किसान आंदोलन के दौरान जो किसान शहीद हुए उन किसानों के परिवारों को मोदी सरकार ने किसी भी तरह का मुआवजा देने से दो टूक मना कर दिया है। सरकार ने कहा है कि उसके पास किसानों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है ऐसे में किसी भी तरह के मुआवज़े का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में सांसदों के एक समूह द्वारा ‘कृषि कानूनों के आंदोलन’ पर उठाए गए सवालों के जवाब में यह बात कही।
कृषि मंत्रालय ने साफ तौर पर कह दिया कि किसानों के मामले में उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसीलिए कोई वित्तीय सहायता प्रदान करने का सवाल ही नहीं उठता।
गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मुख्य मांग के अलावा अन्य मांगों के लिए किसान एक साल से भी अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांगों में आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और मृतक किसानों को मुआवजे देने की मांग भी शामिल है। साथ ही मृतक किसानों के परिजनों के लिए पुनर्वास की मांग भी की गई है।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि पिछले साल से आंदोलन के दौरान लगभग 700 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।
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