Globaltoday.in | मुज़म्मिल दानिश | मुरादाबाद
मुरादाबाद (Moradabad) के एक निजी अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दो अलग-अलग समुदाय के कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों की ईलाज के दौरान हुई मौत के बाद परिजनों को शव देते वक़्त बदल दिए गए।
कब्र में दफन हो गए थे राम प्रसाद
अस्पताल स्टाफ ने कोरोना पॉजिटिव मरीज़ नासिर की मौत के बाद उसके परिजनों को रामप्रसाद का शव सौंप दिया और रामप्रसाद के परिजनों को नासिर का शव सौंप दिया जिसके बाद रामपुर से आए नासिर के परिजनों ने प्रोटोकॉल के मुताबिक नासिर के शव को मुरादाबाद के थाना सिविल लाइन क्षेत्र की शाह बुलाकी साहब की जियारत के पास के कब्रिस्तान में मुस्लिम रीति-रिवाज से दफन कर दिया।
शव का चेहरा देखते ही उड़ गए होश
वहीं अस्पताल की तरफ से राम प्रसाद के परिजनों को दिया गया नासिर का शव लेकर जब परिजन दिल्ली रोड के लोको शेड मोक्षधाम पर पहुंचे तो वहां शवों की संख्या ज्यादा होने की वजह से 4 घंटे तक उन्हें प्रतीक्षा करनी पड़ी। जब उनका चिता जलाने का समय आया तो उन्होंने शव उठाकर जैसे ही चिता पर रखने लगे तो राम प्रसाद के परिजन को ऐसा लगा कि शव काफी हल्का है। क्योंकि रामप्रसाद की आयु 61 वर्ष थी और उनका वजन भी काफी था, लेकिन जिस शव को वह लोग रामप्रसाद का शव समझकर चिता पर रख रहे थे वह शव मुश्किल से 40- 45 किलो के वजन का था और उसकी लंबाई भी कम थी।
शक होने पर राम प्रसाद के परिजन पवित्र कुमार ने शव का चेहरा खोल कर देख लिया, तब उन्हें विश्वास हो गया कि यह शव तो राम प्रसाद का है ही नहीं।
इसके बाद परिजन कॉसमॉस अस्पताल पहुंचे जहां कॉसमॉस अस्पताल के स्टाफ ने राम प्रसाद के परिजनों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। तब परिजनों ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस की मदद मांगी।अस्पताल में शव बदलने की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन के साथ ही स्वास्थ विभाग में भी हड़कंप मच गया।
मौके पर पहुंचे एसडीएम सदर प्रशांत तिवारी ने जानकारी कर रामपुर से नासिर के परिजनों को कॉल कर बुलवाया और नासिर का शव एंबुलेंस में रखवा कर श्मशान घाट से कब्रिस्तान भिजवाया।
पुलिस ने नासिर के स्थान पर कब्र में दफन राम प्रसाद का शव निकलवा कर राम प्रसाद के परिजनों को दिया और नासिर का शव मुस्लिम रीति-रिवाज से उनके परिजनों ने दफ़न कर दिया।
क्या था पूरा मामला
मुरादाबाद के सिविल लाइंस इलाके के बंगला गांव में रहने वाले 61 साल के राम प्रसाद को 16 अप्रैल को दिल का दौरा पड़ा था। परिजन उन्हें कांठ रोड पर कॉसमॉस हॉस्पिटल में इलाज के लिए लेकर पहुंचे तो अस्पताल ने पहले राम प्रसाद का कोरोना टेस्ट कराया, जो पॉज़िटिव आया। उसके बाद अस्पताल ने कोरोना प्रोटोकॉल के तहत रामप्रसाद का इलाज शुरू कर दिया। 19 अप्रैल को राम प्रसाद का इलाज के दौरान निधन हो गया। अस्पताल ने राम प्रसाद के परिजनों को सूचना देकर 20 अप्रैल की शाम उन्हें राम प्रसाद का शव सौंप दिया।
इसी दौरान इसी हॉस्पिटल में रामपुर के 45 साल के नासिर का भी कोरोना पॉजिटिव आने पर इलाज चल रहा था। ईलाज के दौरान नासिर का भी निधन हो गया। अस्पताल की लापरवाही से दोनों ही शव को बदल दिए गया, गनीमत यह रही के नासिर का शव दफन किया गया था जो अब वापस क़ब्र से निकालकर रामप्रसाद के परिजनों को दे दिया गया। अगर यही गलती रामप्रसाद के परिजनों के साथ पहले हो जाती और अगर वह नासिर के शव को राम प्रसाद का शव समझकर अंतिम संस्कार कर देते, और बाद में नासिर के परिजनों को यह पता चलता कि जिसको वो दफन कर के आये हैं वह नासिर नहीं रामप्रसाद का शव था, और नासिर के शव को रामप्रसाद का शव समझकर उनके परिजनों ने उस शव का अंतिम संस्कार कर दिया है, तो वो पूरी ज़िंदगी इसी अफ़सोस में रहते कि वो अंत मे अपने परिजन को मिट्टी भी नहीं दे सके।
अब इस मामले में एसडीएम सदर प्रशांत तिवारी जांच कर घटना के ज़िम्मेदार आरोपी अस्पताल कर्मियों पर कार्यवाही की बात कह रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही अब स्वास्थ विभाग और जिला प्रशासन को इस तरह की व्यवस्था करनी पड़ेगी कि आगे कभी इस तरह की घटना की दोबारा न हो।
- Winter Vaccation Anounced In J&K Degree Colleges
- National Urdu Council’s Initiative Connects Writers and Readers at Pune Book Festival
- पुणे बुक फेस्टिवल में राष्ट्रीय उर्दू परिषद के तहत ”मेरा तख़लीक़ी सफर: मुसन्निफीन से मुलाक़ात’ कार्यक्रम आयोजित
- एएमयू में सर सैयद अहमद खान: द मसीहा की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित
- Delhi Riots: दिल्ली की अदालत ने 4 साल बाद उमर खालिद को 7 दिन की अंतरिम जमानत दी
- पत्रकारों पर जासूसी करने के आरोप में आयरिश पुलिस पर भारी जुर्माना लगाया गया