गांधी जयंती के मौके पर आज़म खान के खिलाफ किसानों का सत्याग्रह

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आज़म खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर हल-बेल लेकर अपनी ज़मीन क़ब्ज़ाने पहुंचे किसान

ग्लोबाल्टोडे, 03 अक्तूबर-2019
सऊद खान की रिपोर्ट

रामपुर: सपा सांसद आजम खान(Azam Khan) की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती नजर आ रही हैं और उनके विरोधी उन्हें हर तरह से घेरने में लगे हैं। बुधवार 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन आज़म खान एसआईटी(SIT)के सामने दूसरी बार पेश हुए तो उधर किसानों उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

जिस तरह कभी गांधी जी ने अंग्रेजो के खिलाफ सत्याग्रह किया था, उसी तरह गांधी जयंती पर किसानों ने सपा सांसद आजम खान के विरोध में सत्याग्रह किया।

अपनी जमीन पर कब्जा कर जुताई करने के लिए बड़ी तादाद में जमा होकर हल-बैल, ट्रैक्टर और फावड़े लेकर किसान आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी पहुंच गए। पुलिस बरहाल पुलिस ने किसानों को यूनिवर्सिटी के गेट पर रोक दिया और उनको अंदर नहीं जाने दिया।

farmers at jauhar university
आज़म खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर हल-बेल लेकर अपनी ज़मीन क़ब्ज़ाने पहुंचे किसान-फोटो ग्लोबलटुडे

रामपुर का आलिया गंज गांव आजकल काफी सुर्खियों में है, इस गांव को अब लोग बहुत दूर-दूर तक पहचानते हैं। उसकी वजह है आजम खान। क्यूंकि आजम खान ने आलिया गंज गांव के बराबर में ही मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी बनाई है। उसी यूनिवर्सिटी को बनाने में आजम खान ने आलिया गंज गांव के कई किसानों की जमीनें कब्जा कर ली हैं,ऐसा आरोप है आलिया गंज के किसानों का।

इस मामले पर आलिया गंज के 27 किसानों ने थाना अजीम नगर में आजम खान और उनके कई अन्य लोगों खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा चुके हैं।

2 अक्टूबर, बुधवार को गाँधी जयंती के मौके पर आलिया गंज गाँव के किसान कई जमा हुए। उनके साथ जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हाफिज अब्दुल सलाम भी शामिल थे और वह लोग अपने गांव से इकट्ठे होकर जुलूस की शक्ल में फावड़ा, बैलगाड़ी, हल और ट्रैक्टर लेकर जौहर यूनिवर्सिटी की तरफ निकल पड़े। अपनी जमीनों को वापस क़ब्ज़ाने के लिए उनके आक्रोश को देखते हुए यूनिवर्सिटी के गेट पर भारी पुलिस लगाई गई थी, सीओ और उपजिलाधिकारी भी वहां मौजूद थे। उन्होंने किसानों को यूनिवर्सिटी के अंदर जाने से रोक दिया और आश्वासन दिया कि पहले इसकी पैमाइश हो जाए, कहां पर जमीन है, किस की जमीन है, कितनी जमीन है। उसके बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है।

जब इस बारे में हमने उप-जिलाधिकारी प्रेम प्रकाश तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया जब यह जौहर यूनिवर्सिटी बनी थी, उस वक्त कुछ किसानों की जमीनें खरीद करके और कुछ किसानों की जमीनें जो बेचना नही चाहते थे उनकी जमीन भी जबरदस्ती कब्जा करके यूनिवर्सिटी में मिला ली है। इसके लिए किसानों ने f।i।r। भी कराई है। उसी वजह से आज ही किसान हल बैल लेकर जोतने के लिए अपनी जमीन यहां आए। इनको आश्वासन दिया है कि जांच के बाद ही आगे कुछ किया जा सकता है।