Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home3/globazty/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
globaltoday ख़त्म हुआ वो ख़ामोश अफ़साना

ख़त्म हुआ वो ख़ामोश अफ़साना

Date:

ज़िदगी में भी वे खामोश तबियत की थीं। उनकी फिल्मी ज़िंदगी भी धूम-धाम वाली नहीं थी। शादी भी खामोशी से कर ली और बाकी की ज़िंदगी
बिना चर्चा में आए आराम से बिताती रहीं और अब बेहद खामोशी से दूसरी दुनिया के सफर पर चली गयीं। उनका नाम तो था जेबुन्निसा लेकिन
फिल्मी नाम कुमकुम ही उनकी पहचान रहा।


उनका जन्म 22 अप्रैल 1934 को बिहार के हुसैनाबाद में हुआ था। ज़मींदार पिता की बेटी कुमकुम बहुत छोटी सी थीं कि जमादारी प्रथा खत्म कर दी गयी और परिवार की आर्थिक स्थिति बदतर हो गयी। पिता परिवार को लेकर कोलकाता पहुंचे। कोलकाता में कुमकुम के पिता ने कुछ समय बाद दूसरी शादी की और पाकिस्तान चले गए।

कुमकुम और उनकी छोटी बहन को लेकर मां पहले बनारस फिर लखनऊ में आ गयीं।”कुछ और स्थानो पर संघर्ष करने के बाद कुमकुम का परिवार लखनऊ में बस गया। बचपन से डांस में गहरी दिलचस्पी लेने वाली कुमकुम ने लखनऊ में गुरू लच्छू महाराज से डांस सीखा और मंच पर नृत्य पेश करने लगीं। इसी दौरान वे मुंबई घूमने पहुंचीं और किस्मत ने फिल्मी पर्दे पर पहुंचा दिया। पहली फिल्म शाहिद लतीफ की शीशा (1952) में उन्होंने एक डांस पेश किया। इसक बाद उन्हें कई फिल्मों में डांस के जौहर दिखाने का मौका मिला। इससे पहले कि वे केवल नर्तकी बन कर रह जातीं उन्हें गुरूदत्त ने अपनी फिल्म ‘आर पार’ (1954) में कमसिन कुमकुम को पांच बच्चों की मां का रोल दिया। फिर तो कुमकुम नृत्य और अभिनय दोनो नावों पर सवारी करने लगी।

Kumkum In Anjali (1957)
Kumkum In Anjali (1957)

तेरा जलवा जिसने देखा वो तेरा हो गया (उजाला), रेश्मी शलवार कुर्ता जाली का (नया दौर) मधुबन में राधिका नाचे रे (कोहिनूर) और मेरा नाम है चमली मैं मालन अलबेली (राजा और रंक) जैसे गीतों पर कुमकुम के डांस ने उनको अलग पहचान दिलायी। 1955 में कुमकुम की 13 फिल्में रिलीज़
हुईं। वे शम्मी कपूर, शशि कपूर, अजित, कंवलजीत, फिरोज़ खान और धर्मेंद्र की हिरोइन के रूप में पर्दे पर चमकीं।

1957 में वे भारतीय फ़िल्म इतिहास की महान फिल्म मदर इंडिया का हिस्सा बनीं। फिर महबूब खान की फिल्म सन ऑफ इंडिया में कुमकुम नायिका बनी।

फिल्म करोड़पति में वे शशिकला के साथ किशोर कुमार की नायिका बनी। किशोर के साथ उनकी बाग़ी शहज़ादा, मि. एक्स इन बॉम्बे, श्रीमान फंटूश, दुनिया नाचेगी, हाय मेरा दिल और गंगा की लहरें जैसी फिल्में आयीं और यह जोड़ी ख़ूब पसंद की गयीं।

हिंदी फिल्मों की दुनिया में जब भोजपुरी फिल्में बनने का दौर शुरू हुआ तो पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियर चढ़ैबो में नायिका के लिये कुमकुम का नाम सबकी पहली पसंद बना। उन्होंने गंगा नाम की भोजपुरी फिल्म में अभिनय भी किया और प्रोड्यूसर भी बनी। कुमकुम ने खुद को
फिल्मी दुनिया के बनावटी रवैये से दूर रखा। उन्होंने कभी नहीं देखा कि उन्हें किसी नएचेहरे के साथ काम करना पड़ रहा है यै सीनियर के साथ।

ये भी पढ़ें:-

    फिल ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ में वे धर्मेंद्र की नायिका बनी हांलाकि तब धर्मेंद्र उनसे जूनियर थे। इसी तरह फिरोज खान के साथ जब उन्होंने काम किया तो फिरोज़ खान उनसे जूनियर थे।

    इक़बाल रिज़वी, वरिष्ठ पत्रकार,लेखक और कहानीकार-फ़ोन -9871697241
    इक़बाल रिज़वी, वरिष्ठ पत्रकार,लेखक और कहानीकार

    रामानन्द सागर ने कुमकुम की प्रतिभा पर सबसे अधिक विश्वास किया। उनकी फिल्म गीत, आंखें, ललकार और जलते बदन में कुमकुम ने उनका भरोसा टूटने नहीं दिया। 1970 के आस पास फिल्में रंगीन होने लगी थीं। रंगीन फिल्मों के तेवर और रंग ढंग तेज़ी से बदले। ग्लैमर को प्रमुखता मिलने लगी। 1973 में कुमकुम की दो अंतिम फिल्में आयीं। किरण कुमार के साथ जलते बदन और विनोद खन्ना के साथ धमकी। लेकिन उनकी अंतिम रिलीज़ फिल्म ब्लैक एंड व्हाईट थी। बॉम्बे बाई नाइट नाम की इस फिल्म के हीरो संजीव कुमार थे। फिल्म 1971 में शुरू हुई लेकिन रिलीज़ हुई 1976 में। 1975 में कुमकुम ने सज्जाद अकबर खान से शादी कर हमेशा के लिये फिल्मी दुनिया छोड़ दी। अगले 15 साल वे पति के साथ कुछ खाड़ी देशों में रहीं। इसके बाद वे मुंबई में रहने लगीं। उनकी एक बेटी है।


      Share post:

      Visual Stories

      Popular

      More like this
      Related

      एक दूसरे के रहन-सहन, रीति-रिवाज, जीवन शैली और भाषा को जानना आवश्यक है: गंगा सहाय मीना

      राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद मुख्यालय में 'जनजातीय भाषाएं...

      Understanding Each Other’s Lifestyle, Customs, and Language is Essential: Ganga Sahay Meena

      Lecture on ‘Tribal Languages and Tribal Lifestyles’ at the...

      आम आदमी पार्टी ने स्वार विधानसभा में चलाया सदस्यता अभियान

      रामपुर, 20 नवंबर 2024: आज आम आदमी पार्टी(AAP) ने...
      Open chat
      आप भी हमें अपने आर्टिकल या ख़बरें भेज सकते हैं। अगर आप globaltoday.in पर विज्ञापन देना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें.