इफ़्तार की सियासत !

Date:

इफ़्तार की सियासत !
इफ़्तार की सियासत

किसी भी धर्म के त्योहारों के आयोजन के पीछे का उद्देश्य पवित्र ही होता है, लेकिन समय के साथ उनमें पाखंड और दिखावे की भावना प्रबल होती चली जाती है।
नवरात्रि, दशहरा, दीवाली, ईद, बकरीद, रमज़ान – सबके साथ यही हो रहा है। लगभग हर त्यौहार एक इवेंट का रूप लेता जा रहा है।
रमज़ान के महीने में पाखंड का एक रूप सियासी इफ़्तार पार्टियों में देखने को मिलता है। रोज़े का मकसद ढेर सारे आत्मसंयम और पवित्रता के साथ भूखे-प्यासे रह कर अभावग्रस्त लोगों की भूख-प्यास का दर्द महसूस करना भी है। यह एक बहुत पवित्र सामुदायिक आयोजन है।

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम के अनुसार ‘सबसे बेहतरीन दावत वह है जिसमे गरीबों को शामिल किया जाए’। इफ़्तार का आयोजन हर हाल में ज़रूरतमंदों के लिए होना चाहिए।

ध्रुव गुप्त
ध्रुव गुप्त-पूर्व आईपीएस,लेखक,कहानीकार और कवि

स्वार्थवश राजनेताओं, प्रशासकों या बड़े लोगों को प्रभावित करने या अपने वैभव के प्रदर्शन के लिए अगर आप इफ़्तार पार्टियों को एक इवेंट बनाते हैं या किसी भी दल के राजनेताओं की भव्य सियासी इफ्तार पार्टियों में यदि शिरक़त करते हैं तो यह रमज़ान की पवित्र भावना के प्रतिकूल है और इसीलिए हराम भी।
सबको पता है कि राजनेताओं की शानदार इफ्तार पार्टियों के पीछे उनकी पसीने की कमाई नहीं, उनके दलालों का काला धन होता है।
ऐसी पार्टियों में भक्ति-भाव से पहुंच कर राजनेताओं को अपना चेहरा दिखाने या एक अदद फोटो के लिए उनके गिर्द मंडराने वाले रोज़ेदार मित्र क्या आपको जोकर नहीं लगते ?

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related