Globaltoday.in|उबैद इक़बाल | वेबडेस्क
देश पहले से ही कोरोना की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है. ऐसे में पालघर में हुई साधुओं की मॉब लिंचिंग ने एक बार फिर देश की बिगड़ती लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
उत्तर प्रदेश से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने पिछले साल जुलाई में भी इस मुद्दे को ज़ोर शोर से संसद के पटल पर रखा था। माननीय सुप्रीम कोर्ट पहले ही 2018 में इस मसले पर सरकार को सख़्त क़ानून लाने का निर्देश दे चुका है। लेकिन सरकार लाख चेताने के बाद भी नहीं जागी और पालघर की घटना उसी का नतीजा है।
दानिश अली ने पालघर घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पूर्व में हुई मॉब लिंचिंग के दोषियों को अगर सख़्त सज़ा मिली होती तो आज भारत का लोकतंत्र, भीड़तंत्र की तरफ नहीं जाता।
उन्होंने सरकार से फिर से अपील करते हुए कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले और मॉब लिंचिंग पर सख़्त क़ानून लाया जाए जो ऐसे आसामाजिक तत्वों में भय का माहौल पैदा कर सके और भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके.