नूह में मणिपुर जैसे हालात पैदा करने की कोशिश की गयी।
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस(AIMMM) ने पाया कि हरियाणा में नूह हिंसा राज्य प्रायोजित थी, वहां मणिपुर जैसे हालात पैदा करने की भी कोशिश की गई थी, लेकिन नूह के लोगों ने इसे सफल नहीं होने दिया। देश की 75 फीसदी जनता धर्मनिरपेक्ष है, इसलिए हमें डरने और घबराने की जरूरत नहीं है।
तने बुरे हालात तो 1947 में भी नहीं रहे
ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एडवोकेट फिरोज अहमद ने देश के मौजूदा हालात को बेहद खराब और चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि इतने बुरे हालात तो 1947 में भी नहीं रहे होंगे। हरियाणा में नूह हिंसा राज्य प्रायोजित लगती है, मणिपुर जैसे हालात पैदा करने की कोशिश की गई थी, लेकिन नूह की जनता ने इसे सफल नहीं होने दिया।
डरने और घबराने की जरूरत नहीं
देश के 75 फीसदी लोग धर्मनिरपेक्ष हैं, इसलिए हमें डरने और घबराने की जरूरत नहीं है। नूह में मुसलमानों के घर तोड़ दिए गए, जबकि मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे मुसलमान भड़क गए, जिससे पूरे देश को शर्मसार होना पड़ा। ये बातें ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल के प्रधान कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अधिवक्ता फिरोज अहमद ने कहीं।
मजलिस के पूर्व अध्यक्ष नवीद हामिद ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब देश में ऐसी स्थिति पैदा की जा रही है कि मुसलमानों को यहां रहने नहीं दिया जाएगा, उनसे खरीद-फरोख्त नहीं की जाएगी और देश के मुसलमानों में डर का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है जो कि अनुचित और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। सरकार इस पर कार्रवाई क्यों नहीं करती? नावेद हामिद ने आगे कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा देते हैं और दूसरी तरफ जातीय हिंसा के नारे दिये जा रहे हैं, यानी अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए एक और नारा दिया जा रहा है और चुनाव जीतने के लिए एक और नारा दिया जा रहा है, यह दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।
ये भी पढ़ें:
- मुख़्तार अन्सारी की बहू और विधायक अब्बास अन्सारी की पत्नी को सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ी राहत, पति जेल में ग़ैरक़ानूनी रूप से मुलाक़ात…
- अतीक़ की हत्या मामले पर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, उठाये गंभीर सवाल
- MP: 2 मस्जिदों, 1 दरगाह पर ज्वलनशील पदार्थ फेंकने के आरोप में 7 लोग गिरफ्तार
अधिवक्ता फिरोज अहमद ने देश के धर्मनिरपेक्ष लोगों से देश को बचाने की अपील की। साथ ही उन्होंने नफरत फैलाने वाले भाषणों पर सख्ती से रोक लगाने की भी मांग की। इस मौके पर ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस कंसल्टेशन के पूर्व अध्यक्ष और नेशनल यूनिटी काउंसिल (भारत सरकार) के पूर्व सदस्य नावेद हामिद, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस कंसल्टेशन के महासचिव सैयद तहसीन अहमद और बिहार कंसलटेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर कमालुद्दीन ने पत्रकारों से बात की।
कांफ्रेंस में इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ग़ौर किया गया
मजलिस ने इस अवसर पर एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि परिषद का दृढ़ मत है कि संविधान की भावना के खिलाफ घृणा फैलाने वाले भाषणों पर सख्ती से अंकुश लगाने की जरूरत है और इसके लिए भारतीय दंड संहिता में एक विशिष्ट कानून शामिल करने की जरूरत है क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां अपराधियों के खिलाफ शायद ही कभी कार्रवाई करती हैं। देश में कहीं भी मुस्लिम समुदाय के घरों और व्यावसायिक संपत्तियों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के तोड़ना भी संविधान और कानून का घोर उल्लंघन है। हरियाणा सरकार के अधिकारियों और पुलिस कर्मियों द्वारा की गई कार्रवाई एक दंडनीय अपराध है और जो भी जिम्मेदार है उसे दंडित किया जाना चाहिए। मणिपुर में स्थिति अभी भी चिंताजनक है और दुनिया भर के शांति कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का कारण है। महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों ने देश को शर्मसार कर दिया है और मणिपुर में जान-माल का नुकसान लगातार जारी है। हाल की हिंसा की घटनाओं से अल्पसंख्यकों और समाज के कमजोर वर्गों को गंभीर आघात पहुंचा है है। पिछले कुछ महीनों में देश के विभिन्न हिस्सों में हुई सांप्रदायिक नफरत और हिंसा की घटनाओं में से एक सबसे दुखद और चिंताजनक घटना भारतीय रेलवे के जयपुर-मुंबई खंड पर एक ट्रेन में हुई।
जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में तीन मुस्लिम युवकों समेत 4 यात्रियों की हत्या भयावय है
जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में 4 यात्रियों की नृशंस हत्या ने प्रत्येक देशभक्त भारतीय को अत्यंत दुखी, शोक संतप्त और अत्यंत चिंतित कर दिया है। एक हत्यारे ने, जो दुर्भाग्य से एक सुरक्षा बल का अधिकारी निकला, योजनाबद्ध तरीके से ट्रेन के अंदर निर्दोषों की जान लेकर निर्दोषों और असहायों को एक बहुत ही डरावना संदेश भेजा है। यदि एसटी समुदाय के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ घृणित हिंसा और ट्रेन के अलग-अलग डिब्बों में तीन निर्दोष मुस्लिम यात्रियों की गोली मारकर हत्या को गंभीरता से नहीं लिया गया और त्वरित न्याय सुनिश्चित नहीं किया गया, तो जनता का विश्वास हिल जाएगा। रेल मंत्रालय को किसी भी कीमत पर प्रैंडिन रेल को लेकर असुरक्षा की भावना नहीं पैदा करनी चाहिए।यदि ऐसा होता है या भविष्य में ऐसी घटना दोहराई जाती है और लोग देश के एक हिस्से से दूसरे क्षेत्र में या एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आने और रहने से डरने लगते हैं, तो यह दुश्मनों को सफलता मिलेगी। इससे देश कमजोर होगा और देश का विकास प्रभावित होगा। मशावरत ने सरकार से पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे के रूप में कम से कम 1 करोड़ रुपये का भुगतान करने और घृणा अपराधों के पीड़ितों के प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार प्रदान करने और रेल मंत्रालय से दृढ़तापूर्वक और बार-बार आश्वासन देने का आह्वान किया गया है।
- एक दूसरे के रहन-सहन, रीति-रिवाज, जीवन शैली और भाषा को जानना आवश्यक है: गंगा सहाय मीना
- Understanding Each Other’s Lifestyle, Customs, and Language is Essential: Ganga Sahay Meena
- आम आदमी पार्टी ने स्वार विधानसभा में चलाया सदस्यता अभियान
- UP Bye-Elections 2024: नेता प्रतिपक्ष पहुंचे रामपुर, उपचुनाव को लेकर सरकारी मशीनरी पर लगाए गंभीर आरोप
- लोकतंत्र पर मंडराता खतरा: मतदाताओं की जिम्मेदारी और बढ़ती राजनीतिक अपराधीकरण- इरफान जामियावाला(राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पसमंदा मुस्लिम महाज़)
- एएमयू संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान को भारत रत्न देने की मांग उठी