झारखंड में तबरेज़ की लिंचिंग की खिलाफ पूरे देश में हुआ प्रदर्शन, बसपा नेता दानिश अली ने कहा कि पीएम मोदी संसद में हत्या की निंदा करते समय भी झारखंड की चुनाव नहीं भूले

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झारखंड में तबरेज़ की लिंचिंग की खिलाफ पूरे देश में हुआ प्रदर्शन, बसपा नेता दानिश अली ने कहा कि पीएम मोदी संसद में हत्या की निंदा करते समय भी झारखंड की चुनाव नहीं भूले

ग्लोबलटुडे /नई दिल्ली, 24 जूनझारखंड में सरायकेला-खरसावां में भीड़ की हिंसा का शिकार हुए तबरेज़ अंसारी की मौत की गूंज आज बुधवार को झारखंड और देश के साथ साथ विदेश में भी सुनाई दी। देश की राजधानी दिल्ली सहित मुल्क भर के सभी हिस्सों में भारी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया।
भोपाल में प्रदर्शन
भोपाल में प्रदर्शन
सभी प्रदर्शनकारियों ने गाय, गोमांस या चोरी के नाम पर आरोप लगाने की प्रवृत्ति के खिलाफ नारे लगाते हुए सरकार से जल्द से जल्द सीबीआई जांच की मांग की।
इस प्रदर्शन में कई संगठनों के अलावा बसपा, कांग्रेस, जेवीएम, आरजेडी, जेएमएम और वामदल के कई नेताओं ने भी हिस्सा लिया। सभी ने तबरेज अंसारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की।
दिल्ली में प्रदर्शनकारियों का साथ देते हुए कुंवर दानिश अली
दिल्ली में प्रदर्शनकारियों का साथ देते हुए कुंवर दानिश अली
बसपा नेता कुंवर दानिश अली दिल्ली में प्रदर्शनकारियों का साथ देते हुए कहा कि तबरेज़ के परिवार कि हमदर्दी में यहां खड़ा हुआ हूँ। दानिश अली ने कहा कि बड़े दुःख की बात है कि सत्ता में बैठे हुए लोग नौजवान तबरेज़ की मौत पर भी राजनीति कर रहे हैं।
दानिश अली ने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने जो संसद में तबरेज़ की हत्या का ज़िक्र किया तो उनको 2002 याद आ गया।
कुंवर दानिश अली ने कहा कि अफ़सोस होता है आदरणीय मोदी जी ने हत्या की निंदा तो की लेकिन चार महीने बाद झारखंड में होने वाले चुनावों को नहीं भूले, और 2002 में गुजरात की तर्ज़ पर कह दिया की झारखंड को बदनाम मत करो।
गौरतलब है कि बुधवार शाम से ही हज़ारों की संख्या में देश भर में बूढ़े और जवान, पुरुष और महिलाएं इकट्ठा हुए और उन्होंने देश में बढ़ते मुसलमानों और दलितों पर अत्याचार का विरोध किया।
मुंबई में प्रदर्शन
मुंबई में प्रदर्शन
झारखंड में मुस्लिम युवा तबरेज़ की ‘मोब लिंचिंग’ के हालिया मामले के बाद लोगों में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के प्रति भी काफ़ी ग़ुस्सा देखने को मिल रहा है। ये लोग या तो अपनी प्रतिक्रियाओं में ख़ामोश हैं या डरे-सहमे हुए हैं। देश की जनता बड़ी ही गंभीरता के साथ इन पार्टियों की चुप्पी को महसूस कर रही है जबकि बहुत सारे लोग विपक्ष के इस व्यवहार की खुले तौर पर आलोचना भी कर रहे हैं।
प्रदर्शन करियों का कहना था कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने अल्पसंख्यक समुदाय को हमेशा ही वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है जबकि उन्हें उनके मूल मुद्दों और समस्याओं में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं है।

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