सूचना के अधिकार अधिनियम(RTI) के तहत नागरिकों को सरकार के कामकाज की जानकारी हासिल उपलब्ध कराने वाले केंद्र सरकार के पोर्टल से बरसों का डेटा गायब हो गया है। साथ ही इस पोर्टल पर मौजूद यूजर अकाउंट्स में भी काफी विसंगतियां नजर आने लगी हैं।
केंद्र सरकार के आरटीआई(RTI) ऑनलाइन पोर्टल से सैकड़ों की संख्या में आवेदनों के रिकॉर्ड ग़ायब बताये गए हैं। इसका इस्तेमाल नागरिक सरकार से विभिन्न मुद्दों पर जानकारी हासिल करने करने के लिए आवेदन दाखिल करने के लिए करते थे। इस बात की पुष्टि अनेक आरटीआई कार्यकर्ताओं ने की है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) इस पोर्टल का प्रबंधन करता है और सरकारी अधिकारियों को आरटीआई आवेदनों पर कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए और इसका रखरखाव कैसे हो, इसका प्रशिक्षण देता है और मानकों का प्रसार करता है।
द हिंदू अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल ने 2013 में लॉन्च होने के बाद से 2022 तक 58.3 लाख से अधिक आवेदनों पर कार्रवाई की है। इस पोर्टल पर दायर किए गए आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2022 में 12.6 लाख से अधिक आवेदन दाखिल किए गए हैं। इस पोर्टल का प्रबंधन करने वाले कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस बारे में द हिंदू अखबार द्वारा गायब हुए डेटा के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
बिहार के एक आरटीआई कार्यकर्ता कन्हैया कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि पोर्टल पर उनके अकाउंट में जनवरी 2021 से लेकर अगस्त 2023 तक सैकड़ो गलतियां नजर आई हैं। इसी तरह नेशनल हेरल्ड के पत्रकार का खाता अब उपलब्ध ही नहीं हो रहा है और न ही इस खाते के लिए ‘फॉर्गाट पासवर्ड’ का विकल्प आ रहा है।
बतादें कि आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल पर नागरिक डिजिटल माध्यम से सिर्फ 10 रुपए का भुगतान कर आवेदन दाखिल कर सकते हैं। यह सुविधा अन्य परंपरागत माध्यमों से काफी अच्छी थी, जिसमें आवदेन के साथ या तो पोस्टल ऑर्डर या फिर चेक लगाना होता था, जिसपर पोस्ट ऑफिस की मुहर जरूरी होती थी। इस पोर्टल का रखरखाव नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) करता है।
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