आज अजीम इकबाल खान एडवोकेट नाम का एक शख्स जिसने समाजवादी पार्टी की हिमायत में समाजवादी पार्टी को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए और माननीय आजम खान साहब को अपना लीडर मानते हुए, उनको अपना आदर्श समझते हुए जो पार्टी हित में काम किया और लाखों की तादाद में पूरे उत्तर प्रदेश में लोगों को समाजवादी पार्टी से जोड़ा और बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करके समाजवादी पार्टी की हिमायत की, आज वही शख्स समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है।
ऐसा क्यों हुआ
आखिर ऐसा क्यों हुआ इसके पीछे का राज क्या है? आइए जानते हैं अजीम इकबाल खां एडवोकेट समाजवादी पार्टी से हटकर भारतीय जनता पार्टी के नेता व रामपुर से नव निर्वाचित लोक सभा सांसद श्री घनश्याम सिंह लोधी जी के साथ आकर उनके समर्थन में उतर आए और आजम खां साहब से बेपनाह मोहब्बत करने वाले उनके लिए सेहतयाबी और जेल से रिहाई की दुआएं करने वाला शख्स अचानक उनसे नाराज़ कैसे हो गया। इसके लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं और किसके कहने सुनने में आकर आजम खां साहब ने अपने एक बहुत कीमती साथी व कार्यकर्ता को खो दिया है।
बात काफी पुरानी है जब 2015-16 में सपा सरकार में अजीम इकबाल खां नाम के इस कार्यकर्ता ने समाजवादी पार्टी के समर्थन में पार्टी व पार्टी के नेताओं के हाथों को मजबूती प्रदान करने के लिए “समाजवादी समर्थक मोर्चा” नामक एक संगठन गठित किया था,। जिसके सहारे से इस संगठन की पूरे प्रदेश में शाखाएं खोलकर बड़ी तादाद में लोगों को समाजवादी पार्टी के समर्थन में खड़ा किया और एक शक्तिशाली संगठन के रूप में पार्टी की जनहितकारी नीतियों और उद्देशों का गांव गांव जाकर जन जन में प्रचार प्रसार किया। इससे खुश होकर सपा मुखिया ने भी उन्हें गले लगाया और उनका उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें अपने साथ अपने मंच पर भी स्थान दिया।
इस घटना के बाद से समाजवादी पार्टी समर्थक के रूप में उनकी मकबूलियत कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी, यहां तक के लोग उन्हें एक मजबूत और बेबाक वक्ता के रूप में अपने जलसों में मेहमान खुसूसी के तौर पर बुलाने लगे और इनकी अपील पर लोग लब्बैक भी कहने लगे, साथ ही काफी लोग बड़ी तादाद में इस संगठन से इस आस से भी जुड़ने लगे कि सपा सरकार बनने वाली है और इस संगठन से अखिलेश यादव जी भी मोहब्बत करते हैं और आने वाले दिनों में अजीम इकबाल खां एडवोकेट का कद पार्टी में जरूर बढ़ेगा। और एक दिन वो आजम खां की रिहाई के मकसद से सपा कार्यालय लखनऊ जा पहुंचा जहां वो ये देखकर दंग रह जाता है कि सपा कार्यालय में एवं सपा कार्यालय के बाहर किसी भी होर्डिंग्स में उसके प्रिय नेता मोहम्मद आज़म खां का फोटो नदारद है, ये दृश्य देख कर उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है, उसने सभी के सामने नेताओं और पूरे प्रदेश से आए हुए कार्यकर्ताओं के सामने आजम खां का फोटो किसी भी होर्डिंग्स में न लगे होने की जमकर शिकायत की और अपनी नाराज़गी का खुलकर इजहार किया, जिस पर बात अखिलेश यादव के संज्ञान में आने पर उन्होंने अपने मंच पर बुलाकर सम्मान दिया और कहा कि आपकी भावनाओं की मैं कद्र करता हूं और आगे से ऐसा बिल्कुल नहीं होगा और सरकार बनने पर सबसे पहला काम आजम साहब के ऊपर लगाए गए सभी मुकदमों को पहली केबिनेट बैठक में ही वापस ले लेंगे और आपके संगठन को भी मान्यता प्रदान कर देंगे और आपको पूरा मान सम्मान प्रदान किया जाएगा। उन्होंने अज़ीम इकबाल को अपने मंच पर बुलाकर भरपूर सम्मान दिया और अपने साथ अपने फोटो भी खिंचवाका हमे भेजा।
अखिलेश यादव के साथ फ़ोटो
उनका अखिलेश यादव जी साथ मंच पर फोटो काफी वायरल हुआ और बात जेल में बंद आजम खां तक पहुंची जो उन्हे शायद नागवार गुजरी कि मेरा एक मामूली सा कार्यकर्ता मेरे बिना कैसे आगे बढ़ रहा है। लेकिन लोगों को क्या पता कि अजीम इकबाल खां रामपुर के बाशिंदे है और यहां सिर्फ और सिर्फ आज़म खां साहब का सिक्का चलता है। जबकि सपा और आजम खां साहब के नाम का ये खास कार्यकर्ता इस बात से अनजान रहकर पूरी मेहनत और दिलो जान से आज़म खां जिंदाबाद का नारा बुलंद करता रहा।
इस दौरान अपने प्रिय नेता की मोहब्बत में उनका ये कार्यकर्ता रात दिन लोगों को जोड़ता रहा और 4 बार उनसे मिलने सीतापुर जेल तक पहुंचा मगर उनसे मुलाकात न कर सका और अपनी मोहब्बत को अपने सीने में दबाए लगातार अपने मोर्चे के माध्यम से पार्टी हित में कार्य करता रहा। I
इतनी मेहनत और कुर्बानी देने वाले इस कार्यकर्ता को ये उम्मीद थी कि जब उसका आदर्श नेता जेल से बाहर आएगा तो वो उसे खूब शाबाशी देगा और उसकी पीठ थपथपाकर उसका हौसला बढ़ायेगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत। जब वो उनसे जाकर उनके घर पर मिला तो उसके होश फाख्ता हो गए, और उसे वहां अप्रत्याशित बातें सुनने को मिलीं। उसी वक्त उस खुद्दार कार्यकर्ता ने मन बना लिया कि अब वो आगे आजम खां के साथ काम नहीं करेगा और पार्टी से इस्तीफा दे देगा।
इसी बीच उपचुनाव की घोषणा हो गई और उसने अपने पुराने मित्र भाजपा से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे घनश्याम सिंह लोधी का खुलकर सामने आकर समर्थन किया और उन्हें चुनाव में जीत भी दिलाने में अहम भूमिका अदा की।
आज घनश्याम सिंह लोधी जी भी इस कार्यकर्ता का पूरा मान सम्मान कायम रखने के लिए उसके आवास पर जाकर मिले और ईद उल अजहा की मुबारकबाद पेश की, साथ ही रामपुर की खुशहाली और तरक्की के लिए अजीम इकबाल खां एडवोकेट द्वारा पेश किए गए ज्ञापन पर अति शीघ्र कार्यवाही करवाने का आश्वासन भी दिया।
इस प्रकार समाजवादी पार्टी और आजम खां साहब का एक हीरा कुछ लोगों के कान भरने से उनसे दूर हो गया। बड़े नेताओं को चाहिए कि वो कान भरने वाले लोगो की बात को पहले तस्दीक कर लें तो बेहतर होगा। लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
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