रामपुर: उत्तर प्रदेश में हाल ही में योगी सरकार द्वारा पारित धर्मांतरण विरोधी विधेयक को लेकर ईसाई समुदाय ने चिंता व्यक्त की है। जनपद रामपुर के सैम्युअल मसीह और आशीष अगस्टिन ने राज्यपाल को एक पत्र लिखकर इस विधेयक के संविधान में निहित मौलिक अधिकारों पर प्रभाव के बारे में अपनी चिंताओं का इजहार किया है।
पत्र में कहा गया है कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 13 और अनुच्छेद 25 (1) के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। अनुच्छेद 13 के अनुसार, कोई भी कानून जो मौलिक अधिकारों के विपरीत हो, वह अमान्य माना जाएगा। अनुच्छेद 25 (1) नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जो इस विधेयक द्वारा प्रभावित हो सकता है।
इस विधेयक का प्रभाव अल्पसंख्यक समुदायों के धार्मिक अधिकारों पर पड़ सकता है, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। पत्र में विधेयक की समीक्षा और इसे रोकने की अपील की गई है ताकि संविधान की गरिमा और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
क्या है धर्मांतरण विधेयक ?
हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विधानसभा में धर्मांतरण संशोधन विधेयक पास कराया है। इस संशोधित विधेयक में धर्मांतरण को लेकर सज़ा का प्रावधान बढ़ा दिया गया है। इस विधेयक को ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2024′ नाम दिया गया है।’ इस विधेयक में तथ्यों को छिपाकर या डरा-धमकाकर धर्मांतरण कराने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें उम्र क़ैद का प्रावधान किया गया है।
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