मशहूर संगीतकार ख़य्याम का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 92 साल के ख़य्याम काफी समय से बीमार चल रहे थे। फेफड़ों में तकलीफ की वजह से उनको सुजॉय अस्पताल में दाखिल कराया गया था। आज क़रीब 9:30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली।
खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद ज़हूर हाश्मी था। उनका जन्म 18 फरवरी, 1927 को पंजाब के जालंधर ज़िले के नवाब शहर में हुआ था। उनको हिंदी सिनेमा को बहतरीन संगीत से नवाज़ने के लिए जाना जाता है।
ख़य्याम छोटी उम्र में ही पंजाब से दिल्ली आ गए थे। बचपन से ही उनका मन पढ़ाई से ज़्यादा संगीत में लगता था और इसी शौक़ को पूरा करने के लिए वो दिल्ली से लाहौर संगीत सीखने चले गए। लाहौर में ख़य्याम ने मशहूर उस्ताद बाबा चिश्ती और पंडित अमरनाथ जी से संगीत की तालीम ली।
कभी कभी और उमराओ जान जैसी फिल्मो को अपने संगीत से अमर करने वाले ख़य्याम को 17 साल की उम्र में ही फिल्मों में पहला मौक़ा मिला जो उनके उस्ताद बाबा चिश्ती ने ही दिया। अपनी पहली ही फिल्म हीर रांझा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गाने ‘अकेले में वो घबराते तो होंगे’ से ख़य्याम को पहचान मिली और शोला और शबनम फिल्म ने ख़य्याम को एक कामयाब संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया।
उन्होंने कभी-कभी,उमराव जान, त्रिशूल, नूरी, थोड़ी सी बे वफाई, बाज़ार और रज़िया सुलतान जैसी फिल्मो में संगीत दिया।
ख़य्याम को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए 6 बार फिल्फेयर अवार्ड मिल चुका है। इसके अलावा उनको संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्मभूषण पुरस्कार से भी नवाज़ा गया।
खयाम ने मशहूर गायिका जगजीत कौर से शादी की। खय्याम ने एक ट्रस्ट भी बनाया जिसके ज़रिये वो ग़रीब और ज़रूरत मंदों की मदद करते रहे हैं। उनकी ख्वाहिश थी कि वो अपनी साड़ी कमाई ट्रस्ट के नाम करदें जो बाद में ज़रूरत मंद लोगों के काम आये।