रामपुर/उत्तर प्रदेश[फ़राज़ कलीम]: सरदार वल्लभ भाई पटेल की विशाल काय प्रतिमा का अनावरण किये जाने पर समाजवादी पार्टी नेता मोहम्मद आजम खान ने कहा है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल फ्रीडम फाइटर थे और आरएसएस आजादी के पक्ष में ही नही है। यह दो किनारे थे. लिहाजा ना तो आरएसएस सरदार वल्लभ भाई पटेल को मिलाया जा सकता है और ना सरदार वल्लभ भाई पटेल के चरित्र को उनकी कुर्बानियों को आरएसएस से मिलाया जा सकता है। दोनों अलग-अलग है और जहाँ तक छलने और ठगने की बात है तो अब तो अम्बेडकर जी भी कमल में से निकलते हुए बताए जाने लगे है। भाजपा के हैड क्वार्टर में आरएसएस उनको भी अपना आइडियल बता रही है। अब मोदी जी मस्जिदों में भी जाने लगे हैं, टोपी तो ओढ़ने ही लगे है साफा भी बंधने लगे हैं। जो इमाम लोग बांधते है कुरान शरीफ की आयतें भी पढ़ने लगे है। मस्जिद में कलमा भी दोहराया उन्होंने इकरा… अरबी के शब्द पर.एक मरतबा आला तकरीर भी करी जो कोई मुस्लिम आलिम भी मुश्किल से करेगा। तो अब दाढ़ी का साइज रह गया है थोड़ा सा दाढ़ी का साइज बढ़ जाये तो तो इमामत के काबिल हो जायेंगे।
आज़म खान ने कहा कि दरअसल यह राजनीतिक ठगी है जो हो रही है। और सच ये है के दुनिया में तीन स्टेचू हैं जो अब जाने जाएंगे। पहला है स्टेचूऑफ लिबर्टरी जो अमेरिका में है। जो दुनिया का सबसे ताकत भर देश है जो दौलत मंद देश है। और अपने हिसाब से दुनिया की इकॉनमी को चलाता है और दूसरा देश है चीन जो हमारा पड़ोसी है। जिसने लाखों किलोमीटर की जमीन दबा रखी है। और हम उससे यह कहते भी नही के भाई हमारी जमीन से कब्जा छोड़ दो यह कहते भी नही अब यह हमारी एहतियात है या हिन्दी चीनी भाई-भाई की नारा है या डर है यह हम जानते नही है। बो गौतमबुद्ध को पूजते है उन्हें अपना आइडियल मानते है, उन्हें अपना भगवान मानते है। जो लिबर्टरी ऑफ स्टेचू है उससे ऊंचा महात्मा बुद्ध का स्टेचू है। उन्होंने भी अपने आप को इतना उँचा बनाना चाह के यह तय करना मुश्किल है के अमेरिका बड़ा है या चाइना बड़ा है और तीसरा स्टेचू हमने लगाया है यानी हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी जी जिसके बारे में यह कहा जाता है के इसकी कीमत सिर्फ प्रतिमा की है। लोग मूर्ति बोल रहे है नेता भी और चैनल साहेबान भी मूर्ति बोल रहे हैं जिसकी पूजा होती है। पर अब सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनी है और उसकी पूजा होनी है तो में कुछ कह नही सकता वर्ना मेरे हिसाब से वह सिर्फ एक प्रतिमा है उस प्रतिमा की कीमत 3 हजार करोड़ है। बाकी सब जो और डेवलपमेंट हुआ है उसकी कीमत अलग है।
तीन हजार करोड़ रुपये की प्रतिमा उस देश ने बनाई है उस देश के मुकाबले में जिसकी प्रतिमा सबसे छोटी है इन तीनों देशों के मुकाबले में जिस देश की प्रतिमा सबसे छोटी है इन तीनों देशों के मुकाबले में उसका 1 रुपया हमारे 74 रुपये के बराबर है।
हमारे ख्याल से इन पैसों की कोशिश इस बात की होनी चाहिए थी के हम इस पैसे को गोरखपुर के उन मासूम बच्चों पर लगाते जो मारे गए. हम उन बच्चियों पर खर्च करते जिनका चार साल की उम्र में बलात्कार हुआ.