कैदियों को सुधारने के लिए जेल में लिखे गए महापुरुषों के उपदेश

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रामपुर(रिज़वान ख़ान): समाज के नजरिये से जेल एक ऐसी जगह है जहां पर व्यक्ति को उसकी गलतियों और गुनाह की सजा मिलती है, लेकिन कानून की नजर में जेल एक सुधार गृह है जिसका मकसद कानून तोड़ने वालों को जेल में रख उनकी गलतियों का एहसास करा कर उनके जीवन में सुधार लाना है। इसी उद्देश्य के साथ रामपुर के जेल प्रशासन की ओर से यहां की चारदीवारी पर महापुरुषों के स्लोगन लिखे गए हैं और कैदी और बंदियां को हुनर का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है।

रामपुर की जेल इन दिनों काफी चर्चा में है, इसका बड़ा कारण यहां पर जेल अधीक्षक के पद पर तैनात प्रशांत मौर्य की वह सोच है जिसके तहत खूंखार अपराधियों को सुधार कर एक बेहतर इंसान बनाना है।

अधीक्षक अपनी इस सोच को अमली जामा पहनाने के उद्देश्य से उनकी जेल में बंद दर्जनों कैदियों और बंदियों को हुनर सिखाने के साथ ही तालीम दिलाने में भी जुटे हैं।

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जेल प्रशासन की ओर से अधीक्षक की अगुवाई में अपराधियों को पूर्व में उनके द्वारा किए गए समाज विरोधी कार्य और कानून तोड़ने के गुनाह के एहसास को उनके मन मे उभारने के लिए जेल की हर दीवार पर देश के महापुरुषो के द्वारा अपने-अपने समय में दिए गए उपदेशों को लिखवाया गया है ताकि महापुरुषों के एक-एक शब्द का असर बंदी और कैदी की दिनचर्या पर पड़ सके और वह सुधर कर एक बहतर इंसान बनकर जेल से बाहर निकले।

कैदियों को सुधारने के लिए जेल में लिखे गए महापुरुषों के उपदेश

फिलहाल जेल के अंदर बंद जहां बंदी और कैदियों की जिंदगी पर महापुरुषों के इन उपदेशों का असर दिखाई दे रहा है, तो वहीँ वे हुनर के कार्य जैसे कारचौब, एलईडी बल्ब बनाना आदि का कार्य भी बड़ी शिद्दत के साथ सीखते दिखाई देते हैं। इसके अलावा पढ़ाई लिखाई के साथ ही फ्रेंच भाषा का ज्ञान भी प्राप्त कर रहे हैं।

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