उत्तर प्रदेश/रामपुर[सऊद खान]: उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के सीआरपीएफ कैंपस पर 31 दिसंबर,2007 और 2008 की मध्यरात्रि में हुए आतंकी हमले के आरोपी आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रामपुर अदालत में पेश किए गए। लेकिन कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले के विरोध में रामपुर जिला बार एसोसिएशन द्वारा कार्य से व्रत रहने के चलते आज उनकी सुनवाई नहीं हो सकी। सुनवाई के अगली तारीख 27 फरवरी पड़ी है।
क्यों नहीं हो सकी सुनवाई?
कभी-कभी हम अपने जज़्बात में बहकर कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए। ऐसा ही देखने को मिला रामपुर में जहां बार एसोसिएशन रामपुर द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले के विरोध में कार्य से व्रत रहकर अपना विरोध प्रकट किया। संयोग की बात थी है कि आज ही रामपुर सीआरपीएफ कैंपस पर सन 2007 और 2008 की मध्यरात्रि को हुए आतंकी हमले के आरोपियों की सुनवाई थी। जिनको कड़ी सुरक्षा के बीच बरेली सेंट्रल जेल और लखनऊ जेल से रामपुर लाया गया था। रामपुर के एडीजे फर्स्ट की अदालत में आज सभी आरोपियों की मौजूदगी में धारा 313 के अंतर्गत बयान दर्ज होने थे। लेकिन वकीलों के इस फैसले के चलते आज अदालत में कार्यवाही नहीं हो सकी।
आपको बता दें कि यह हमला 31 दिसंबर 2007 और 1 जनवरी 2008 की मध्य रात्रि में रामपुर सीआरपीएफ कैंपस पर आतंकियों द्वारा किया गया था, जिसमें 7 सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए थे और एक रिक्शावाला मारा गया था। इस संबंध में कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था,जिसमें से पांच को सुरक्षा की दृष्टि से बरेली की सेंट्रल जेल में रखा गया है, जबकि 3 लोग लखनऊ जेल में रखे गए हैं।
11 साल बाद भी दोषियों को नहीं मिल सकी सज़ा
घटना को 11 साल बीत चुके हैं। यह सभी आरोपी हर सुनवाई को रामपुर अदालत में पेश किए जाते हैं लेकिन अभी तक इनको अपने किए की सजा नहीं मिल सकी है। बार एसोसिएशन रामपुर द्वारा कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के विरोध में कार्य से व्रत रहकर जिस तरह से विरोध प्रकट किया गया उससे तो गुनहगारों को सज़ा दिलवाने में और भी देरी ही हुई।
मोदी लें हमले की ज़िम्मेदारी-आज़म खान