रामपुर/उत्तर प्रदेश[फ़राज़ कलीम]: शिव सेना प्रमुख उद्वव ठाकरे के मंदिर बनाने की तारीख पूछने के बयान के सवाल पर आजम खां ने अपने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मंदिर बनाने वाले भी तारीख पूछेंगे तो फिर मंदिर कैसे बनेगा? यह तो खुद तारीख बताने वाले हैं भारत सरकार में हिस्सेदार हैं। यह तो बड़ी कमशर्मी की बात है। बेशर्मी तो नहीं कहूंगा बड़े नेता हैं। देश के नेता हैं लेकिन कमशर्मी की बात है कि जो लोग भारत सरकार में हैं और जिन्होंने मस्जिद गिराई है, सच्ची बात यह है कि भाजपा ने मस्जिद नहीं गिराई है। शिवसेना ने मस्जिद गिराई थी और शिवसेना ने इस वक्त मंदिर बनाने की अगुवाई की है।
इस संग्राम में मुसलमान कहीं नहीं है और हम तो एक बात और कहना चाहते हैं अपने हिन्दू भाईयों से खासतौर से जबतक 6 दिसम्बर 92 नहीं आया था और मस्जिद के मिम्बर पर मूर्तियां रखीं थी वो अल्लाह के घर यानी मस्जिद का अपमान था, वो हमें मजबूरी में सहना पड़ा। लेकिन 6 दिसम्बर 92 को कम से कम इस अपमान से हमें छुटटी मिल गई कि वहां से मस्जिद का हर निशान मिट गया। बाकी चीजें इतिहास तय करेगा। लेकिन जो मस्जिद का अपमान हो रहा था वह 6 दिसम्बर 92 को खत्म हो गया। आज़म खान ने कहा की 22/23, 1949 से वहां मंदिर हैं। इमारत की शक्ल बदल जाये इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। कब बनेगा कब शुरू होगा भाजपा तय करेगी, हम तो करेंगे नहीं। समझ में यह आ रहा है कि यह जो जमावड़ा है यह भाजपा को डराने से ज्यादा सुप्रीम कोर्ट को डराने की कोशिश है। ताकि अदालत को यह बताया जा सके कि देश के सेंटीमेंट्स क्या हैं ,ये सेंटीमेंटस पूरे देश के नहीं हैं। ये सेंटीमेंटस उन कुछ लेागों के हैं जो अभी भाजपा में आस्था रखते हैं और शिवसेना में। बाकी हिन्दुस्तान तो अमन चाहता है चाहें हिन्दू हो, मुसलमान, सिख, ईसाई जैन पारसी हों।
शिवसेना उद्धव ठाकरे के बयान कि मंदिर बनाना भी क्या चुनावी जुमला था
इस पर बोलते हुए आजम खां ने कहा कि वहां तो राम जन्म स्थान भी चार पांच हैं अयोध्या में। पता नहीं हिन्दू भाईयों को मालूम है कि नहीं वहां तो झगड़ा ही यही है महंतों के बीच एक कहते हैं यह है, दूसरे कहते हैं यह है, तीसरे कहते हैं यह है। वहां तो झगड़ा ही यह है। अभी तो यह ही तय नहीं हुआ कि असल कौन सा है? असल में यह सारी बदतमीजी अकबर बादशाह के जमाने में हुई है। अब बताओ जोधा से क्यों शादी कर ली आपने? यह बदतमीजी की बात है और भाई को सिपहसालार बना दिया और वो तैयार भी हो गये और सिपहसालारी के लिए जोधाबाई से शादी कर दी। बदतमीजी तो तब से शुरू हुई उसको पूरा कर दिया मुख्तार अब्बास नकवी ने और उससे भी बड़ी बेहूदगी की शाहनवाज साहब ने। यह अच्छी बातें थोड़ी हैं। तीसरी बदतमीजी की सुब्रामण्डय साहब ने अपनी बेटी देदी मुसलमान को। यह कोई बात हुई। इस पर विचार करें हिन्दू भाई कि भाजपा के यह लोग कर क्या रहे हैं? हम तो इसे बुरा कह रहे हैं मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज, सुब्रामण्यम स्वामी की इस हरकत को को बुरा कह रहे हैं अब यह बतायें कि यह लव जेहाद है कि नहीं?