Globaltoday.in | सऊद खान | रामपुर
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandi Ben Patel) अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक सोमवार को रामपुर पहुंची। उन्होंने रामपुर की रजा लाइब्रेरी (Raza Library) में एक वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नवाब फैजुल्लाह खान, नवाब रजा अली खान, एवं मुंशी नवल किशोर अवार्ड पुरस्कार का वितरण करना था। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस दौरान रजा लाइब्रेरी के रंग महल का हॉल खचाखच भरा हुआ था।
रामपुर पहुंची राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रजा लाइब्रेरी के रंग महल में अपनी स्पीच के दौरान कहा मैंने ऐसी बड़ी ज्ञान का सागर पहली बार देखा है।
स्कूलों में भी लाइब्रेरी होती हैं, राज्य सरकार में भी होती है, राष्ट्रपति भवन में भी लाइब्रेरी होती है और अनेक स्थानों पर लाइब्रेरी होती है लेकिन इससे भव्य बिल्डिंग सभागार, बड़ा और इतनी पुस्तकें यहां पर हैं… सालों से लाइब्रेरी के सभी सदस्य और निर्देशक इसमें कुछ ना कुछ नया करते रहते हैं. पीएचडी के स्टूडेंट्स भी यहां आकर अपना अपना काम करते रहते हैं यह देखने के बाद मेरे मन में एक विचार आया है यह भव्य ज्ञान पूरे देश में जाना चाहिए मुझे कई एक चित्र दिखाए मैंने पहली बार ऐसे चित्र देखें पेंटिंग के पत्र होते हैं लेकिन एक पेड़ के पत्ते पर किस तरह पेंटिंग किए गए हैं जिसने भी एक किया होगा उसके पास कितनी बड़ी कला होगी।
अकबर बादशाह हो, शाहजहां हो उसी समय के अद्भुत रचना की गई कभी-कभी हमारे लिए यह अद्भुत रचनाओं को सीमित कर देते हैं. जैसे कि मैं देखा है कि राजभवन में लखनऊ में 7 महीने से रहते हूँ लेकिन राजभवन किसी को दिखाते नहीं राजभवन कैसा है किसने बनाया है क्यों बनाया है इसमें क्या-क्या पुराने जमाने की चीजें हैं मुझे पूछा जाता है क्यों ऐसा करते हैं इसलिए मैं सब से कहती हूं राजभवन सबके लिए ओपन कर दें ताकि सब लोग देख सकें।
पूरे राजभवन में घूमिए यह आपका भी है बच्चे आते हैं बुजुर्ग आते हैं बैठते हैं सोचते हैं पढ़ते हैं दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है हमारे लिए गौरव की बात है देश की 130 करोड़ जनता के लिए गौरव की बात है राज्यपाल आनंदीबेन ने कहा इतनी बड़ी बिल्डिंग है..
इसी वजह से मैंने पूरे यूपी में धीरे-धीरे करके सभी डिस्ट्रिक्ट में पढ़ने का जैसे कि रामपुर में भी पढ़ेगा। रामपुर बड़े रामपुर ऐसा कार्यक्रम शुरू करवा दिया है. लखनऊ में सबसे पहले एक कार्यक्रम की ऐसी शुरुआत करवाई जिसमें पांचवी छठी कक्षा से लेकर कॉलेज के स्टूडेंट तक मेडिकल स्टूडेंट तक 9 लाख 45 हजार बच्चों ने एक साथ 45 मिनट पढ़ने का काम किया था।
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