आजमगढ़/यूपी: संविधान और लोगों को हासिल अधिकारों को लेकर यूपी के जनपद आजमगढ़ में इंडियन मुस्लिम सिविल राइट के नेतृत्व में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों, मुस्लिम सिविल राइटस और यूसीसी समेत विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई.
अधिवेशन में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी मौजूद रहे. पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने यूसीसी को लेकर केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की, उन्होंने कहा कि यह समय यूसीसी पर बात करने का नहीं है. अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि अपने अधिकारों को जानिए और उसे बचाने के लिए संघर्ष कीजिए.
आईएमसीआर द्वारा आयोजित इस अधिवेशन में मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि मोदी सरकार देश में यूसीसी लाना चाहती है, मगर इसका ड्राफ्ट क्या है? कैसे लागू किया जाएगा? इसको लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है, इसलिए हमारी पार्टी (कांग्रेस) ने तय किया है कि ड्राफ्ट को देखा जाए फिर कोई बात कही जाए. उन्होंने कहा कि आजमगढ़ आ कर हमें बहुत अच्छा लगा.
केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने देश की आजादी की जब लड़ाई लड़ी थी, उस समय उन्होंने भारत को लेकर एक परिकल्पना की थी एक बगीजा होगा, जिसमें हर रंग का फूल होगा और उसको हम अपना मानेंगे, लेकिन आज उसको परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है कि एक ही रंग का फूल हो, जिसे हम स्वीकार नहीं करेंगे. हम मजबूती के लिए लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहे हैं. संविधान को बचाने के लिए हम सब को जागरूक होना होगा और अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा.
राहुल गांधी के मामले को लेकर सलमान खुर्शीद ने कहा हम लोग सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. राहुल गांधी आज किसानों, ट्रक वालों और स्कूली बच्चों से मिल रहे हैं इसमें बुराई क्या है, विपक्ष के लोग भी करें. वहीं ट्रिपल तलाक के मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि तलाक न भी हो तब भी अत्याचार नहीं होना चाहिए.
आईएमसीआर के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद मुहम्मद अदीब ने बढ़ती नफरत का जिक्र करते हुए कहा कि आज हमसे पूछा जा रहा है कि तुम खा किया रहे हो, सड़कों पर हमसे पूछा जाता है कि तुम बताओ देश भक्त हो की नहीं, यह एहसास हमे परेशान करता रहा और मैं परेशान होता रहा, यह वो वक्त नहीं रहा जिसका सपना हमने देखा था, जिसके लिए अपनी जिंदगी कुर्बान की थी.
मुहम्मद अदीब ने कहा मेरे खानदान और आपके परिवार ने अपने परिवार को बांटा था, मैं समझ नहीं पाया कि हमने जिन्ना को ठुकरा कर कोई गुनाह किया. सांझी विरासत को अपनाया क्या जुर्म किया. एक माहौल तैयार होना शुरू हुआ. हमने महसूस किया या तो हमारी कौम डर गई या उसने सियासी पार्टियों की जूतियां उठाना शुरू कर दिया. यह देश रोज़ रोज़ टूटता रहा, फिर यह फिक्र हुई देश कौन बचाएगा, क्योंकि यह कहा जाने लगा कि जो मियां को ठीक करेगा वही देश चलाएगा, उस समय हम सब लोग बैठे और मिलकर आगे बढ़ने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि जो कौमें मुस्तकबिल का खाका नहीं बनाती वो ज़वाल की उस सतह पर खड़ी होती हैं जहां आज हम खड़े हैं.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व योजना आयोग की सदस्य सैय्यदा सय्येदैन हमीद ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा हालात को बदलने के लिए अब महिलाओं को आगे आना होगा, जितनी संख्या में यहां महिलाएं हैं यह संख्या काफी कम है, उन्होंने कहा आजमगढ़ आकर हमे बहुत अच्छा लगा. कार्यक्रम में सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व सांसद अज़ीज़ पाशा भी मौजूद रहे, अपने संबोधन में उन्होंने कहा इस समय दस्तूरे हिंद को तोड़ा जा रहा है और जनता के अधिकारों का खुले आम हनन हो रहा है, हमें अपने अधिकारों को जानते हुए दस्तुरे हिंद को बचाना होगा.
कार्यक्रम को बीएसपी के वरिष्ठ नेता शाह आलम (गुडु जमाली), सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील जेड के फैजान, सपा नेता इरम रब्बानी, ए.एम.यू छात्र संघ के पूर्व सचिव अबरार अहमद चीकू, आईएमसीआर के सचिव मसूद हुसैन, पूर्व विधायक हाफिज इरशाद अहमद, वरिष्ठ गांधीयन और आईआईटी दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर वीके त्रिपाठी समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने संबोधित किया. अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए आईएमसी आरके राष्ट्रीय संगठन महासचिव और अधिवेशन के संयोजक ए.एम.यू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आज़म बेग ने अधिवेशन में बड़ी संख्या में मौजूद सभी वर्गों के प्रतिनिधियों, शिक्षक गणों, शिक्षाविदों एवं बुद्धिजीवियों से संविधान को बचाने के लिए आगे आकर नेतृत्व करने का आह्वान किया.
अनिरुद्ध यादव उर्फ पप्पू यादव ने धन्यवाद अर्पित किया. कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से जामा मस्जिद आजमगढ़ के इमाम मौलाना इंतखाब आलम कासमी ने किया. समापन जमीया तुल फलाह के शैखुल हदीस मौलाना इजहार अहमद मदनी,फलाही की दुआ पर हुआ. कार्यक्रम में जनपद और उसके आस पास से बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.
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