नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी(JMI) ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी कर विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्तियों या देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक लगा दी है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्पष्ट किया कि हाल ही में कुछ छात्रों ने प्रधानमंत्री और अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं के खिलाफ नारेबाजी की थी। प्रशासन के अनुसार, यह गतिविधियां न तो शिक्षा से संबंधित थीं और न ही विश्वविद्यालय के उद्देश्यों के अनुरूप थीं।
आदेश का विवरण
यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है:
“यूनिवर्सिटी परिसर में बिना अनुमति के कोई भी बैठक, धरना या नारेबाजी करना निषिद्ध है। अगर ऐसा कोई आयोजन किया जाता है, तो उसमें शामिल छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।”
छात्रों को सलाह
आदेश में छात्रों को सलाह दी गई है कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी प्रकार के प्रदर्शन या सभा का आयोजन न करें। प्रशासन ने कहा कि परिसर की गरिमा बनाए रखने और पढ़ाई-लिखाई का माहौल बरकरार रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी
जामिया मिलिया ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर किसी छात्र को इस आदेश का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
प्रतिक्रियाएं
इस आदेश को लेकर छात्रों और अन्य समूहों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ छात्रों का मानना है कि यह उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी को बाधित करता है, जबकि अन्य इसे शैक्षिक माहौल बनाए रखने का सही कदम बता रहे हैं।
पृष्ठभूमि
जामिया मिलिया इस्लामिया अक्सर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर छात्र आंदोलनों का केंद्र रही है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शन इसकी एक बड़ी मिसाल है। प्रशासन का यह कदम शायद भविष्य में ऐसे किसी विवाद से बचने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह कदम शैक्षिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए उठाया है। अब देखना होगा कि यह आदेश छात्रों और समाज में क्या प्रभाव डालता है।