दरवाज़े पर बेल की आवाज़ से सलमा की आँख खुली। देखा तो समाचार पत्र था।घड़ी आठ बजा चुकीथी। अलार्म बजने पर भी आज उसकी आँख न खुल पाई।
वैसे तो आज राष्ट्रीय अवकाश था पर,सलमा के पति हामिद के दफ्तर में एक तात्कालीन मीटिंग थी।
सलमा ने जल्दी पति हामिद को जगाया। समय देख कर हामिद सलमा पर चिल्लाया,“आज तुम्हारी लापरवाही की वजह मुझे देर हो जाएगी, एक काम भी तुम से ढंग से नहींहोता”।
पति की तेज़ आवाज़ से सलमा एक दम सहम गयी परंतु, उसके पास इतना समय नहीं था कि वो अपनी भावनाओ पर विचार करे। वह तुरंत रसोई घर की ओर भागी, एक चूल्हे पर चाय चढ़ाई और दुसरे पर तवा।
जब तक हामिद स्नान घर से आया, सलमा नाश्ता बना ही चुकी थी और हामिद के कपड़े भी स्त्री कर चुकी थी।
वह हामिद के पसंद के आलू पराठे और चाय की प्याली तुरंत उसके पास ले आई।
उसने मुस्कुराकर कहा,”आज आपकी पसंद का नाश्ता है, जल्दी से कर लीजिए, तब तक मैं आपका लंच पैक कर देती हूँ”।
हामिद ने उसे गंभीर और क्रोधित नज़रों से देखा और बोला,” ज़रा भी बुद्धि है तुममें? समय देख रही हो? तुम्हारे नाश्ते के कारण मैं अपनी नौकरी गवाँ दूँ?” हामिद के कटु शब्दों से सलमा के नेत्र अश्रुओं से भर आए।
ये देखकर हामिद असंवेदनशीलता से चिल्लाया,”अब सुबह-सुबह कोई नाटक न करना, वैसे ही मैं बहुत परेशान हूँ”।
सलमा फिर अपना सा मुँह ले कर रसोई में चली गयी।
हामिद तैयार होकर,अपना बैग उठाकर गाड़ी की ओर बढ़ा।यह देखकर सलमा टिफ़िन हाथ में लेते हुए उसकी ओर भागी- “टिफ़िन तो लेते जाईये”।
हामिद अपनी अकड़ में, उसकी बात अनसुनी करते हु निकल गया। अश्रुओं की धारा अब रुक न पायी और वो फूट-फूट कर रोने लगी।
गाड़ी के शीशे से हामिद को सब दिख रहा था, पर उसका ह्रदय बिलकुल न पसीजा।
हामिद को रास्ते में थोड़ी भीड़ दिखी। पता करने पर जानकारी मिली की आज पैग़म्बर मुहम्मद (स.अ.) की यादमें “करुणादिवस” (#CompassionDay) मनाया जा रहा है और मानवता के लिए करुणा का काम किया जा रहा है।
हामिद ने सोचा क्यों न पुण्य कमाया जाए। वह गाड़ी से उतरा, उसने एक सुंदर बच्चे को एक तख्ती पकड़े हुए देखा, जिसमें लिखा था- पैगंबर ने कहा है ,”गरीबों को खाना खिलाओ“।वह पास के रेस्तरां गया और उसने सड़क के किनारे बैठे गरीबों के लिए भोजन खरीदा।
हालाँकि उसे देर हो रही थी,फिर भी वह पैगंबर(स.अ.) की आज्ञा का पालन करके खुश था।जैसे ही वह गाड़ी की ओर बढ़ा, उसने एक और लड़की को एक दूसरी तख्ती पकड़े हुए देखा। एका एक उसका ह्रदय कांप उठा। मनविचलित हुआ और उसके नेत्र लज्जा से झुक गए।
तख्ती पर लिखा था – पैग़म्बर मुहम्मद, (स.अ.) ने कहा है ,”तुममें से सबसे अच्छे वे हैं, जो अपनी पत्नियों के साथअच्छा व्यवहार करते हैं”।
उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ। उसने तुरंत दफ्तर फ़ोन करके कहा कि उसे थोड़ी और देर हो जाएगी। उसने अपनी गाड़ी घुमाई और घर की ओर लौटा।
हामिद को आते देखकर सलमा थोड़ा डर गयी। उसने दरवाज़ा खोला, हामिद का चेहरा चमक रहा था।
सलमा का हाथ पकड़कर उसने कहा- “पता है, आज करुणादिवस (#CompassionDay) है और जो मेरी करुणा का सबसे अधिक पात्र है, मैं उसका ही मन दुखा कर घर से निकला।मुझे क्षमा कर दो !” सलमा का चेहरा खिल गया।
हामिद ने सलमा के हाथो का बना नाश्ता किया, अपना टिफ़िन लिया और सलमा को यह वचन दिया कि अबसे एक वह पति के रूप में उसकी करुणा में कोई कमी न पाएगी।अब से हर दिवस करुणादिवस (#CompassionDay) होगा।
मैं डॉº दुरदानायासीन, इस कहानी की लेखिका, आप सभी से निवेदन करती हूं कि आप और हम मिलकर 12 रबी-उल-अव्वल को मख़्लूक़-ए-ख़ुदा में से किसी के साथ भी रहमत का सुलूक करें।
12 रबीउलअव्वल #CompassionDay / करुणादिवस /यौम-ए-रहमत कैंपेन से जुड़ने के लिए इस नंबर +917817864611 पर Whatsapp करें।