरो के अधिकारियों ने नवतेज को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। पूछताछ के दौरान, आरोपी नवतेज ने जो खुलासे किए, उसे सुनकर इमीग्रेशन अधिकारियों के भी कान खड़े हुए हो गए। आरोपी नवतेज के मंसूबे जानने के बाद इमीग्रेशन ब्यूरो ने उसे आईजीआई एयरपोर्ट के हवाले कर दिया। वहीं आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू दी।
बैंकॉक जाने का मंसूबा क्या था?
डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, आरोपी नवतेज ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह टूरिस्ट वीजा पर वर्ष 2000 में बैंकॉक के लिए रवाना हुआ था। बैंकॉक पहुंचने के बाद उसने अपने पासपोर्ट खोने की शिकायत दर्ज कराई और गैरकानूनी तरीके से जर्मनी में दाखिल हो गया। करीब दो साल तक वह वहां गैर कानूनी तरीके से रहता रहा। इसी बीच, उस पर जर्मनी की सुरक्षा एजेंसियों की निगाह पड़ गई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
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