अगर मैं वज़ीर ए आज़म होता तो मैं शूटिंग में शरीक नहीं होता बल्कि शूट करने के लिए निकल जाता, पूरे देश के लिए संदेश है कि चौकीदार बहुत देखभाल के रखें !
ग्लोबलटुडे न्यूज़/रामपुर[सऊद खान]:सपा नेता आज़म खान ने चैकीदार के सवाल पर सवालिया अंदाज़ में जवाब देते हुए जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि कहा कि देखिए इन जुम्लों-नारों से बात नहीं बनने वाली, चुनाव है यह बताना पड़ेगा कि 20 लाख रूपया हर व्यक्ति के घर तक पहुंचा या नहीं। हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के वायदे में 10 करोड़ नौकरियां मिली कि नहीं? जीएसटी से लोगों को कितना लाभ हुआ इसका आंकड़ा बताना पड़ेगा।
आरबीआई के डायरेक्टर ने क्यों ऐसा कहा, क्यों इस्तीफा दिया यह बताना पड़ेगा। नोटबंदी बगैर आरबीआई की सहमति, बगैर इजाज़त के कर दी गई इसकी क्या वजह थी यह बताना पड़ेगा। देश के खजाने का अस्सी प्रतिशत पैसा केवल देश के 10 पूंजीपतियों को देकर उनके क़र्ज़े माफ़ कर दिये गये और किसान आत्महत्या करता रहा इसकी वजह बताना पड़ेगी। यह बताना पड़ेगा कि तीन तलाक़ के मामले में मुसलमान मर्द को तीन साल की सज़ा और दूसरे धर्मों के लोग जो तलाक़ देते हैं, जिनका रैशो मुसलमानों की तलाक़ से कई सौ गुना ज्यादा है, उन्हें कितने बरस की जेल होगी? गंगा साफ़ क्यों नहीं हुई? राममंदिर क्यों नहीं बना? बाबरी मस्जिद तोड़ दी गई यह ब़ड़ा गुनाह था। एक इबादतगाह तोड़ी गई लेकिन दूसरी इबादतगाह बनी क्यों नहीं? यह जानना जरूरी है, यह बताना जरूरी है। इस मुददे पर सरकार आई थी, सरकार बनी थी आज यह मुददा कहां चला गया? पुलवामा जैसे दर्दनाक सानेहा (हादसा) के बाद वो कार्रवाई क्यों नहीं हुई जो एक खुददार गैरतदार कौम को करना चाहिए।
अगर मैं वजीर ए आजम(प्रधानमंत्री) होता तो मैं शूटिंग में शरीक नहीं होता बल्कि शूट करने के लिए निकल जाता। यह छिछौरी बातें हैं, यह नौटंकी की बाते हैं, इनसे कहीं चुनाव लड़े जाते हैं। मैं कह दूं होशियार, खबरदार यह बात क्या हुई। इतना स्तर गिरा देंगे आप प्रधानमंत्री के पद का। कितना स्तर गिरायेंगे। 135 करोड़ के हिन्दुस्तान का वजीर ए आजम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इसी में फंसा हुआ है चैकीदार होशियार खबरदार यह क्या बातें हुई हिसाब दीजिए। जो सर ले गया था सरहदों पार वाला उन सरों का हिसाब कितना हुआ?
कांग्रेस द्वारा सात सीटें छोड़ देने के सवाल को बेवजह की इनायत बताते हुए आजम खां ने कहा कि उनसे किसने यह कहा था कि आप ऐसा करिए। बेवजह की मुफ्त की इनायत की क्या वजह है और आप देख चुके हैं विधानसभा का चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। तो हम तो डूबे थे सनम तुमको भी ले डूबे। तो यह हुआ था हमारे लिए। अपना अपना लड़ें बहादुरी मजबूती से लड़ें। बल्कि यह कहें कि रायबरेली और अमेठी में भी हमें सपा की इनायत नहीं चाहिए। हम लड़ेंगे सीना ठोक कर लडे़ंगे और उसी तरह लड़ेंगे जैसे हमने मध्यप्रदेश और राजस्थान में लड़ा किसी को एडजस्ट नहीं किया। न एक सीट सपा को दी न ही एक सीट बसपा को दी। ऐसी चुनौती कुबूल करें।
यह भी रोचक है- किसको मिलेगा टिकट जाया प्रदा या सीमा नक़वी को?