झोला उठाकर चल देने वाले के साथ क्या नीतीश भी संन्यास लेंगे?

Date:

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की होने वाली हार और बिहार चुनाव (Bihar Election) के संभावित नतीजों के बीच साम्य ढूंढना थोड़ा मुश्किल काम है। लेकिन दोनों में एक साम्य आप आसानी से ढूंढ सकते हैं। जहां अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) बेशर्मी से झूठ बोलते हैं, वैसे ही हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Modi) भी बड़ी बेशर्मी के साथ सार्वजनिक मंचों, चुनावी सभाओं में झूठ बोलते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र अमेरिका की मीडिया इस झूठ को बर्दाश्त नहीं करती है। वो बीच में ही प्रेस कांफ्रेंस का लाइव प्रसारण ये कहते हुए रोक देती है कि आप झूठ बोल रहे हैं। और भारत की मीडिया मोदीजी के झूठ के आगे कुत्तों की तरह पूंछ हिलाते रहती है। मानो हड्डी थोड़ी कम पड़ गई हो।

आप कहेंगे कि बात बिहार(Bihar) चुनावों की हो रही है और आप राग अमेरिका गा रहे हैं। हंसुआ के ब्याह में खुरपी के गीत गा रहे हैं। दरअसल बात ही कुछ ऐसी है। दो चुनाव साथ हो रहे हैं और दोनों चुनावों में झूठों का बोलबाला है। मोदीजी एक नए बिहार का सपना दिखा रहे हैं। तेजस्वी(Tejashvi Yadav) यादव के 10 लाख सरकारी नौकरी की जगह 19 लाख रोजगार बांट रहे हैं। वहीं नीतीश बाबू चुनाव के तीसरे चरण से पहले बिहारियों के सामने एक नई चाल चल दी है। ये नया पासा है भावनाओं के भंवरजाल का। नीतीश बाबू पूर्णिया की सभा में कह बैठे हैं, ‘ये मेरा आखिरी चुनाव है। अब बताइए वोट दीजिएगा कि नहीं।‘ फिर कहते हैं, ‘अंत भला तो सब भला।‘ अब बड़ा सवाल ये है किस्वाभिमान के साथ जीने वाले बिहारियों के आगे भावनाओं के दोहन की ये चाल कितनी कारगर साबित होने जा रही है? 

दरअसल मोदीजी और बीजेपी की ओर से चुनाव के बीच में दरकिनार गए गए नीतीश बाबू अंदर से बौखलाए हुए हैं।

नीतीश बाबू की झुंझलाहट साफ दिखाई दे रही है। उनका राजनीतिक करियर ढलान पर है और उन्हें अपना अंत दिखाई दे रहा है। ऊपर से मोदी के कथित हनुमान चिराग पासवान रोज उन्हें चोर-चुहाड़ और पता नहीं क्या-क्या बोलते रहे, लेकिन मोदीजी ने किसी भी सभा में चिराग पासवान के आरोपों पर जुबान नहीं खोली। उन्होंने चिराग को एक तरह से नीतीश पर खुलकर हमला करने की इजाजत ही दी। दरअसल मोदीजी चिराग पासवान के रूप में बिहार में अपना नया पार्टनर ढूंढ रहे हैं, जो रामविलास पासवान की तरह उनके आगे दूम हिलाते रहें। तभी राजनीतिक पंडित कहते हैं, ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसे मोदी ने ठगा नहीं।‘ 

नीतीश कुमार थक गए हैं

कहते हैं कि जब आदमी कमजोर होता है तो विपक्षी हमलावर हो जाते हैं। तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में यही किया। तेजस्वी कहते हैं, नीतीशजी ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। वो हकीकत कबूल नहीं कर पा रहे हैं। उनसे बिहार नहीं संभल रहा है। वो थक गए हैं। अब उन्हें आराम की जरूरत है। इसी तर्ज पर राहुल गांधी भी नीतीश कुमार के बारे में कहते हैं, ‘मोदीजी और नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकार ने बिहार को लूटा है। छोटे दुकानदारों, कारोबारियों को कुचल डाला है। इसीलिए आज नीतीश का चेहरा ढीला पड़ गया है और वो सुस्त से नजर आ रहे हैं।‘ दरअसल जबसे महंगाई के सवाल पर मधुबनी के हरलाखी की सभा में नीतीश कुमार पर प्याज फेंके गए, वो बिफर पड़े हैं। तभी उन्हें मंच से ही कहना पड़ा, ‘फेंको-फेंको, खूब फेंको-खूब फेंको, फेंकते रहो..कोई असर नहीं होगा।‘ लेकिन चुनाव सामने हो तो इसका मतलब भी होता है और असर भी होता है।  

ये भी पढ़ें :-

बिहार में तीसरे दौर में 78 सीटों पर 1204 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है। इनमें ज्यादातर सीटें सीमांचल, कोसी और मिथिलांचल इलाके की हैं। जहां 2015 के चुनाव में महागठबंधन को 54 सीटें मिली थीं। लेकिन इसबार नीतीश आरजेडी के साथ न होकर बीजेपी के साथ हैं। इसलिए बीते चुनाव के नतीजों से इसबार किसी निषकर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं होगा। सीमांचल की 24 सीटों में से 6 मुस्लिम बहुल सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने 2015 के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे थे। तब उन्हें बिहार में कुल वोटों का 0.2 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन जिन सीटों पर उनके उम्मीदवार थे वहां उन्होंने करीब 8.04 फीसदी वोट मिले। मतलब साफ है कि मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाले ओवैसी में जीतने की ताकत भले ही न हो, वो हराने की ताकत जरूर रखते हैं। तेलंगाना में 9 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले ओवैसी ने इस बार सीमांचल के मुस्लिम बहुल 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। इसीलिए कांग्रेस ने उनपर तीखा हमला किया और उन्हें ‘वोटकटवा’ और ‘बीजेपी का तोता’ तक कह डाला। 

Bihar
Bihar

इधर तेजस्वी पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई, महंगाई और सबसे बड़ी बात सुनवाई का वादा कर रहे हैं। उनका नारा है, ‘चुपचाप, लालटेन छाप।’ अगर आप गांवों में लोगों की बोली सुनेंगे तो नतीजों का थोड़ा बहुत अंदाजा लगा सकते हैं। इनकी बानगी देखिए।  

‘मोदीजी समुंदर में जहाज उड़बै छथिन और हियां कोरोना बखत मजदूरन के अवै जाय के लेल बसों ट्रेन नय। उ अमीरन के प्रधानमंत्री छथिन, गरीबन के देखय वाला केऊ नय।‘  

‘सरकार के बदलैत रहबा के चाही। नय बदलवै न तो तानाशाह भये जाए छै। ए बार बदलवै और नय ठीक काम करतै ना तो फेर पांच साल में बदल देबैय।‘ 

‘जिनकर पेट भरल रहै छय न, सेहे मंदिर-मस्जिद के बात करै छय। जय श्रीराम बाजय से पेट भइर जतय।‘ (जय श्रीराम बोलने से पेट भर जाएगा।) 

संजय कुमार
संजय कुमार 1998 से अबतक टीवीआई, आजतक, इंडिया टीवी, राज्यसभा टीवी से जुड़े रहे हैं। बीते दो साल से स्वराज एक्सप्रेस न्यूज चैनल के कार्यकारी संपादक हैं।

कई सालों से बेरोजगार बिहार के हजारों युवा नौकरी और शिक्षा के सवाल पर तो फट पड़ते हैं। नीतीश सरकार को सबक सिखाने की बात करते हुए कहते हैं, ‘मोदीजी का मंत्र है, भारत माता की जय बोलिए और पेट पर मुक्का मारकर सो जाइए।‘ शराबबंदी से फायदे की बात करने पर एक महिला कहती हैं, राक्षस राज है, गुंडा राज है। घर-घर में शराब मिल रही है और बेची जा रही है। मोदीजी तो कहते थे, ‘सरकार देश में बुलेट ट्रेन चलाएगी और यहां तो रेलवे तक बेच दिए हैं।‘ बिहार में राजनीतिक चेतना से लैस जागरूक वोटरों की इस समझदारी भरे बयानों से अगर आप नतीजों के बारे में कुछ अंदाजा लगा सकते हैं तो लगा लीजिए। वर्ना 10 नवंबर तक मोदी मिडिया और गोदी मीडिया के ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल के मजे लीजिए। भइया, लोकतंत्र है और सबको बोलने का अधिकार अभी तक कायम है। 

Share post:

Visual Stories

Popular

More like this
Related

Winter Vaccation Anounced In J&K Degree Colleges

Srinagar, December 20: The Jammu and Kashmir Government on...

National Urdu Council’s Initiative Connects Writers and Readers at Pune Book Festival

Urdu Authors Share Creative Journeys at Fergusson College Event Pune/Delhi:...

एएमयू में सर सैयद अहमद खान: द मसीहा की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित

सिरीज़ के लेखक मुतईम कमाली की सभी दर्शकों ने...
Open chat
आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.