समर्थन के बावजूद कृषि कानूनों में बदलाव चाहते हैं पद्मश्री भारत भूषण त्यागी

Date:

Globaltoday.in | रईस अहमद | रामपुर

कृषि कानूनों से नाराज किसान जहां दिल्ली को घेरे बैठे हैं वहीं जैविक खेती को लेकर पदम श्री की उपाधि पाने वाले भारत भूषण त्यागी कृषि कानूनों का स्वागत करते नहीं थक रहे। उनका कहना है के इन कानूनों के लिए 20 वर्ष तक उन्होंने संघर्ष किया है।

श्री त्यागी(Bharat Bhushan Tyagi) के मुताबिक बाजारवाद के बीच घिर चुकी खेती न केवल जमीन को बंजर कर रही है बल्कि किसानों को कर्जदार भी बना रही है। उन्होंने कहा कि किसान इन कानूनों पर संवाद करें विवाद नहीं क्योंकि विवाद से किसी समस्या का हल नहीं होता आपसी संवाद से होता है।

दशकों तक खेत की खाक छानने के बाद जैविक खेती मैं अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए पदम श्री की उपाधि पाने वाले भारत भूषण त्यागी कृषि कानूनों के समर्थन में खड़े हैं।

आंदोलन कर रहे किसानों के सवालों को लेकर जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा के कृषि दरअसल बाजारवाद के चंगुल में फंसी हुई है। मशीनों के प्रयोग और रासायनिक खादों के चलन से न केवल जमीन दिन-ब-दिन बंजर होती जा रही है बल्कि किसान कर्जदार होता जा रहा है।

कानूनों पर संवाद करें विवाद नहीं

ऐसे में नए कानूनों में जो बदलाव किए गए हैं किसानों को उन्हें खुले मन से समझना चाहिए और अपनी मांगों को रखकर सरकार के साथ संवाद करना चाहिए ना कि विवाद की मुद्रा में धरना और प्रदर्शन करना चाहिए।

पदम श्री भारत भूषण त्यागी यह कहते हैं कि कानूनों में बदलाव के लिए सरकार के साथ किसानों को संवाद करना चाहिए। इस पर उनसे जब यह सवाल पूछा गया कि कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था ऐसे में बिना किसी संवाद के और चर्चा के आनन-फानन में संसद में यह कानून पारित कराकर सरकार ने खुद हड़बड़ी दिखाई है। ऐसे में जो चर्चा कानून बनाने से पहले की जाना थी अब ठीक है चलते गतिरोध पैदा हो रहा है। इस पर उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मंडिया सूनी पड़ी थीं, ग्राहक मंडियों में था नहीं और ऐसे में इन कानूनों की आवश्यकता ज्यादा मुखर तरीके से महसूस की गई और जब समस्या सामने आएगी तभी उसका निदान किया गया।

कृषि कानूनों में भंडारण की सीमा समाप्त किए जाने को लेकर जब भारत भूषण त्यागी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि केवल कॉर्पोरेट कंपनियों को ही भंडारण के लाइसेंस दिए जा रहे हैं।

दरअसल हमारे देश में जो उपज होती है उसमें से बड़ी मात्रा में भंडारण की व्यवस्था ना होने के चलते व्यर्थ जाती है और अनाज सड़ जाता है। इसलिए अगर भंडारण की सीमा समाप्त होगी और निजी क्षेत्र में कंपनियां उसकी व्यवस्था करेगी तो इससे फायदा ही होगा

उन्होंने कहा कि मडिया खत्म नहीं की जाएंगी केवल समानांतर व्यवस्था की जा रही है जिससे किसानों का फायदा होने वाला है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर उनसे पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा की विवाद की शक्ल में कार्यपालिका के अधिकारी किसानों के लिए निर्णय देंगे और मामले न्यायालय में नहीं जाने के चलते जो सवाल उठाए जा रहे हैं उनमें खास बात यह है के किसान आशीर्वाद और विवाद में पढ़ें क्यों ऐसी व्यवस्था होना चाहिए कि किसान को उसका सर्वोत्तम मूल्य मिले और किसी तरह का कोई विवाद हो ही नहीं।

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

एक दूसरे के रहन-सहन, रीति-रिवाज, जीवन शैली और भाषा को जानना आवश्यक है: गंगा सहाय मीना

राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद मुख्यालय में 'जनजातीय भाषाएं...

Understanding Each Other’s Lifestyle, Customs, and Language is Essential: Ganga Sahay Meena

Lecture on ‘Tribal Languages and Tribal Lifestyles’ at the...

आम आदमी पार्टी ने स्वार विधानसभा में चलाया सदस्यता अभियान

रामपुर, 20 नवंबर 2024: आज आम आदमी पार्टी(AAP) ने...
Open chat
आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.