Globaltoday.in| रामपुर | रईस अहमद
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी के चलाए अभियान मिशन शक्ति को आगे बढ़ाते हुए एक नई पहल के तहत रामपुर के जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने कुछ घंटों के लिए रामपुर जिले की कमान बेटियों के हाथ में दे दी।
जिलाधिकारी से लेकर एडीएम, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक सहित कुल 65 सरकारी पदों पर 2 घंटे तक बेटियों का राज रहा।
रामपुर(Rampur) जिले की टॉपर छात्राओं को अधिकारियों की कुर्सियों पर ना सिर्फ बैठाकर औपचारिकता पूरी की गई बल्कि उनको पूरी तरह सरकारी कार्यकलाप से अवगत करा कर जनता की फरियाद सुनते हुए उनके कर कमलों से समुचित आदेश भी पारित कराये गए।
सुबह सवेरे 10:00 बजे जैसे ही सरकारी कार्यालय खुले उस में बैठने वाले आला अधिकारियों की कुर्सियों पर रामपुर जिले की टॉपर विराजमान रहीं।
उल्लेखनीय कार्य करने वाली छात्राओं को न केवल अफसरों की कुर्सियों पर बैठाया गया बल्कि उनको सरकारी कार्यकलाप से अवगत कराते हुए जनता की फरियाद सुनने और उन पर समुचित आदेश करने का भी मौका दिया गया।
इस मौके पर जिले के आला अधिकारी डीएम और एसपी इन बेटियों के सहायक के रूप में मौजूद रहकर सरकारी प्रक्रियाओं से अवगत कराते रहे।
शक्ति का यह जबरदस्त प्रयोग है जिसका अनुभव निश्चित ही इन बेटियों के लिए स्मरणीय है। जिसको वह जीवन भर भुला नहीं पाएंगी, साथ ही उनके लिए प्रेरणादायक भी है।
जो लड़कियां डॉक्टर बनना चाहतीं अथवा किसी और प्रोफेशन में जाना चाहती थीं अब उनका सिविल सर्विसेज की तरफ आकर्षण बढ़ा है और वह शक्ति का स्त्रोत माने जाने वाले पुलिस व प्रशासन के पदों को पाने के ख्वाब संजोने लगी हैं।
इक़रा बी बनी डीएम
रामपुर जिले की टॉपर रही इक़रा बी (Iqra Bi) ने यह ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करने से पहले ही 1 दिन रामपुर के डीएम की कुर्सी पर विराजमान होकर जनता की समस्याओं को सुनेगी और अपने कलम से जनता के दुखों का निराकरण करने के लिए आदेश पारित करेगी।
अभी सुबह के 9:00 भी नहीं बजे थे के रामपुर की तहसील मिलक के क्यों रार गांव में रहने वाली के घर के बाहर सुरक्षा तामझाम के साथ जिलाधिकारी की गाड़ी पहुंच गई यह गाड़ी उसको घर से कार्यालय ले जाने के लिए पहुंची थी, जहां पर आज उसको डीएम की कुर्सी पर बैठकर जिलाधिकारी रामपुर की जिम्मेदारियों को अपने इन मासूम कंधों पर उठाना था बल्कि जनता के दुख दर्द रुदाद और फरियाद को सुनकर अपने कलम से उनके दुखों को मिटा देने वाले आदेश भी करना थे।
यह अनुभव वह शायद ही जीवन भर भुला पाएगी जिसके बाद से उसको प्रशासन के उच्च पद पर पहुंचने की उमंग जाग गई है।
प्रशासन ही नहीं पुलिस के आला अधिकारियों की कुर्सियों पर भी आज बेटियों का ही राज रहा। पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर प्रियांशी सागर और अपर पुलिस अधीक्षक के स्थान पर इशिका सैनी पूरे जोशो खरोश के साथ जनता की समस्याओं को सुनकर उन पर समुचित आदेश पारित कर रही थीं।
इस मौके पर पुलिस अधीक्षक रामपुर शगुन गौतम और अपर पुलिस अधीक्षक रामपुर अरुण कुमार सिंह इन बेटियों के सहायक के रूप में पुलिस के कार्यकलाप की एक-एक बारीकी को समझा रहे थे।
इशिका सैनी बनीं पुलिस अधीक्षक
अपर पुलिस अधीक्षक रामपुर की कुर्सी पर बैठकर फरियादियों की समस्याओं को बारीकी से सुनने समझने के बाद आदेश पारित करने वाली बिटिया इशिका सैनी (Ishika Saini) के लिए भी यह मौका जीवन का एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। क्योंकि अभी तक उसकी सोच केवल डॉक्टर बनने तक ही सीमित थी लेकिन अब उसके ख्वाबों को पंख लग गए और पुलिस अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर जिस तरह से फरियादियों की फरियाद सुनते हुए आदेश पारित करने का अनुभव उसको हुआ इस अनुभव के बाद अब वह शक्ति का स्त्रोत माने जाने वाले पुलिस अधिकारी की कुर्सी पर बैठने के ख्वाब देखने लगी है।
फैशन डिजाइनर टीचर या फिर डॉक्टर बनना लड़कियों का एक ख्वाब हुआ करता है लेकिन रामपुर में लड़कियों के हाथ में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों के पदों की कमान जिस तरह से दी गई उसके अनुभव के बाद अब वही टॉपर लड़कियां जो डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी सिविल सर्विसेज के ख्वाब संजो कर शक्ति का स्त्रोत माने जाने वाले पुलिस और प्रशासन के आला पदों पर आसीन होने और शक्ति अपने हाथ में लेने की तमन्ना करने लगी है। शायद यही मिशन शक्ति की असल कामयाबी हो सकती है।
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