देश की राजधानी दिल्ली में जिस तेज़ी के साथ मासूम बच्चों को अपहरण करने की घटनाएं तेज़ी के साथ बढ़ रही है, बड़ा ही चिंतनीय विषय है.
नई दिल्ली[उबैद इक़बाल] – दिल्ली के सुन्दर नगरी निवासी फरज़ान अपने परिवार के साथ जामा मसजिद घूमने गये थे. जामा मस्जिद के अंदर उनके परिवार की पलक झपकते ही उनकी 3 साल की बच्ची उरूज फ़ातिमा अचानक ग़ायब हो गई. फिर क्या था पूरा परिवार उसको ढूँढने में लग गया. घटों ढूँढने के बाद भी उनको मायूसी हाथ लगी. उन्होंने जामा मसजिद के प्रशासन से सम्पर्क कर सीसीटीवी कैमरे में देखा। जिसमें उसमें दिखाई दिया कि कोई महिला उस बच्चे को लेकर जाती दिखायी दी। सीसीटीवी फ़ुटेज लेकर वह जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन पहुँचे और पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी। वक़्त धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था,वहीं जामा मस्जिद पुलिस का रवैया भी ढीला दिखा।
उरूज के मामा मोहम्मद अज़हर ( अज्जु ) ने ग्लोबल टुडे न्यूज़ को बताया कि हर बार पुलिस का टालने जैसा एक ही जवाब देख रहे थे जिससे पूरे परिवार की लगातार परेशानी बढ़ रही थी और बच्ची कि माँ कि हालत भी बिगड़ रही थी। अज़हर आगे कहते हैं कि पुलिस का ढीला रवैया देखकर उन्होंने पत्रकार और मशहूर समाजसेवी एम अतहरउददीन उर्फ़ मुन्ने भारती से सम्पर्क कर पूरी घटना की जानकारी दी। अपहरण की गई उरूज कहीं दूर ना जाने पाये इसलिए बिना वक़्त गँवाये मुन्ने भारती ने सबसे पहले मामले को देख रही एसआई मिनाक्षी से बात की।
लेकिन उनकी बातों मे कोई ठोस कोशिश की आस नज़र नही आई, जिसके तहत मुन्ने भारती ने डीसीपी मनजीत सिंह रंधावा को पुलिस के ढीले रवैये के साथ पूरी घटना की जानकारी दी। तेज़तर्रार डीसीपी रंधावा ने मुन्ने भारती की बात पर तत्काल एक्शन लेते हुए जामा मसजिद थाने को तत्काल कार्यवाही करने के साथ रिज़ल्ट देने का आदेश दिया। डीसीपी के हस्तक्षेप से थाने में हड़कम्प मच गया और उरूज की बरामदगी के लिए कई टीमें निकल पड़ीं। सीसीटीवी के फ़ुटेज के सहारे एक के बाद एक छापे मारी ने रंग दिखाया और बच्चे पकड़ने वाले गिरोह में शामिल कई लोग गिरफ़्त में आये। इस गरोह से उरूज को पुलिस ने सही सलामत बरामद कर लिया। उरूज की बकामदगी ने परिवार वालों की जान में जान डाल दी। बदहाल माँ ने उरूज को देखते ही गले लगा लिया।
पुलिस ने सुपुर्दगी की खानापूर्ति करके उरूज को उनके परिवार को सौंप दिया।
सूत्रों के मुताबिक़ बच्चों के अपहरण की इस घटना के तहत गिरोह में पकड़े गये लोगों से कड़ी पूछताछ की जा रही है और उनकी हर कड़ी की बारीकी से छानबीन कर गिरोह में सभी लोगो की गिरफ़्तारी को पुख़्ता बनाया जा रहा है। यही वजह है कि बच्चों के अपहरण करने वाले गिरोह की गिरफ़्तारी के बाद भी पुलिस ने इसकी जानकारी पत्रकारो को रविवार को नही दी , इस मामले मे पुलिस आज प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर सकती है ।
उरूज के मामा मोहम्मद अज़हर ने ग्लोबलटुडे को बताया कि अगर मुन्ने भारती ने तत्काल पहल ना की होती तो उरूज तक पहुँच पाना नामुमकिन था।
उनकी पहल और डीसीपी रंधावा की सक्रियता की वजह से स्थानीय पुलिस पर दबाव लगातार बना रहा और पुलिस सक्रिय रही और नतीजे के तौर पर उरूज हम लोगों के साथ है। उन्होंने कहा कि ओखला इलाक़े के ही नहीं पूरे देश भर में वह लोग जो मुन्ने भारती से वाक़िफ़ है मदद के लिए उनको फ़ोन करते है और मुन्ने भारती उनकी मदद के लिए हमेशा आगे आगे रहते है। यही वजह है कि जब वह रात आफिस से अपने घर ओखला की तरफ़ अपनी मोटरसाइकिल से आते है और रास्ते में उनको कोई मुसाफिर जिसको साधन नहीं मिल पाने के वजह से पैदल चलता नज़र आता है तो वह उनको अपने साथ बैठाकर उनके निवास तक छोड़कर आते है, मुन्ने भारती से जब हमारे संवाददाता ने इस सम्बंध में सम्पर्क किया तो उनका कहना था मैंने तो पूरी ताक़त से पहल की लेकिन उस पहल में तेज़तर्रार डीसीपी रंधावा जी की मदद के सहारे ही उरूज को उसकी माँ की गोद दोबारा मिल सकी। रंधावा जैसे पुलिस अफसर की समाज को ज़रूरत है।, उन्होंने कहा कि इंसान को एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए क्योंकि जब तक देने की हैसियत है बांटते रहना चाहिए क्योंकि वक़्त का पता नहीं कब मदद कर पाने की ताक़त ख़त्म हो जाये इसलिए समय रहते लोगों के दुख दर्द के लिए पहल करनी चाहिए ।