यौमे आशूरा यानि दस मुहर्रम। जैसा कि हम जानते हैं कि मुहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना है। इस्लामी साल हिजरी साल के नाम से जाना जाता है। मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम जब इस्लाम के प्रचार- प्रसार के लिए मक्का से मदीना हिजरत कर गए थे तभी से हिजरी सन् की शुरुआत हुई।
हिजरी कैलेंडर के अनुसार महीने को तीन अशरों में बाटा जाता है। अशरा दस दिन का होता है।
मुहर्रम की दस तारीख को यौमे आशूरा कहा जाता है। इस तारीख से इस्लामी इतिहास की बहुत सी घटनाएं जुड़ी हैं। इस्लामी तारीख के अनुसार इस दिन आदम अलैहिस्सलाम की तौबा क़ुबूल हुई थी, इसी दिन नूह अलैहिस्सलाम की कश्ति जूदी पहाड़ पर ठहरी थी, इसी दिन यूनस अलैहिस्सलाम को मछली के पेट से निकाला गया था। इसी दिन अय्यूब अलैहिस्सलाम को लंबी बीमारी से शिफा मिली थी। यही वह मुक़द्दस दिन है जब मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन के ज़ुल्म से निजात मिली थी।
दस मुहर्रम को ही मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हज़रत हुसैन रज़ि० व उनके साथी कर्बला में यज़ीद की फौज से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
हज़रत हुसैन रज़ि. की शहादत की वजह से मुहर्रम को ग़म का त्योहार माना जाता है जबकि इस्लाम में शहादत का बड़ा मरतबा है। हर मुसलमान की ख्वाहिश होती है कि उसे शहादत नसीब हो।
अल्लाह को प्यारा है मुहर्रम का महीना – ध्रुव गुप्त
मुहर्रम की दस तारीख यानि यौमे आशूरा के लिए मुहम्मद स० का फरमान है कि मोमिन इस दिन अपना दस्तरख्वान वसी रखें क्यूंकि यह साल का पहला अशरा है। इस दिन रोज़ा रखने की भी बड़ी फ़ज़ीलत है। मुहम्मद स० ने फ़रमाया कि हमें मुहर्रम की नौ-दस या दस-ग्यारह का रोज़ा रखना चाहिए ताकि यहूदियों से समानता न हो। मूसा अलैहिस्सलाम के उम्मती होने के कारण यहूदी भी दस मुहर्रम का रोज़ा रखते हैं।
- मनोज कुमार : एक युग का अंत
- Waqf Amendment Bill 2025: जयंत चौधरी के वक्फ बिल का समर्थन करने पर RLD में बगावत, इस नेता ने दिया इस्तीफा
- Tariff war: चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाया
- The Waqf Bill is a highly condemnable move that paves the way for legislative discrimination against Muslims: Syed Sadatullah Husaini
- उत्तराखंड: सरकार ने मुस्लिम इतिहास से जुड़े 15 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की