लखनऊ/यूपी[ग्लोबलटुडे]: रिहाई मंच ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर को नसीहत दी की रिहाई मंच का नाम कांग्रेस के समर्थन में लेना बंद करें। मंच ने कहा कि कुछ कार्यकर्त्ता गए उनकी पार्टी में गये होंगे,पर बटला हाउस में क़त्ल किए गए संजरपुर, आजमगढ़ के साजिद और आतिफ के खून से रंगी पार्टी से रिहाई मंच का कोई वास्ता नहीं। यह सरासर गलतबयानी है और रिहाई मंच की जुझारू पहचान को हल्का करने की धूर्तता है। यह मंच की छवि को भुनाने की ओछी हरकत है।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा की गुजरात के पीड़ितों के राहत कैम्पों को आतंकियों से जोड़ने वाले ,मोदी की राह पर चलने वाले राहुल गांधी जिनको मुज़फ्फरनगर के राहत कैम्पों में भी आतंकी नज़र आते हैं की राह, फ़ासीवाद-मनुवाद की वही राह है जो देश को तबाह कर रही है। गुजरात जनसंहार के गुनहगार को बचाकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का मौका देने वाली कांग्रेस ने आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों और माओवाद के नाम पर आदिवासियों के खात्मे की जो गन्दी राजनीति की उसके हम विरोधी ही नहीं बल्कि इन्हें कातिल मानते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर अपने शासन काल में नेली, मुरादाबाद, हाशिमपुरा, मलियाना के मुस्लिम विरोधी और 84 के सिख विरोधी दंगों से लेकर बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने और आख़िरकार उसके विध्वंस के बाद पूरे देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देने का कलंक है। इस पर उसने कभी पछतावा ज़ाहिर नहीं किया, उलटे सिख विरोधी हिंसा में कांग्रेसी हाथ होने के आरोप को ही ख़ारिज कर दिया। यह नहीं भुलाया जा सकता कि कांग्रेस ने ही मुनाफे के लुटेरों के लिए उदारीकरण, निजीकरण और खगोलीकरण की नीतियों को हरी झंडी दिखाने, आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के अधिकार पर डाका डालने, ईसाई मिशनिरियों को सुरक्षा न देने, मनुवादियों को पालकर दलितों पर हमले, खेती-किसानी को रौंदने, लोगों को ज़बरिया पलायन के लिए मजबूर करने, आतंकवाद को पालने-पोसने, माओवाद के नाम पर आदिवासियों को उनके इलाकों से बेदख़ल करने और वंचित समुदायों के निरंतर दरिद्रीकरण की ज़मीन तैयार करने का अपराध किया.
शुऐब ने कहा कि बटला हाउस में मारे गए हमारे मासूम बच्चों के क़ातिलों को हक़, हुक़ूक़ और इंसाफ की ये मुहिम कभी माफ़ नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विभेदकारी और जनविरोधी नीतियों के बीज बोए जिसे भाजपा ने सींचा और उसे लहलहाती फसलों में बदला। भय-हिंसा और नफ़रत की राजनीति को चरम पर पहुंचाया और विकास का ऐसा इंद्रजाल रचा कि देश जैसे कारपोरेट जगत के हवाले हो गया।
गौरतलब है कि मंच अध्यक्ष ने ये बयान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर द्वारा लखनऊ और बाराबंकी में रिहाई मंच का नाम लेने पर दिया.