मुंबई: इस साल भारत ने ऑस्कर पुरस्कारों की दौड़ में आमिर खान और किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज़’ को ऑफिशियल एंट्री के रूप में भेजने का फैसला किया गया है। फिल्म को देश-विदेश में खूब सराहा गया है और इसके प्रदर्शन के बाद से ही इसकी तारीफें हो रही हैं। हालाँकि, फिल्म के चुनाव को लेकर कुछ सिनेमा विशेषज्ञ और आलोचक सवाल उठा रहे हैं। उनके अनुसार, पायल कपाडिया की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का बेहतर प्रतिनिधित्व कर सकती थी।
‘लापता लेडीज़’ एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित फिल्म है, जो ग्रामीण भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालती है। इसकी कहानी और अभिनय को काफी सराहा गया है। आमिर खान और किरण राव के प्रोडक्शन के चलते इसे व्यावसायिक सफलता भी मिली है। लेकिन कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ऑस्कर जैसे मंच के लिए फिल्म की थीम और स्टाइल से अधिक कलात्मक गहराई की जरूरत होती है।
पायल कपाडिया की ‘ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट’ एक संवेदनशील और अत्यंत प्रभावशाली फिल्म है, जो भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है। यह फिल्म न केवल सिनेमा की तकनीकी दृष्टि से उत्कृष्ट मानी जा रही है, बल्कि इसके संदेश में भी गहनता और अंतरराष्ट्रीय अपील है। आलोचकों का मानना है कि इसकी सिनेमाई शैली, दुनिया भर के दर्शकों के लिए अधिक आकर्षक हो सकती थी और यह ऑस्कर में भारत को एक मजबूत दावेदार के रूप में प्रस्तुत कर सकती थी।
बॉलीवुड में कई बड़े नाम ‘लापता लेडीज़’ के चुनाव के समर्थन में हैं, लेकिन ऑस्कर जैसे मंच पर भेजी जाने वाली फिल्मों का चुनाव केवल व्यावसायिक सफलता और घरेलू सराहना पर आधारित नहीं होना चाहिए। फिल्म के अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के संदर्भ में इसकी अहमियत और संदेश की गहराई भी महत्त्वपूर्ण होती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘लापता लेडीज़’ ऑस्कर की दौड़ में किस हद तक सफल होती है और क्या भारत इस बार इस पुरस्कार को अपने नाम करने में सफल हो पाता है।
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