पीलीभीत/उत्तर प्रदेश[गौरव पांडे]:केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार दिव्यांग लोगों के लिये कितनी भी योजनाएँ चलाये लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते सरलारी की इन योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. इसकी एक ताज़ा मिसाल ज़िला पीलीभीत के कलेक्ट्रेट में देखने को मिली.
यहाँ पीलीभीत कलेक्ट्रेट में पूरा दिन एक 65 साल का बुज़ुर्ग अपनी विक्लांग पत्नि को लेकर घूमता रहा, लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की.
यह बुज़ुर्ग जिनका नाम भगवान् दास है,पीलीभीत मुख्यालय से 2-3 किलोमीटर दूर मरौरी ब्लॉक के गांव मंगद पुर के रहने वाले हैं. 65 साल के भगवान दास की पत्नी विकलांग हैं, चल फिर और बैठ नहीं सकतीं यहाँ तक कि बोल भी नहीं सकती.अपनी विकलांग पत्नि को मांगे के ठेले पर लिटाकर कर भगवान दास विकास भवन आये.
भगवान दास को विक्लांग पेंशन बनवाने के लिये बैंक खाते की जरूरत है. भगवान् दास खाता खुलवाने के लिये विकास भवन परिसर में बनी बैंक ऑफ बड़ौदा में कल आये थे लेकिन सुबह से शाम तक उनका खाता नही खुल सका. यह बुज़ुर्ग ज़िला कल्याण अधिकारी के कार्यालय भी गए जो इसी परिसर में है. लेकिन यहाँ से उन्हें समझा कर वापस भेज दिया गया और खाता खुलना तो दूर की बात है, उनका कोई भी काम नहीं हुआ और बुज़ुर्ग भगवान्अ दास अपनी विक्लांग पत्नि और बेटी को लेकर वापस फिर 3 किलोमीटर दूर गांव चला गया.
विकास भवन जो कि कलेक्ट्रेट परिसर में है. जिला अधिकारी से लेकर जिले के सभी अधिकारी यहाँ हैं और सभी विभाग के कर्मचारी भी यहाँ है और इन सभी अधिकारियों के बीच एक गरीब बूढा इंसान अपनी विक्लांग पत्नि को लेकर इधर से उधर चककर काटता रहा लेकिन इस परवार से कोई कुछ पूछने वाला नही है.
इतना ही नही मुख्य विकास अधिकारी(CDO) सरकारी गाड़ी से खुद ठेले के सामने से निकल गए लेकिन उनको भी ठेले पर अपनी लाचार पत्नि को ले जाता हुआ मजबूर बुजुर्ग नही दिखाई दिया.पुलिस अधीक्षिक,जज का आवास, जिला अधिकारी कार्यालय सब के सब यहीं हैं लेकिन ठेला लिए घूमता ये बुज़ुर्ग किसी को नही दिखायी दिया. कल सुबह से शाम तक ये बूढ़ा अपनी बेटी के साथ ठेले पर अपनी विकलांग पत्नि को परिसर में छोड़ कर कार्यालयों और बैंक के चक्कर काटता रहा और शाम को घर चला जाता है. लेकिन कोई इसकी मदद करने नहीं आता.कुछ लोग जो अपने किसी काम से आये थे वह मदद के लिये बैंक और विकलांग कार्यालय के अधिकारी से मिले तो अधिकारियों ने कानूनी दांव-पेच बता कर उनको भी चलता कर दिया.
आयुष्मान भारत,विकलांग पेन्शन, जनधन योजना न जाने कितनी ही योजनाओं का ढिंढोरा सरकार विज्ञापनों के ज़रिये पीट रही है. लेकिन गरीबों को इन योजनाओं का लाभ कितना मिल पा रहा है इसका अंदाज़ा भगवान् दास को देखकर लगाया जा सकता है. जबकि हकीकत में इस परिवार को इन सब योजनाओं की जरूरत है लेकिन इतने बड़े सिस्टम में इनकी सुनने वाला कोई नही है.जब इस मामले में सम्बन्धित अधिकारी से बात की गयी तो वे सब तुरन्त अपने अपने काम पर लग गए.