“रात”

Date:

Sahir Nizami
Sahir Nizami-Poet,Writer,Lyricist

सर पे काला आँचल डाले आयी है शर्मीली रात

आओ थोड़ी आग जलालें शायद हो बर्फीली रात

आंधी,तूफाँ ,बिजली,बादल और अभी तो बाक़ी है

आंगन में बारिश का पानी कमरे में चमकीली रात

जी करता है सज-धज कर दुल्हन बनकर आओ तुम

एक मुद्द्त के बाद आयी है चाँद में डूबी नीली रात

जबसे तुम से दूर हुए हम जाने क्यों यह लगता है

दिन भी बैरी शाम भी दुश्मन होती है सौतेली रात

तुम भी प्यासे हम भी प्यासे लाओ मय ,सुराही जाम

पीकर दोनों सो जाते हैं लंबी हो नशीली रात

देखो ‘साहिर’ चाँद सितारे शिकवा मुझसे करते हैं

रात में जब सब सो जाते हैं करती है अठखेली रात

    Share post:

    Visual Stories

    Popular

    More like this
    Related

    इजराइल ने गाजा के साथ-साथ लेबनान पर भी हमले शुरू कर दिए

    इजराइल ने गाजा के साथ-साथ लेबनान पर भी हमले...

    सपा नेता आजम खान की पत्नी और बेटे को शत्रु संपत्ति मामले में रेगुलर बेल

    मामला आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है,...