पटना, 13 जनवरी: बिहार की सियासत में मुसलमानों की भागीदारी सुनिश्चित करने और ‘जन सुराज’ के पैग़ाम को हर घर तक पहुंचाने के लिए जन सुराज बेदारी कारवां का आगाज़ 18 जनवरी, 2025 को पटना में एक ऐतिहासिक जलसे के साथ होगा। यह कार्यक्रम बिहार के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक मरहूम अब्दुल क़य्यूम अंसारी साहब की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित किया जा रहा है।
यह भव्य आयोजन मौलाना मजहरुल हक़ ऑडिटोरियम (हज भवन), पटना में सुबह 11 बजे से शुरू होगा। कार्यक्रम में बिहार के हर जिले से मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों के बड़ी संख्या में शामिल होने की उम्मीद है।
जन सुराज का मकसद
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बिहार की सियासत में मुसलमानों की प्रभावी भागीदारी को सुनिश्चित करना और उनके राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों को मज़बूत करना है। जन सुराज बेदारी कारवां का मकसद न केवल मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करना है, बल्कि पूरे बिहार में राजनीतिक जागरूकता फैलाना भी है।
प्रमुख अतिथि और आयोजन समिति
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रशांत किशोर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। उनके साथ राज्य के कई वरिष्ठ नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, और बुद्धिजीवी भी कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम की सरपरस्ती डॉ. ऐजाज़ अली (पूर्व राज्यसभा सांसद) करेंगे, जबकि निगरानी आफ़ाक़ अहमद (एमएलसी) की देखरेख में होगी। आयोजन के कनवीनर वसीम नैयर अंसारी हैं, और निज़ामत का जिम्मा शाहनवाज़ बदर क़ासमी संभालेंगे।
कारवां का महत्व
जन सुराज बेदारी कारवां बिहार के मुसलमानों को राजनीतिक रूप से जागरूक करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का एक प्रयास है। यह कारवां पूरे राज्य में भ्रमण करेगा और मुसलमानों के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए काम करेगा।
आम जनता से अपील
कार्यक्रम आयोजकों ने बिहार के मुसलमानों और सभी प्रगतिशील विचारधारा के लोगों से अपील की है कि वे इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल होकर इसे सफल बनाएं।
इतिहास से प्रेरणा
कार्यक्रम को मरहूम अब्दुल क़य्यूम अंसारी की पुण्यतिथि से जोड़कर एक खास संदेश देने की कोशिश की गई है। अंसारी साहब ने आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ मुसलमानों के सामाजिक उत्थान के लिए भी अहम योगदान दिया था। उनका जीवन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
संदेश और अपेक्षाएं
इस कारवां के जरिए बिहार के मुसलमानों में राजनीतिक जागरूकता और एकता को बढ़ावा देना इसका मुख्य लक्ष्य है। कार्यक्रम से उम्मीद की जा रही है कि यह न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए नई दिशा तय करेगा।